‘नमस्कार, आज चौथा दिन शुरू हो रहा.है हमारे अनशन का. खुले आसमान के नीचे माइनस 16 डिग्री सेल्सियस तापमान में हम बैठे हैं. आप देख रहे हैं कि यह गिलास जो पानी से भरा हुआ था पूरा जम गया है. इस गिलास से तो विज्ञान का अनुसंधान हो गया कि जमने पर पानी का वोल्यूम बढ़ जाता है. ऐसे में हम आमरण अनशन कर रहे हैं.
‘मगर सबसे हैरानी मुझे यह है कि भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया में इस आंदोलन का, सीमा पर जो कुछ हलचल उथल-पुथल हो रहा है, उसका जरा भी जिक्र नहीं है. सीमा पार से एक सीमा हैदर आती है तो उस पर सैकड़ों घंटा चर्चा होती है, मगर भारत-पाकिस्तान की सीमा लद्दाख पर जीरो चर्चा होती है.
‘आपको पता है मेरे ख्याल से आज इस सीमा पर हमारे सैनिक सबसे कमजोर स्थिति में हैं. क्योंकि यहां पर सबसे बड़े लड़ाकू माने जाते हैं लद्दाख स्काउट्स, सिख रेजिमेंट और गोरखा रेजिमेंट. आज लद्दाख के सैनिकों का मनोबल टुटा है. ठेस पहुंचा है क्योंकि लद्दाख में न लोकतंत्र दिया गया है और न ही संरक्षण. दूसरी तरफ सिख रेजिमेंट का भी मनोबल कमजोर है क्योंकि पंजाब में जो किसानों का आंदोलन हो रहा है उसका असर उन पर भी पड़ता है.
‘और गोरखा रेजिमेंट तो अग्निवीर के चलते, वे चार साल को नकार रहे हैं. उससे भी बुरा यह हो रहा है कि वे चीन की सेना में भर्ती होने जा रहे हैं. वही सैनिक जो हमारी शक्ति थी. जिनके बारे में कहा जा रहा था कि अगर कोई यह बोले कि उसे मरनै से डर नहीं लगता है तो या तो वह झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है. अब वही गोरखा चीन की ओर से हमसे लड़ेंगे.
‘ऐसा उथल पुथल हो रहा है लेकिन हमारी मेनस्ट्रीम मीडिया जरा भी चर्चा ने कर रही है. मेरी आपसे विनती है कि आप मीडिया बने और मेरी वीडियो को शेयर करें. और कहें हमारे भारत की मीडिया चैनल से जो कि आप देश का चौथा स्तम्भ हैं, पीलर हैं हमारी डेमोक्रेसी का, कि वे अपना फर्ज निभायें.
‘मेरी समझ में नहीं आता कि वे रात को सोते कैसे होंगे इस तरह की दोगलापंथी में. मुझे उम्मीद है कि आप सब समर्थन करेंगे लद्दाख के इस आंदोलन का, भारत के सीमा के रक्षा का समर्थन करेंगे क्योंकि लद्दाख सीमा की सुरक्षा में ही देश की सुरक्षा है. नमस्कार.’
– सोनम वांगचुक,
सोनम वांगचुक ने अपने आयरण अनशन के चौथे दिन दो मिनट के अपने वीडियो में उपरोक्त बातें कही है. अपने इस दो मिनट के वीडियो में सोनम वांगचुक ने भारत की फासिस्ट भाजपा सरकार के देश विरोधी, किसान विरोधी, सैनिक विरोधी नीतियों का पोस्टमार्टम करके रख दिया है, जो देश के बड़े बड़े कलमघीस्सूओं और घंटों भाषण देने वाले भाषणवीर नहीं कर पाते.
फासिस्ट भाजपा की मोदी सरकार ने विकास के नाम पर विनाश का एक ऐसा दौर पिछले दस सालों से देश में चला रखा है, जिस कारण देश के तमाम समुदाय त्राहिमाम कर रहा है. किसान, मजदूर, स्त्री, आदिवासी, दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक समेत नौकरशाह तक परेशान हैं. ऐसे मेंं ही लद्दाख से एक जोरदार आवाज उठी है -अमिर खान की धमाकेदार बनी फिल्म थ्री इडियट्स का मुख्य किरदार हैं फुनशुक वांगरु की, जिनका असली नाम सोनम वांगचुक है.
