Home कविताएं चांद चमकता हुआ कंकर है

चांद चमकता हुआ कंकर है

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1

जब इस छोर से
आवाज़ दे रहा हो कोई
और दूसरे छोर पर
मुर्दा ख़ामोशी हो
तो समझ आता है कि
कितनी निष्ठुर हो सकती है
ख़ामोशी

2

भेड़िये ने भेड़ों से
कविता लिखने का
आग्रह किया है
उसकी नुकीली दांतों पर
पैने नाखूनों पर
लपलपाती जीभ पर
और लाल आंखों पर
भेड़ों द्वारा लिखी गई कविताओं को
अगले साल के पाठ्यक्रम में
शामिल कर लिया जाएगा
भेड़िये की जीवनी के
समानांतर

3

बेजान लकड़ी के
पुल पर चढ़ कर
वह कोशिश कर रहा था
एक ज़िंदा नदी को
पार करने की
जंगल की आग को
पुल के प्रेम में पड़ने तक
ठीक ठाक चल रहा था
सब कुछ

4.

मैंने अपनी जेब ख़ाली कर दी है
तुम्हारी तस्वीरें
उनके द्वारा काढ़े गये
गुलाब वाले रूमाल
सरकंडे की कलम से शुरू हो कर
अत्याधुनिक पेन तक
कलम
जिसने हस्ताक्षर किए थे
युद्ध की अनगिनत घोषणाओं से लेकर
अनगिनत संधिपत्र तक

मैंने अपनी जेब ख़ाली कर दी है

अब मेरे हिस्से में
कुछ गुंथी हुई ख़ुशबू है
जिन्हें लेकर महाप्रस्थान को तैयार है
योगी

5

कल रात का चांद
बहुत बड़ा था
ख़ूबसूरत था
जादुई था
बिल्कुल तुम्हारी तरह

लेकिन डूब गया आख़िर
झील में डूबे
कंकर की तरह

चांद
एक चमकता हुआ
कंकर है
जिसकी चमक में
शामिल है
करोड़ों कंकालों के
फ़ॉस्फ़ोरस

  • सुब्रतो चटर्जी

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ROHIT SHARMA

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