Home कविताएं कहकशां के लिए कौन लड़ेगा ?

कहकशां के लिए कौन लड़ेगा ?

1 second read
0
0
244

मन्दिर से पहले मस्जिद थी
मस्जिद से पहले मन्दिर था
उस मन्दिर से पहले क्या था ?
एक खेत था शायद
धान का होगा या गेहूं का
सबकी भूख से रिश्ता था
भूख का कोई मज़हब नहीं है !

वो खेत कब का ज़ब्त हुआ
उस खेत के लिए कौन लड़ेगा ?

खेत से भी पहले क्या था
अल्लाह राम के नाम से पहले
क़ाबा काशी धाम से पहले
राम-राम सलाम से पहले
शायद घना एक जंगल था
जंगल में सब मंगल था
आदम अभी आदमी नहीं था
उसे आग लगानी नहीं आती थी
आग का कोई मज़हब नहीं है

वो जंगल जल कर राख़ हुआ
उस जंगल के लिए कौन लड़ेगा ?

जंगल से भी पहले क्या था
सां सां करता कहकशां था
हरसूं सिर्फ़ धुआं धुआं था
तूं कहां था, मैं कहां था
ना कोई हिन्दू ना मुसलमां था
ना किसी का नामो निशां था
बेनामोनिशां का कोई मज़हब नहीं था

वो कहकशां अब दैरो-हरम हुआ
कहकशां के लिए कौन लड़ेगा ?

  • विनोद धुवां

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…