Home कविताएं एक प्रश्न…

एक प्रश्न…

0 second read
0
0
90

एक प्रश्न मन मे काफी समय से सड़ रहा है,
क्या एक स्त्री और पुरूष के
प्रगाढ़ संबंधों का मापदंड
सिर्फ संभोग है ?

क्या देह से देह का घर्षण ही
उनका आखिरी पड़ाव है ?

शायद नहीं..
बिल्कुल भी नहीं

कोई तो अदृश्य बल होता होगा
जो उनको आकर्षित करता होगा
एक दूसरे की ओर.
कि वो सात फेरों में भी न रहें
पर फिर भी बंधे रहें.
या फिर यूं कहूं कि
कोई तो तेजाब होगा
जो गला देता होगा
सारे दकियानूसी रूढ़ियों की रस्सियां.

एक स्त्री और पुरुष
कृत्रिमता के आडंबर से परे होकर
साझा भी तो कर सकते हैं
अपने कॉलेज के अनुभव.
वो बता बताकर हंस सकते हैं कि
प्रोफेसर कितना पकाऊ होता था,
कि लाइब्रेरी में वो घंटों
किसको ताकते रहते थे.
कि केमिस्ट्री लैब में
वो टीचर की नज़र बचाकर
कौन कौन से रसायन मिक्स किया करते थे.
हां, क्यों नहीं साझा कर सकते वो ये सब.

वो कर सकते हैं विनिमय
एक दूसरे की कलम से रिसे शब्दों का,
वो छील सकते हैं
एक दूसरे के हृदयों पे चढ़ी विचारों की परत …
वो बटोर सकते हैं
एक दूसरे की आंखों मे तैरते मीठे कड़वे तजुर्बे…
और यकीन मानो के
इनमें ज़रा भी देहवासना की गंध नहीं होगी.

माना कि देह आत्मा का आवरण है,
पर क्या ये सम्भव नहीं कि
देह स्पर्श किये बिन ही
दोनों एक दूसरे की आत्माओं को स्पर्श कर लें.
यूं भी तो संभव है कि
उनका रिश्ता
सृष्टि के अलिखित संविधान में
एक नया अनुच्छेद जोड़ दे,
जो पहले कभी न पढ़ा गया हो
न सुना गया हो.

और हो सकता है कि
प्रेम ने अपनी यात्रा में
एक नया गंतव्य निर्धारित किया हो.
जो देह मिलन से उन्मुक्त हो.
जहां सिर्फ ठहाके हों
जहां एक दूसरे के
बहते अश्रुओं को पोंछने
वाली हथेलियां हों.
जहां एक दूसरे के मनों में पसरे खालीपन
को प्रेम से भरने की होड़ हो.

पर सच्चाई तो यही है कि
स्त्री और पुरुष होने की अनुभूति ही
नहीं पनपने देती
एक विलक्षण नवांकुर को वृक्ष में.
और जो एकाध इस राह पे चलते भी हैं
उनको कभी न कभी
ये समाज एहसास करवा ही देता है
कि वो एक स्त्री और एक पुरुष हैं.

  • कल्पित

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…