मेरे लोगो अपने भीतर झांको
अपनी ताकत पहचानों
तुम तब भी थे
जब राजा नहीं था
तुम तब भी रहोगे
जब राजा नहीं रहेगा
तुम्हारा होना या न होना
तुम पर निर्भर करता है
तुम्हारा हार और जीत भी
तुम से ही तय होता है
इसलिए पहले तुम खुद को पहचानों
खुद को जानो
तुम्हारे अंदर जो आग है
उसे बाहर निकलो
वक्त आ गया है इस दुनिया को जला कर
भस्म कर देने का
एक नई दुनिया बनाने का
जिसका हमेशा से कारीगर तुम्हीं ःरहे हो
तुम्ही नींव खोदते हो
तुम्ही ईट जोडते हो
तुम्ही अपने खून-पसीने के गारे से
सभ्यता के भवन खड़ा करते हो
फिर तुम क्यों किसी का मुंह ताकते हो ?
फिर तुम क्यों किसी के दया पर जीते हो ?
इस दुनिया में जो कुछ भी मानव निर्मित है
सब तुम्हारा है
सब पर तुम्हारा फिंगर प्रिंट लगा हुआ है
ये तुम्हें याद है या भूल गए हो
तुम याद करो पेरिस कम्यून को
जहां तुमने पहली बार अपना राज कायम किया था
तुम याद करो 1917 के रूस को
जब तुमने जार का सत्ता पलट दिया था
तुम याद करो 1949 के चीन को
जब तुमने क्रांति किया था
तुम्हें शोभा नहीं देता
किसी फासिस्ट के हां में हां मिलाना
वोट द्वारा भी अपना मालिक चुनना
समय अब शासक नहीं
साथी चुनने का आ गया है
इसलिए तुम शोषण के इस व्यवस्था को बदल दो
जो मानवता के राह में रोड़ा बन के खड़ा है !
- विनोद शंकर
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