उत्तर कोरिया के निवासियों के जैसे रहने के लिए अमेरिका के निवासियों को कितना खर्च करना पड़ेगा ? कर दी ना बेतुकी बात ! अब भला दुनिया के ‘गरीबतम’ मुल्कों में गिने जाने वाले उत्तर कोरिया के लोगों का जीवन स्तर की तुलना दुनिया के ‘सबसे अमीर’ मुल्क अमेरिका के लोगों के जीवन स्तर से की जा सकती है भला ! एक बार दोनों देशों की GDP तो देख लेते ! कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली ! फिर भी दोनों देशों के लोगों की जीवन स्तर की तुलना कर के देखने में क्या हर्ज है !
अमेरिका के लास ऐंजेलेस (Los Angeles) शहर में रहने वाली दक्षिण कोरिया मूल की अमेरिकी नागरिक वी छान मी ने कई दफे उत्तर कोरिया की यात्रा की और सितम्बर 2017 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी नागरिकों के उत्तर कोरिया जाने पर पूर्ण प्रतिबंध (जो अभी भी जारी है) लगाने से पहले 2016 में आखिरी बार उत्तर कोरिया की यात्रा की और उन्होंने उत्तर कोरिया की राजधानी फ्यंगयांग और अपने शहर लास ऐंजेलेस के लोगों के जीवन स्तर की तुलना करते हुए एक लेख लिखा जो अमेरिका में दक्षिण कोरियाई प्रवासियों के प्रगतिशील संगठन Korea America National Coordination Council (KANCC) के वेबसाइट में प्रकाशित हुआ. मूल लेख कोरियाई भाषा में है.
वी लिखतीं हैं कि आमतौर पर GDP यानि सकल घरेलू उत्पाद किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का पैमाना होता है और इस सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वे सभी बुनियादी जीवन व्यय शामिल हैं जो हमारे रोजमर्रा के खर्च में शामिल हैं जैसे आवास, बच्चों की देखभाल पर होने वाला खर्च, पढ़ाई और दवाई पर खर्च और अन्य सेवाओं पर खर्च. पर उत्तर कोरिया के मामले में पूंजीवादी तरीके को लागू कर उसके आर्थिक स्तर का मूल्यांकन करना अनुचित होगा. उत्तर कोरिया में वैसी आर्थिक संरचना है जो आवास, बच्चों की देखभाल, दवाई और पढ़ाई बिल्कुल मुफ्त में प्रदान करती है, पारस्परिक सहायता के माध्यम से कई सेवाएं प्रदान करती है, और ईमानदारी से कड़ी मेहनत का पुरस्कार देती है.
पूंजीवादी व्यवस्था में रहतीं आईं वी को उत्तर कोरिया की कई बार यात्रा करने के बाद भी ये समझ नहीं आता था कि उत्तर कोरिया के लोगों के सूकून का क्या राज है. इसलिए उन्होंने उत्तर कोरिया के लोगों के आर्थिक जीवन स्तर का अपने तरीके से मूल्यांकन करने के लिए डाॅलर में हिसाब लगाया कि फ्यंगयांग में रहने वाले एक कामकाजी दंपति के जीवन स्तर को लास ऐंजेलेस में बरकरार रखने के लिए कितना खर्च करना पड़ेगा.
लास ऐंजेलेस शहर में अगर किसी दंपति के दो छोटे बच्चे हैं तो 2 बेडरूम वाले घर की जरूरत होगी. अगर किसी दंपति के एक लड़का और एक लड़की है तो उनके थोड़े बड़े होने पर अलग-अलग कमरे की जरूरत पड़ेगी इसलिए इस स्थिति में तीन बेडरूम वाले घर की जरूरत होगी.
लास ऐंजेलेस में अगर दो बेडरूम वाले साधारण फ्लैट किराये पर लिए जाऐं तो हर महीने 1500-2000 डॉलर खर्च करना पड़ेगा. इसके अलावा बिजली और गैस का बिल उपयोग के हिसाब से देना होगा जो तकरीबन हर महीने 100 डाॅलर पड़ेगा. अमेरिका के प्रत्येक राज्य और शहरों में इस खर्च में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है. वहीं फ्यंगयांग के लोगों को फ्लैट या घर खरीदने या किराए पर लेने में एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता.
