मेरे फिलिस्तीन बच्चे !
जब तुम जवां होगे
दुनिया भर के
समाजशास्त्री,
इतिहासकार,
राजनीतिज्ञ,
पत्रकार
बहस कर रहे होंगे कि
हमास आतंकवादी था या
फौजी संस्था
हमास के हमले
अपनी जमीन वापस पाने के लिए
फौजी करवाई थी या
महज आतंकी हमला
तब इन बहसों से दूर
तुम बार-बार अपने चेहरे और हाथों पर
शरीर के अलग-अलग अंगों पर
उभरे अपने घावों को देखना
अपनी स्मृतियों में
शोक गीतों की तरह रचे बसे अपने
पिता
मां
बहन और भाइयों की यादों को कुरेदना
तब एक पूरा इतिहास
एक नन्हें बीज की भांति
तुम्हारे अंदर अंकुरित होने लगेगा
जिसकी जड़ें
1948 की पहली जंग से नहीं
ऑटोमान सम्राज्य से
आजादी की चाह से शुरू होती है
जिसे छल द्वारा फिरंगियों ने
अपना उपनिवेश बना लिया था
इस बीज का भविष्य
इसकी तना और टहनियां बन
आजाद फलिस्तीन राष्ट्र का ख्वाब बुनेगा
लेकिन तुम अपने ख्वाब को
इतना तंग मत कर लेना
अपना फलिस्तीन देश बनाने के
ख्वाब पर रुक मत जाना
खून से लथपथ मेरे मासूम बच्चों !
जो तुम बमों और मिसाइलों के
हमले झेल रहे हो
यह दुनिया भर में आने वाली
पीढ़ियों को न झेलना पड़े
इसलिए अपने ख्वाब को और ऊंचाई देना
अपने प्यारे फिलिस्तीन देश की
सीमाओं में ठहर मत जाना
आज जैसे तुम्हें गाजा पट्टी के
कैद में रखा जा रहा है
जंजीरों के घेरे में
और अब तुम्हें भगाया जा रहा है
दुनिया भर में
लेकिन दुनिया तो पहले से ही कैद है
मनुष्य के भाग्य को पूंजी की जंजीरों ने
पहले से ही जकड़ रखा है
इसलिए अपने प्यारे फलिस्तीन
देश की लड़ाई के साथ
धरती को कैद किए जंजीरों पर
अंतिम प्रहार का ख्वाब देखना
मेरे प्यारे बच्चे !
- नरेन्द्र कुमार
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