Home गेस्ट ब्लॉग उत्तर कोरिया, चीन, रूस के चक्रव्यूह में तबाह होते नाटो देश

उत्तर कोरिया, चीन, रूस के चक्रव्यूह में तबाह होते नाटो देश

10 second read
0
0
328
उत्तर कोरिया, चीन, रूस के चक्रव्यूह में तबाह होते नाटो देश
उत्तर कोरिया, चीन, रूस के चक्रव्यूह में तबाह होते नाटो देश

ताजा समाचारों के अनुसार रूसी सेना ने पिछले 48 घंटे से भी कम समय में नाटो देशों से आये कई नये हथियारों की खेप वाले भंडारगृहों को ध्वस्त करने के साथ यूक्रेन के डेढ़ हजार सैनिकों को ढेर कर दिया है. यूक्रेन के अधिकतर इलाकों में इस समय रेड एयर अलर्ट जारी है. खारकीव, जेपोरेजिया, डोनबास्क इलाकों में रूसी सेना ने बारूदी बवंडर मचा रखा है. एक अनुमान के तहत यूक्रेन के 65 फीसदी शहरों में जनजीवन अस्त-व्यस्त है. खाद्य सामग्री सप्लाई, मेडिकल सर्विस, यातायात व्यवस्था, पावर सप्लाई पूरी तरह तबाह हो चुकी है.

गैर मीडियाई रिपोर्टों के मुताबिक फरवरी 2022 से जारी रूसी सैन्य कार्रवाई के चलते जून 2023 के आखिरी तक यूक्रेन अपने 2 लाख 73 हजार से अधिक सैनिकों की जान गंवा चुका है, 92 हजार सैनिक लापता हैं, 1 लाख 11 हजार सैनिक घायल हुए हैं जिनमें से 38 हजार सैनिक पूरी तरह विकलांग हो चुके हैं. रिहायशी इलाकों में 74 हजार नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं, 67 हजार नागरिक घायल हैं, जिन्हें कोई भी स्तरीय मेडिकल सुविधा नहीं मिल पा रही है. 1 करोड़ 62 हजार से अधिक लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं. स्थिति बहुत भयावह व त्रासदपूर्ण है और ये आंकड़े विचलित कर देने वाली रफ्तार से बढ़ते जा रहे हैं, बावजूद यूक्रेनी राष्ट्रपति के कानों में अपने नागरिकों की दारुण चीत्कार का रत्ती भर असर नहीं पड़ रहा है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमरीका व नाटो देशों को हथियारों की पूर्ति के लिए इतना रगड़ दिया है कि अब नाटो देश खुद अपनी सुरक्षा को कमजोर होता महसूस कर रहे हैं. अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से निकली एक खबर के अनुसार, ‘यूक्रेन पर हथियार लुटाते लुटाते अमरीका की सैन्य स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अमरीका इस वक्त किसी अन्य देश से सीधे युद्ध नहीं कर सकेगा. अमरीका को इसके लिए अगले 18 साल तक पहले अपने हथियारों के खाली हो चुके भंडारों को बहाल करना होगा.’ इससे ये साफ समझ आ जाता है कि जब अमरीका की हालत इतनी खराब हो चुकी है तो बाकी नाटो देशों का यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने में आनाकानी करना जायज है.

हालांकि नाटो देश अपनी कंगाली को रूस के आगे जाहिर नहीं होने दे रहे हैं लेकिन 31 देशों में से सिर्फ 14 देश ही अब नाटो के सक्रिय सदस्य रह गये हैं, जिससे साफ पता चलता है कि नाटो देश बुरी तरह यूक्रेन युद्ध में फंस चुके हैं. अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन ने खुद माना है कि ‘यूक्रेन में नाटो देशों का शक्ति प्रदर्शन हर मोर्चे पर निराशा पैदा करने वाला रहा है.’

क्लस्टर बमों पर रुस की चेतावनी से बाइडेन के होश फाख्ता

बेलारूस की खुफिया एजेंसी ने एक चौंकाने वाली खबर देकर अमरीका समेत नाटो देशों के होश फाख्ता कर दिये हैं. खबर में कहा गया है कि अमरीका से आई क्लस्टर बमों की खेप खारकीव से 80 किलोमीटर पश्चिम में एक अज्ञात जगह पर बहुत गुप्त तरीके से ठिकाने लगाई गई थी, जो एक रूसी मिसाइल के निशाने से पूरी तरह तबाह हो गई है हालांकि ख़बर में ये भी कहा गया है कि रूसी सेना ने वो मिसाइल एक यूक्रेनी सेना की सैन्य छावनी को निशाना बनाकर छोडी थी.’ हालांकि यूक्रेनी सेना ने इसे अफवाह बताया है और ‘क्लस्टर बमों के इस्तेमाल के लिए अभी सही मौका नहीं है’ कहकर मामला रफा-दफा कर दिया है. वहीं रूस ने एक दो जगहों पर अपने क्लस्टर बमों का शक्ति प्रदर्शन जरूर किया है.