कामकाजी दंपति के लिए बच्चों का पालन पोषण बहुत बड़ी समस्या है. अगर बच्चों को देखने वाला कोई नहीं है तो पति पत्नी दोनों एक साथ नहीं कमा सकते. सुबह काम के शुरू होने से शाम को काम खत्म होने तक हफ्ते में 5 दिन बच्चों को डे केयर सेंटर में रखने का खर्चा एक बच्चे पर 1000 से 1500 डाॅलर हर महीने है तो वहीं दो बच्चों पर यही खर्चा हर महीने 2000 से 3000 डाॅलर पड़ेगा. अगर बच्चा बीमार पड़ा तो माता पिता दोनों में से एक को काम से छुट्टी लेनी पड़ेगी.
बच्चों के पालन पोषण में होने वाला ज्यादा खर्चा तो एक समस्या है ही उससे भी ज्यादा मुश्किल भरोसेमंद डे केयर सेंटर या बच्चों की देखभाल करने वाली आया खोजने में है. आसपास ऐसी कई महिलाऐं हैं जिन्होंने ग्रेजुएट होने के बावजूद अपनी आमदनी की तुलना में बच्चों के पालन पोषण पर होने वाले ज्यादा खर्च और बच्चों को रखने वाले भरोसेमंद जगह न खोज पाने के कारण नौकरी छोड़ दी. फ्यंगयांग में डे केयर सेंटर घरों के नजदीक या कार्यस्थलों में होते हैं और बच्चों को वहां रखने के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं होता.
इसके अलावा वी ने फ्यंगयांग में जिन बच्चों की मांओं से मुलाकात की, उनके मुताबिक सभी डे केयर सेंटर में अच्छी तरीके से प्रशिक्षित कुशल कर्मचारी रहते हैं इसलिए अच्छे डे केयर सेंटर खोजने की मशक्कत ही नहीं करनी पड़ती. इसके अलावा माता पिता या बच्चों में से किसी के बीमार पड़ने या माता पिता के लंबे समय के लिए काम से शहर के बाहर जाने की स्थिति में अगर बच्चों की देखभाल के लिए परिवार में कोई नहीं है तो वे बच्चों को डे केयर सेंटर में ही रख देते हैं और इसके लिए भी कोई पैसा नहीं देना पड़ता.
अमेरिका में किंडरगार्टन और प्राइमरी स्कूल में जाने वाले बच्चों के माता पिता जब स्कूल खत्म होने के समय दोपहर के तीन बजने को होते हैं तब वे जल्द काम खत्म कर बच्चों को लाने के लिए उतावले होने लगते हैं. कभी कभी वे अपने परिचितों को अपने बच्चों को लाने का अनुरोध कर सकते हैं लेकिन बच्चों के सुरक्षित उनके जगह तक पहुंचने के सुनिश्चित कर लेने तक उनका दिल बेचैन रहता है. अमेरिका की मांएं इसे 3 बजे का सिंड्रोम कहती हैं.
अगर बच्चों को स्कूल के बाद भी सुरक्षित माने जाने वाले प्राइवेट स्कूलों में डाला जाए तो उसमें हर महीने लगभग 800 से 1000 डाॅलर का खर्च है. वहीं फ्यंगयांग में घरों के पास स्कूल होने के कारण बच्चों का अकेले स्कूल आना जाना सुरक्षित है इसलिए माता पिता को चिंता करने की कोई बात ही नहीं होती.
बच्चों के थोड़े बड़े होने पर उनके अकादमिक प्रदर्शन में सुधार या विभिन्न विषयों के लिए ट्यूशन की जरूरत पड़ती है. सबसे ज्यादा ट्यूशन की जरूरत गणित, संगीत, विज्ञान और स्पोर्ट्स के लिए होती है, इसके अलावे भी ट्यूशन के कई प्रकार हैं और इनपर होने वाले खर्चों में भी अंतर है. पूंजीवादी समाज में माता पिता के आर्थिक रूप से सक्षम न होने या समयाभाव होने के चलते अपने बच्चों की असाधारण प्रतिभा का पता चलने पर भी उसके लिए विशेष शिक्षा के बारे में सपना तक भी नहीं देख सकते.
वहीं फ्यंगयांग में पूरक कक्षाओं की आवश्यकता वाले छात्रों के लिए ट्यूशन और खेलकूद को समूह गतिविधियों के रूप में माना जाता है और उन्हें स्कूली जीवन का हिस्सा माना जाता है, और छात्रों को शिक्षकों द्वारा स्कूल में मुफ्त शिक्षा मिलती है. अगर बच्चा प्रतिभाशाली निकलता है तो उसे मुफ्त में विशेषज्ञों द्वारा विशेष शिक्षा दी जाती है.
