कोई अपने घर में गांधी की किताब रखने से ‘गांधीवादी’ नहीं हो जाता, महज माओ की किताब रखने से ‘माओवादी’ नहीं हो जाता. ठीक वैसे ही हमारे कंप्यूटर में रखी सामग्री से हमारा अपराध तय नहीं होता. आज लैपटॉप/मोबाइल हमारे दिमाग का ‘एक्सटेंशन’ हो चुका है. हम कभी-कभी अपने दिमाग में किसी की हत्या के बारे में भी सोच सकते हैं, लेकिन क्या महज यह सोचने के कारण किसी पर 307 (हत्या का प्रयास) का मुकदमा चलाया जा सकता है ??
ठीक उसी तरह मेरे लैपटॉप में क्या सामग्री है, इससे कोई अपराध नहीं बनता, जब तक कि हम उसे किसी भी स्तर पर लागू नहीं करते. ‘विनायक सेन’ को बेल देते समय भी उस वक्त के सुप्रीम कोर्ट के जज ‘मार्कण्डेय काटजू’ ने भी इसी तरह की बात कही थी. इधर बहुत से लोगों को लैपटॉप/फोन में पाई गई तथाकथित आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर गिरफ्तार या परेशान किया जा रहा है और देशद्रोह तक की धारा लगाई जा रही है (जैसा कि ब्रजेश/अनिता के मामले में), जबकि वास्तविक कृत्य (action) कुछ भी नहीं है. सब मनमानी चल रही है. कोई बात नहीं, ‘सब याद रखा जाएगा.’
क्या आप मेरी अन्नी यानी अनिता को जानते हैं ? मेरी अन्नी यानी मेरी कॉमरेड, मेरी दोस्त, मेरी बहन ! मेरी अन्नी को उत्तर प्रदेश एटीएस 18 अक्टूबर को उसके मायके से गिरफ्तार करके लखनऊ ले आए.
4 माह की गर्भवती अन्नी को डॉक्टर ने कंप्लीट बेडरेस्ट बताया था. इसी खातिर वह अपने मायके रायपुर चली गई थी. क्योंकि अभी कुछ समय पहले ही गांव से देवरिया चेकअप के लिए जाते समय रास्ते में ही उसका 5 माह का गर्भ बस में धक्के खाने की वजह से मिसकैरेज हो गया था. इसलिए इस बार वह डिलीवरी के लिए शहर में रहना चाहती थी और वह मां के पास रायपुर चली गई थी.
ऐसी हालत में अनिता को पुलिस रायपुर से ट्रेन से इलाहाबाद लाई और यहां से गाड़ी से लखनऊ ले गए. इनकी संवेदनहीनता अपनी सारी हदें पार कर चुकी है. एक गर्भवती महिला के साथ ऐसा सुलूक ! आज हमारा देश पुलिस स्टेट में तब्दील हो चुका है. कोई कभी भी कहीं से भी गिरफ़्तार हो सकता है. किसी के भी घर पर कभी भी अकारण रेड डाली जा सकती है ! यही फासीवाद है.
जब उत्तर प्रदेश एटीएस ने 8 जुलाई 2019 को हमें भोपाल से गिरफ्तार किया, उस समय उन्होंने अन्नी और उसके साथी बृजेश को भी पूछताछ के लिए उठाया. उस समय उनका लैपटॉप और फोन जब्त कर लिया. उस समय उन्हें उनसे कोई एविडेंस नहीं मिला और दोनों को छोड़ दिया गया.
4 साल बाद उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके लैपटॉप में कुछ राष्ट्रविरोधी चीज़ मिली है. 4 साल में उन लोगों ने कितनी टैंपरिंग की, कौन जानता है. वैसे भी हमारे कंप्यूटर और फोन में आज के समय में दुनिया भर की जानकारी रहती है. उसमें से किसको आप राष्ट्रविरोधी करार दे दें, यह कानूनी रूप से भी गलत है.
अन्नी और बृजेश मूलतः किसान हैं, देवरिया जिले के एक गांव में रहकर खेती किसानी करते थे और बैग बनाने की उनकी एक छोटी-सी दुकान थी. साथ ही दोनों ही सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी करते थे. बृजेश किसान आंदोलन से जुड़े थे और अनिता भी अपने घर पर रहते हुए गरीब दलित बच्चों को पढ़ाती थी और आंदोलनों से जुड़ी रहती थीं.
अन्नी के पास शब्द कम होते तो खिल्ल से हंस देती. उसकी हंसी उसकी अभिव्यक्ति थी. आज जेल में उसकी पहली रात है. जितनी बार फिलीस्तीन के बच्चों पर ढाए जा रहे क्रूर ज़ुल्मों की तस्वीरें देखती हूं तो मुझे अन्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे का ख्याल आता है.
आज देश में प्रगतिशील लोगों पर फासीवादी हमला बेतहाशा बढ़ गया है. अनिता और बृजेश इसी कड़ी के अगले शिकार हैं. कॉमरेड अनिता और बृजेश को रिहा करो !
- अमिता शिरीन और मनीष आजाद
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