Home कविताएं मुक्ति

मुक्ति

0 second read
0
0
268

अकेले कभी मत चलो
ऐसा मेरी मां कहती है
अगर कोई साथ नहीं
चल रहा है तो रूक जाओ
और तब तक लोगों को मनाओ
जब तक कि एक व्यक्ति भी
चलने के लिए तैयार न हो जाए

और जब चलो तो
किसी को साथ ले कर चलो
ताकी उस से बातें कर सको
सलाह ले सको
रास्ते में आई मुसीबत का
मिल कर सामना कर सको

जब मां ये कह रही होती है तो
मुझे कवि की ‘एकला चलो’ गीत याद आता है
जिसे मां ने कभी नही सुना है
फिर भी उसे खारिज कर रही होती है

मैं सोचता हूं
मां ठीक कह रही है
अकेले कविता लिखा जा सकता है
कोई आविष्कार किया जा सकता है
विज्ञान में कोई नया अध्याय जोड़ा जा सकता है
पर दुनिया को नहीं बदला जा सकता है
और नहीं शोषण को खत्म किया जा सकता है

इसके लिए तो जनता के साथ चलना होगा
जनता से सीखना और
उसे सीखाना होगा
और सभी शोषितों को मिल कर
मुक्ति पाना होगा
क्यूंकि अकेले-अकेले लड़ाई तो
किया जा सकता है
पर जीता नहीं जा सकता है !

  • विनोद शंकर
    19.12.2023

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…