उत्तर कोरिया के शिक्षकों में प्रतिभाशाली छात्रों को खोजने का जोश रहता है. अगर उन्हें बच्चों की किसी प्रतिभा का पता चलता है तो वे गांव, कस्बे, पहाड़ कहीं भी जाकर उनके माता पिता को समझाते हैं और वैसे बच्चों की प्रतिभा को विकसित करने के लिए विशेष शिक्षा के लिए तैयार करते हैं. इसलिए उत्तर कोरिया में मांएं पैसे लिए अपने बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षकों को नहीं खोजते चलतीं हैं बल्कि शिक्षक खुद इसके लिए बच्चों और उनके माता पिता को मनाते चलते हैं.
अमेरिका में स्वास्थ्य बीमा का होना बहुत जरूरी है. वहां 4 लोगों के परिवार के लिए हर महीने 1000 डॉलर से उपर का प्रीमियम भरना पड़ता है और हर महीने 2000 डॉलर वाला मंहगा प्रीमियम भी है. हर महीने प्रीमियम भरने पर भी इमरजेंसी के उपयोग, सर्जरी और अस्पताल में भर्ती होने पर भी अलग से पैसे देने पड़ते हैं. अगर मासिक प्रीमियम कम है तो मरने के बाद अतिरिक्त खर्च ज्यादा होगा. वहीं उत्तर कोरिया में मुफ्त चिकित्सा व्यवस्था के चलते इलाज के अलावा अस्पताल में भर्ती होने, सर्जरी इत्यादि के लिए कोई पैसा नहीं लगता.
अमेरिका में 12 साल की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था के चलते हाई स्कूल तक की पढ़ाई में पैसा नहीं लगता पर कालेज की पढ़ाई महंगी है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लास ऐंजेलेस (UCLA) में फीस, होस्टल फीस और किताबों को मिलाकर सालाना लगभग 30,000 डाॅलर का खर्च है, वहीं निजी विश्वविद्यालय दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (USC) में यही खर्च लगभग 70,000 डाॅलर है.
कालेज की फीस हर साल बढ़ती रहती है. जिस छात्र के माता पिता आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं उसे काम करते हुए कर्ज लेकर पढ़ना पड़ता है लेकिन तब से उनके कर्जदार बन जाने और काम की अधिकता से पढ़ाई भी ढंग से नहीं हो पाती है. उत्तर कोरिया में कालेज की शिक्षा समेत सभी तरह की शिक्षा मुफ्त है.
अमेरिका में बच्चों के माता पिता को बीमारी के चलते काम नहीं कर पाने या नौकरी से निकाले जाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बचत करनी पड़ती है, माता पिता की मृत्यु की स्थिति में बच्चों के न्यूनतम जीवन बसर के लिए जीवन बीमा कराना पड़ता है, रिटायरमेंट की तैयारी करते हुए जवानी से ही रिटायरमेंट खाते में पैसे जमा करने पड़ते हैं. असल में अमेरिका में इस स्तर तक भविष्य के लिए ढंग से निवेश करने में सक्षम लोगों की संख्या ज्यादा नहीं है.
जो लोग इन बुनियादी निवेशों को करने में विफल रहते हैं, वे दुर्भाग्य की स्थिति में दिवालिया हो सकते हैं नतीजतन, सभी के पास हर समय चिंतित मन के साथ रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अगर अमेरिका में उत्तर कोरिया के जैसी अनाथों और वृद्धों को मिलने वाली सुविधाएं पानी हैं तो जीवन बीमा और रिटायरमेंट पेंशन के लिए हर महीने 500 डाॅलर से ज्यादा का निवेश करना पड़ेगा.
हमने अभी तक देखा कि लास ऐंजेलेस शहर में दो बच्चों वाले कामकाजी दंपति को घर के किराये, बच्चों के पालन पोषण और स्वास्थ्य बीमा के मद पर खर्च करने के लिए कम से कम हर महीने लगभग 5000 डाॅलर की जरूरत पड़ती है. अगर यहां भोजन, परिवहन, सार्वजनिक सेवाओं (Utilities), कपड़े लत्ते, आपातकालीन खर्चों को जोड़ा जाए तो हर महीने टैक्स काटकर 6000 डाॅलर की आमदनी की जरूरत है और इस तरह पति पत्नी दोनों की आमदनी मिलाकर सालाना 80,000 डाॅलर से ज्यादा होनी चाहिए.
