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तुम इतने बच्चों को मार कैसे सकते हो ?

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तुम इतने बच्चों को मार कैसे सकते हो ?
तुम इतने बच्चों को मार कैसे सकते हो ?

अभी तो उन्होंने नदियों, पहाड़ों
और पेड़ों में
रंग भरना सीखा भर है

अभी तो वे इतने मासूम हैं
कि पूछने पर
अपनी छुपने की जगह बता देते हैं

अभी तो वे
तितलियों का पीछा करते हुए
फिलिस्तीन की ‘सीमा रेखा’ के पार चले जाते हैं

अभी तो उन्हें यह भी नहीं पता
कि तुम्हारे ‘ईश्वर’ ने उनके ‘ईश्वर’ को बेदखल करके
अपना राज्य बनाया है

फिर तुमने इन बच्चों पर बम क्यों गिराया ?

क्या तुम्हें नहीं पता
कि बच्चे कभी मरते नहीं

जब भी तुम किसी बच्चे का कत्ल करते हो
या उन पर बम गिराते हो

वे चुपचाप चले जाते हैं
गीतों, कविताओं में
नारों, संकल्पों में
प्रतिरोधों और क्रांतियों में

इसलिए
जब भी तुम किसी बच्चे का कत्ल करते हो,
तो वास्तव में
अपने ही भविष्य का कत्ल करते हो

जब तुम बच्चों पर बम गिराते हो
तो वास्तव में तुम
अपने ही भविष्य पर बम गिराते हो

फिलिस्तीन के उन बच्चों के क्षत-विक्षत शवों में
मैं तुम्हारा क्षत-विक्षत भविष्य देख रहा हूं…

  • मनीष आजाद

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