विनोद शंकर
सवाल है, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हट गया तो देश को क्या मिला ? जनता को क्या मिला ? उत्तर है, एक झूठ क्यूंकि धारा 370 के रहते हुए भी जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, जैसे देश के बाकी राज्य है. लेकिन पूरे देश से भाजपा ने ये झूठ बोल दिया कि धारा 370 के चलते जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है और इसे खत्म कर दिया.
जहां तक जमीन का सवाल है, ये तो देश के बाकी राज्यों में भी लागू है. आप पूरे देश में आदिवासियों की जमीन (बिहार को छोड़कर) नहीं खरीद सकते हैं. आदिवासी की जमीन सिर्फ़ आदिवासी ही खरीद सकता है. पांचवीं और छठी अनुसूचित वाले इलाकों में तो आप बस भी नहीं सकते हैं, तो क्या वो भारत का हिस्सा नहीं है ? अब ऐसे ही मुद्दों पर भाजपा जनता को आपस में लडायेगी. एक संविधान, एक कानून और एक देश के नाम पर जनता को असली मुद्दों से ध्यान हटाएगी.
जम्मू-कश्मीर की समस्या एक राजनीतिक समस्या है. इसका समाधान भी राजनैतिक है, जिसके लिए न तो अब भारत राजी होगा और न ही पाकिस्तान. संयुक्त राष्ट्र संघ में जनमत संग्रह का प्रस्ताव नेहरू के समय से ही पड़ा हुआ है, जिसकी शर्त है कि भारत और पकिस्तान दोनों अपने-अपने कब्जे वाले हिस्से को पहले छोड़े और जम्मू-कश्मीर की जनता को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने दे.
जम्मू-कश्मीर की जनता के सामने तीन विकल्प है. पहला, भारत, दूसरा पाकिस्तान और तीसरा जम्मू-कश्मीर के रूप में एक आजाद देश. अब जम्मू-कश्मीर के जनता को इन तीनों विकल्पों में से किसी एक को चुनना है लेकिन भारत और पाकिस्तान के नियत को देख कर लगता है कि ये दोनों अब जनमत संग्रह के लिए कभी तैयार ही नहीं होंगे. और जम्मू-कश्मीर के नाम पर ऐसे ही राजनीति करते रहेंगे.
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