धमाकेदार फिल्मी करैक्टर फुनशुक बांगरु काल्पनिक नहीं एक वास्तविक करैक्टर है, जिनका वास्तविक नाम है – सोनम वांगचुक. लद्दाख के मशहूर क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक आज लद्दाख के साथ साथ समूचे देश के पीड़ित समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उनकी आवाज बन गये हैं. वे और उनके साथ 1500 सहयोगी विगत 14 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं, और मोदी सरकार कान में रुई ठूंसे कभी मंदिर तो कभी समुद्र के नीचे मुजरा कर रही है.
आज सोनम वांगचुक के आमरण अनशन को 14 दिन बीत चुके हैं. उनके साथ 1500 लोग सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए बताया कि कैसे 250 लोग उनके समर्थन में रात को भूखे सोए. वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जो प्रदेश के स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार देगा.
सोनम वांगचुक ने कहा कि जब विविधता में एकता की बात आती है तो छठी अनुसूची भारत की उदारता का प्रमाण है. यह महान राष्ट्र न सिर्फ विविधता को सहन करता है बल्कि उसे प्रोत्साहित भी करता है. उन्होंने 6 मार्च को ‘#SAVELADAKH, #SAVEHIMALAYAS’ के अभियान के साथ 21 दिनों का आमरण अनशन शुरू किया था. उन्होंने कहा था कि यह अनशन जरूरत पड़ने पर आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
END OF DAY 13 OF #CLIMATEFAST
Some 1500 People gathered here for one day fast today.
And 250 sleeping in the open with me.
6th Schedule is a proof of generosity of India when it comes to Unity in Diversity. This great nation not only tolerates diversity but also encourages it.… pic.twitter.com/jHKxTvA9cv— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) March 18, 2024
सोनम वांग्चुक ने वीडियो जारी कर सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश की है. उन्होंने बताया कि छठी अनुसूची का मकसद सिर्फ बाहरी लोगों को ही रोकना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाके या संस्कृतियां-जनजातियां सभी को स्थानीय लोगों से भी बचाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके लागू होने के बाद से स्थानीय लोगों से भी इन्हें बचाया जा सकेगा.
मशहूर सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने विस्तार से बताया कि आखिर उनके आमरण अनशन की क्या वजह है. उन्होंने कहा कि जहां तक उद्योग की बात है तो जो इलाके संवेदनशील नहीं हैं, उन्हें इकोनॉमिक जोन बनाया जा सकता है, ताकि उद्योग लगे, देश-दुनिया से निवेश हो. इसमें लद्दाख के लोगों को कोई मसला नहीं है.
सोनम वांगचुक और स्थानीय लोग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. धारा 370 खत्म किए जाने के बाद लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है, और जम्मू कश्मीर में विधानसभा की तरह यहां कोई स्थानीय काउंसिल नहीं है. छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदें बना सकेंगे, जिसमें शामिल लोग स्थानीय स्तर पर काम करेंगे. इनके अलावा उनकी केंद्रीय स्तर पर लोकसभा में दो सीट और राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व की मांग है. असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम छठी अनुसूची में पहले से शामिल हैं, जो आदिवासी समुदाय को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है.
मोदी एक जिद्दी और सनकी राक्षस है, वोट पाने के बाद झूठे वादे के अलावा ये जनता को सिर्फ भाषण देता है रैलियों में
— राहुल सिंह सूरवार (राजपूत) (@Rahulsurvar2) March 18, 2024
जैसा कि राहुल सिंह सूरवार (राजपूत) अपने एक ट्वीट में कहते हैं ‘मोदी एक जिद्दी और सनकी राक्षस है. वोट पाने के बाद झूठे वादे के अलावा ये जनता को सिर्फ भाषण देता है रैलियों में’ मोदी सरकार का एक सटीक मूल्यांकन है.
वहीं, ए. के. ब्राईट लिखते हैं कि आखिर लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा चुनी गई सरकार इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है ! हम सब जानते हैं लद्दाख निवासियों की मांगें विधिक प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं और ये मांगें दो चार दिन के अंदर पूरी नहीं की जा सकती हैं. सरकार की तरफ से अधिकृत मंत्री या विशेष प्रतिनिधि को लद्दाख में आमरण अनशन पर बैठे प्रख्यात पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक से बातचीत करते हुए उनका अनशन समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए.
गौरतलब हो कि सोनम वांगचुक को ब्लड शुगर की समस्या है. पानी को जमा डालने वाली माइनस 16 डिग्री सेल्सियस पर यह आमरण अनशन खतरनाक साबित हो सकता है. सरकार को समय रहते हुए त्वरित हस्तक्षेप के साथ लद्दाख निवासियों की जो भी राजनीतिक समस्याएं हैं, उनके निस्तारण के लिए समय-सीमा तय कर इस आमरण अनशन को समाप्त किया जाना चाहिए.
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