मेरे हाथ पैर
नाक नक़्श
बदन और दिमाग़
बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं
लेकिन
मेरी थाली अलग है
एक दिन
तुम्हारी मां की लोरियां सुनते हुए
मैं सो गया था
तुम्हारी हवेली के दालान पर
तो मुझे सपने में
तुम्हारे साथ खेलने से
कोई रोक नहीं रहा था
और न ही मेरे लिए कोई अलग से
छात्रावास बना था
लेकिन
तुम्हारी मां के भांडे बर्तन में
मेरी थाली अलग है
स्कूल के रास्ते
अमराई के नीचे बैठे
तुम्हारे झुंड का
मुझे आते देख कर हंसना
और गरारा कर ज़मीन पर थूकना
मुझे अपनी खाल के अंदर
समेट लेने को मजबूर करता था
किसी घोंघे की तरह
और याद दिलाता था कि
मेरी थाली अलग है
हस्ताक्षर करते समय
विष्णु के बाद ‘राम‘ लिखने में
हरेक बार कांप जाते हैं मेरे हाथ
क्योंकि मुझे मालूम है कि
मेरी थाली अलग है
इसलिए
शंबूक वध की कथा के साथ साथ
शबरी की भक्ति के घालमेल को
मैं कभी समझ नहीं पाया
तुम्हारी कहानी जब भी
परोसी गई मुझे
तो उसे सरका दिया गया
जेल की सींखचों के नीचे से
ताच्छिल्य के साथ
क्योंकि मेरी थाली अलग है
रोटी की तलाश में
गटर में उतरा हुआ मेरा बाप
जिस दिन लाश बन कर बाहर आया
सभी कह रहे थे कि
ऐसी तलाश का यही अंजाम
देर सबेर होना ही था
लेकिन मुझे और मेरी मां को मालूम था कि
उन रोटियों की असली जगह कहां है
क्योंकि मेरी थाली अलग है
- सुब्रतो चटर्जी
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