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बुढ़े राजनीतिक कैदियों को समर्पित एक कविता

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ये उम्र जेल जाने का नहीं है
ये उम्र पुलिस की हिरासत में बिताने का नहीं है
ये उम्र तो अपना अनुभव और ज्ञान बांटने का है
नई पीढ़ी को रास्ता दिखाने का है

मैंने पूछा राजद्रोह के आरोप में कैद
बुढ़े कैदी से तो
उसने कहा यही तो कर रहे थे हम
तुम्हें पता नहीं राजा को पसंद नहीं
बुढ़े अपना कर्तव्य निभाएं
हम उसी की कीमत चुका रहे हैं

अब हम ठहरे बुढ़े
भला ये भी नहीं करेंगे तो
क्या करेंगे तुम्हीं बताओ हमें ?
मैं चुप हो गया और सोचने लगा
क्या ज्ञान और अनुभव को भी
कैद किया जा सकता है ?
तब तो ये सभी बुढ़ों को जेल में डाल देंगे
और देश को बुढ़ाविहीन कर देंगे

इतिहास में शायद
यह पहली बार हो रहा है कि
बुढ़ों से किसी राज्य को इतना
खतरा है कि वह उनके खोखने और
बोलने से डर रहा है
कि कहीं कोई बुढ़ा थूक न दे उसके मुंह पर
इसलिए अपना मुंह बचाने के लिए
वह बुढ़ों की मुंह बंद करा रहा है !

  • विनोद शंकर

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ROHIT SHARMA

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