US न्यूज़ एंड वर्ल्ड रिपोर्ट 2010 के अनुसार, अमेरिका में अगर चार व्यक्तियों के परिवार की औसत आय 75,300 से 78,500 डाॅलर के बीच है तो इसे मध्यम वर्ग कहा जा सकता है. इसलिए ऐसे देखा जाए तो फ्यंगयांग के आम लोगों का जीवन स्तर लास ऐंजेलेस के मध्यम वर्ग के जीवन स्तर के बराबर है.
वी छान मी आखिर में लिखतीं हैं कि उनकी नजर में उत्तर कोरिया अमेरिकी साम्राज्यवाद द्वारा उसपर लगाए गए मानव इतिहास के सबसे क्रूर और लंबी अवधि के आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद इस तरह की जनकल्याणकारी व्यवस्था को कायम रख सका तो यह देश के पूर्ववर्ती नेताओं द्वारा लागू की गई स्वतंत्र समाजवादी व्यवस्था को कड़ाई से सुरक्षित रखने के कारण ही है.
अब परमाणु शक्ति बन चुके उत्तर कोरिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा में लग रहे पैसे को आर्थिक विकास में लगाकर हाल के वर्षों में उल्लेखनीय विकास किया है. उत्तर कोरिया अब फ्यंगयांग को एक माॅडल के रूप में सामने रखकर प्रांतीय इलाकों का विकास कर रहा है. इसमें कोई संदेह नहीं कि निकट भविष्य में उत्तर कोरिया शहरों और गांवों, मानसिक और शारीरिक श्रम के बीच के अंतर को मिटाकर न्यायसंगत और समान वितरण वाला दुनिया का आदर्श देश बन जाएगा.
ये देख लीजिए अमेरिका की GDP उत्तर कोरिया के GDP की लगभग 100 गुणा ज्यादा है फिर भी उत्तर कोरिया की आम जनता का जीवन स्तर अमेरिका के बराबर या कई मायनों में अमेरिका से उपर ही है. पूंजीवादी GDP कुछ और नहीं झूठ का पिटारा है.
इस बात को भी बार बार कहे जाने की आवश्यकता है कि उत्तर कोरिया अपनी जनता को मुफ्त पढ़ाई, दवाई और घर बिना कोई टैक्स लिए ही देता है. ऐसा करने वाला वह दुनिया का इकलौता देश होगा. उत्तर कोरिया की सारी खेती बाड़ी, कल कारखाने पूरी तरह से सरकार के हाथों में हैं और इनसे उत्पादन की प्रक्रिया में जो धन उत्पन्न होता है, वो सभी जनता पर ही खर्च होता है. वो भी क्यों न हो, आखिर उत्तर कोरिया को जनता के पैसे पर न किसी धनपशुओं को पालना है और न वहां के नेताओं को अपना घर भरना है.
इस मुगालते में मत रहिए कि केवल राजधानी फ्यंगयांग के लोगों को ही सारी सुविधाएं मिलती हैं. हम जिस बेहतर समाज और व्यवस्था की बात करते हैं वैसी व्यवस्था और समाज उत्तर कोरिया में मौजूद हैं और इस बात को जरूर ध्यान में रखा जाना चाहिए कि उत्तर कोरिया ने ये सब किसी आदर्श परिस्थितियों में हासिल नहीं किया है. एक बार उत्तर कोरिया से सारे प्रतिबंध हटा लिए जाऐं और अमेरिकी साम्राज्यवाद बर्बाद हो जाए फिर उत्तर कोरिया के माध्यम से पूरी दुनिया को यूटोपिया का नजारा भी सचमुच देखने को मिल जाएगा.
- ‘People’s Korea‘
जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) से जुड़े मिथकों और दुष्प्रचार को दूर करने और वहां की समाजवादी व्यवस्था की उपलब्धियों के साथ साथ दक्षिण कोरिया की कड़वी सच्चाइयों को सामने लाने का हिंदी में एक छोटा सा प्रयास. इस ब्लॉग को चलाने वाले कोरियाई भाषा के अच्छे जानकार हैं और कोरियाई प्रायद्वीप से संबंधित अध्ययन से 15 से ज्यादा सालों तक जुड़े हुए हैं.
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