अपनी नीचता और निर्लज्जता के लिए पूरी दुनिया में बदनाम हो चुके भाजपा के कार्यकर्ता, नेता, विधायक, सांसद खुद को कानून और संविधान से परे समझने लगे हैं. शाजापुर के भाजपा सांसद ऊंटवाल जब धमकी भरे स्वर में मंच से ऐलान करते हैं कि “जो भी कांग्रेसी हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का विरोध करेंगे उसे हम दुनिया से उठा देंगे”, तब इसका अर्थ देश की जनता को जान से मार डालने की खुली धमकी देना है क्योंकि कांग्रेस तो यूं ही बदहाल है और उसका साझेदार भी है. पर यह तो देश की जनता ही है जो अब खुलकर भाजपा के प्रधानमंत्री मोदी और उसके तथाकथित मुख्यमंत्रियों के खिलाफ बोल रही है और विरोध में आन्दोलित हो रही है.
भाजपा सरकार के सत्ता में आने के साथ ही भाजपा देश भर में जिस प्रकार अपने अनैतिकता को बढ़ावा दिया है और खुल कर अपने अनैतिक कारोबार में लिप्त हैं, उसका बचाब भी केवल उसका हिंसक अभियान ही कर सकता है. यही कारण है कि भाजपा देश की जनता को डराने के लिए दंगा, फसाद, हत्या, बलात्कार कर रहा है, जिसका बचाव में खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौन समर्थन कर, कर रहे हैं. परन्तु जिस बात से भाजपा और उसके अपराधी नेताओं को खबर नहीं है वह यह है कि अगर उसके हिंसक अभियान के खिलाफ देश की जनता ने भी प्रतिहिंसा को अपना हथियार बना लिया, तब उसकी दुर्गति क्या होगी ?
स्थापित सत्य है कि हर शासक का शक्ति स्त्रोत उस देश की जनता होती है. जनता ही यह निर्धारित करती है कि शासक उसका कितना और किस हद तक शोषण-उत्पीड़न कर सकता है और कब नहीं. शासक के शोषण-उत्पीड़न को सहने की क्षमता जनता के चेतनशीलता और उसकी जागरूकता के स्तर से तय होता है. यह तथ्य है कि भारत के जनता की सहनशीलता की सीमा उच्च है, पर अनंत कदापि नहीं वाबजूद इसके कि भारत के जनता को और ज्यादा सहनशील बनाने के लिए उसे अनपढ़, वेबकूफों और गुलाम वगैरह बनाए रखने के लिए मौजूदा भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार पूरी तन्मयता से लगी हुई है.
इससे पहले की देश के जनता की सहनशीलता चुक जाये, भाजपा के नेता, मंत्रियों यहां तक की उसके प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को भी पजामा के अंदर आ जाना चाहिए वरना उनकी हर दिन बढ़ती नंगई अगर जनता की सहनशीलता की सीमा को लांघ गई तो वह दिन दूर नहीं रहेगा जब उसके पास अपनी ही मांद में हिटलर की तरह आत्महत्या करना ही एक मात्र विकल्प रह जाये.