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हमारी जमीन ही नहीं हमारा…

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इस देश का नाम
उनके पूर्वजों ने रखा भारत
उनके ही किसी पूर्वज के नाम पर
जिसे मै भी जानता हूं

पता नहीं मेरे पूर्वजों ने
इस देश का क्या नाम रखा था ?
जिसे मैं नहीं जानता हूं

ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि
मेरे पूर्वजों ने इस देश को
कोई नाम न दिया हो
वे इस जमीन पर सबसे पहले आए थे
इसलिए इसका नामकरण भी सबसे पहले
मेरे पुरखों ने ही किया होगा
ऐसा मैं मानता हूं

जिस तरह आज भी हम अपनी भाषा में
पुकारते हैं किसी नदी या पेड़ को उसके नाम से
वैसे ही तो पुकारते रहे होंगे
हमारे पुरखे भी
अपने ही किसी पुरखे के नाम पर
इस देश को

हम से हमारी जमीन ही नही छिनी गई
हमारा नाम और पहचान भी छिना गया
और धकेल दिया गया
राक्षस और दानव कह कर
सभ्यता से दूर पाताल में
ताकी हम दावा न कर सके कि
ये धरती हमारी है

जब भी मेरे पुरखे
स्वर्ग पर दावा करते
तो इंद्र का सिंहासन हिलने लगता
जो उसका कभी था ही नहीं
वह तो हमारी ही जमीन थी
वह तो हमारे ही मेहनत से स्वर्ग बना था

जिसे इंद्र ने ताकत के बल पर
कब्जा कर लिया था
फिर भी हमारे पूर्वजों के नाम से
कांपता था
क्योंकि वह जानता था कि
स्वर्ग उसका नहीं हमारा है
और उसे आज नहीं तो कल
स्वर्ग छोड़ना ही है

जिसे आज का इंद्र भी जानता है
इसलिए वो हम पर ही हमला कर दिया है
ताकी स्वर्ग के असली उत्तराधिकारी को
मिटा सके !

  • विनोद शंकर

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