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बिना ऐतिहासिकता समझे मोदी आपके लिए एक पहेली रहेगा और मेरे लिए एक खुली लाश

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बिना ऐतिहासिकता समझे मोदी आपके लिए एक पहेली रहेगा और मेरे लिए एक खुली लाश
बिना ऐतिहासिकता समझे मोदी आपके लिए एक पहेली रहेगा और मेरे लिए एक खुली लाश
Subrato Chatterjeeसुब्रतो चटर्जी

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अनाम गोत्र लोगों के द्वारा शिवराज सिंह और रमन सिंह को हटाया जाना ही सिद्ध करता है कि दोनों जगह भाजपा इवीएम के सहारे जीत हासिल की है. अगर भाजपा मोदी, शिवराज या रमन सिंह के चेहरे पर दोनों राज्यों में चुनाव जीत गई होती तो मोदी सपने में भी इन दो नेताओं को हटाने की बात नहीं सोच सकते थे. अब गोबरपट्टी के चैनल इसे मोदी का मास्टर स्ट्रोक कहें या दो कौड़ी के यू-ट्यूबर जो भी कहें, मूल सच्चाई यही है.

कुछ लोग आशंका जता रहे हैं कि रमन सिंह और शिवराज सिंह 2024 के चुनाव में अपने अपने प्रदेशों में भाजपा की लुटिया डुबो देंगे. ऐसा कुछ नहीं होगा. निम्नलिखित कारण हैं, याद रखिएगा –

  1. पहला कारण यह है कि दोनों की कोई विश्वसनीयता अब दोनों प्रदेशों की जनता के बीच नहीं रह गई है, वर्ना इवीएम से चुनाव जीतने की नौबत नहीं आती.
  2. दूसरा, दोनों संघी हैं और संघ ग़ुलाम बनने की ट्रेनिंग देता है, विद्रोही बनने की नहीं. लाख जुतियाने के वावजूद राजनाथ सिंह और नितिन गड़करी का मोदी के पैरों पर लोटना इस बात का प्रमाण है.
  3. तीसरा और सबसे बड़ा कारण यह है कि 2024 का चुनाव, जैसा कि मैंने पहले भी विस्तार से लिखा है, फ़ासिस्ट लोगों के द्वारा हैक कर लिया जाएगा और ऐसे में किसी भी नेता या उसकी तथाकथित लोकप्रियता की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

2016 में नोटबंदी के बाद मैंने लिखा था कि कोई भी लोकतांत्रिक सरकार इस तरह के जनविरोधी फ़ैसले तभी ले सकती है जब वह इवीएम के सहारे अपनी चुनावी जीत के प्रति आश्वस्त हो. अफ़सोस कि हमारे देश की मंदबुद्धि जनता और राजनीतिक विश्लेषकों को ये बात तब नहीं समझ आई. आज सैम पित्रोदा और अन्य लोगों का मानना है कि 2019 के चुनाव में भाजपा ने क़रीब 150 सीटें इवीएम के सहारे जीतीं थी.

आप मेरी 2019 के आलेख ढूंढ कर पढ़ सकते हैं, मैंने उसी समय कह दिया था. अब सवाल यह है कि मोदी ऐसा क्यों कर रहे हैं ? इसका जवाब भी संक्षिप्त में मैंने कई बार दिया है. फ़ासिस्ट अपने कुत्तों को मार कर खा जाते हैं.

अंत में, यह सब लिखने के लिए क्या मेरे पास फ़ेसबुक छोड़ कर अन्य कोई माध्यम नहीं है ? नहीं है. भारत के प्रेस में सच छापने की हिम्मत नहीं है और कोठे (सुप्रीम कोर्ट) का हाल तो सबको मालूम है. संपूर्ण फासीवाद के लिए तैयार रहिए, बस छ: महीने बाक़ी हैं.

बिना ऐतिहासिकता को समझे आप फासीवाद नहीं समझ पाएंगे और बिना फासीवाद समझे आप मोदी को नहीं समझ पाएंगे. इसलिए मोदी आपके लिए हमेशा एक पहेली बने रहेंगे और मेरे लिए पोस्टमार्टम के बाद एक खुली हुई लाश.

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