हालांकि यूक्रेन ने क्लस्टर बमों की शुरुआत तो की थी जिसमें एक रूसी पत्रकार की भी जान चली गई थी. उसके बाद यूक्रेन की तरफ से क्लस्टर बमों के इस्तेमाल की नई खबर नहीं आ रही है. क्लस्टर बमों को लेकर यूक्रेन के साथ कुछ तो जरूर हुआ है वरना जेलेंस्की जिस क्लस्टर बम के लिए अमरीका को ब्लैक मेल तक करने लगे थे उस क्लस्टर बम की खेप यूक्रेन में पहुंचने के बाद भी जेलेंस्की अब चुप क्यों हैं ! कुछ लोग इसे पुतिन की चेतावनी का असर भी बता रहे हैं जिसमें पुतिन ने यूक्रेन के क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर बाइडन को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी.

यूक्रेन इस समय बेहद बुरे दौर में है. अमरीका नाटो जेलेंस्की ने फरवरी 2022 में रूस को पस्त करने के लिए जो प्लान तैयार किया था वो सिरे से बेमतलब साबित हुआ है. दो दिन पहले फ्रांस के एक अखबार में दावा किया गया है कि चीन और उत्तर कोरिया रूस को अपने व्यापारिक जहाजों के जरिए बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार भेज रहे हैं. समाचार में कहा गया है कि उत्तर कोरिया और चीन से रूस पहुंचने वाले सभी हथियार रूसी रक्षा विभाग की जरूरत के हिसाब से निर्मित हैं, साथ में ये भी दावा किया गया है कि ‘पोलैंड, ताइवान, जापान में क्रमशः रूस चीन उत्तर-कोरिया अपनी अपनी सेना के साथ युद्ध में उतरने के आखरी सैन्य औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं.

बहरहाल, युद्ध में हार जीत कयासों से नहीं शक्ति से तय होती है और विजयी राष्ट्र जहां एक ओर अपनी जान गंवा चुके सैनिकों की याद को विजयोत्सव में गूंथ देता है वहीं हारा हुआ देश अपने जीवित सैनिकों के साथ भी शोक संतृप्त होता है. हार की इस बेइज्जती का स्वाद वियतनाम युद्ध में बुरी तरह मुंह की खा चुका अमरीका भी चख चुका है और अब जेलेंस्की भी चखने जा रहे हैं.

नाटो के खात्मे तक जारी रहेगा जंग

‘पुतिन उस दिन तक युद्ध से पीछे नहीं हटने वाले हैं जब तक नाटो संगठन ये आधिकारिक घोषणा न करे कि सभी नाटो सदस्य देशों को सूचित किया जाता है कि नाटो संगठन को निष्क्रिय किया जाता है…’. बेलारूस की समाचार एजेंसी बेलटीए ने कहा है कि ये बात ब्रिटेन खुफिया एजेंसी MIS यानी, MI6 के प्रमुख रिचर्ड मूर ने अमरीकी सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स से साझा की है. हैरानी की बात ये है कि सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स भी इस रिपोर्ट से इत्तेफाक रखते नजर आ रहे हैं.

नाटो देशों के विलनियस शिखर बैठक के बाद पश्चिमी देशों में जिस तरह से रूस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर सामरिक व राजनीतिक समीकरण तेजी से उथल पुथल की चपेट से गुजर रहे हैं, उस लिहाज से बेलारूसी समाचार एजेंसी के इस दावे पर संदेह नहीं किया जा सकता. नाटो के विलनियस शिखर बैठक में जेलेंस्की को जहां एक ओर यूक्रेन के नाटो सदस्य बनने पर आनाकानी कर दी गई, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन को रूसी हमलों के करारे जबाब के लिए अत्याधुनिक हथियारों व करोड़ों डालर के पैकेज देने पर भी सहमति बनाई गई लेकिन, विलनियस शिखर बैठक के दो तीन हफ्ते बाद ही सारे नाटो देश यू-टर्न लेते हुए यूक्रेन को युद्ध सामग्री देने से किनारा करने लगे हैं.

एक हफ्ते पहले ब्रिटेन ने जहां एक ओर यूक्रेन को हथियार सप्लाई देने में अपने को अमेज़न शापिंग वेबसाइट न होने की बात कही, वहीं दूसरी ओर दो दिन पहले ही अमरीका ने यूक्रेन को अपने हथियारों की मदद वाले पैकेज से क्लस्टर बम न देने का फैसला ले लिया है. यही नहीं अमरीका ने अपना सबसे अत्याधुनिक फाइटर जेट F-16 को देने में भी भारी सुस्ती जाहिर की है. अमरीका के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने तो यहां तक कह दिया है कि ‘हम F-16 से यूक्रेन युद्ध के नतीजों को यूक्रेन के पक्ष में होने का दावा नहीं कर सकते हैं.’ इस पूरे मामले में जेलेंस्की क्रुद्ध खिन्न होकर मन मसोस कर रह गए हैं.

उधर दूसरी तरफ़ रूस ने ब्लैक-सी पर पश्चिमी देशों के किसी भी शिप के आने-जाने पर न केवल बैन लगा दिया है बल्कि सख्त चेतावनी दी है कि काला सागर में किसी भी शिप की आवाजाही को दुश्मन का शिप माना जायेगा और उसे मिसाइल से ध्वस्त कर दिया जायेगा. इससे यूरोप के साथ-साथ एशिया में भी त्रासदपूर्ण खाद्य संकट पैदा होने के आसार जाहिर हो रहे हैं लेकिन ये युद्ध है, यहां शत्रु के साथ रियायतों का कोई दस्तूर नहीं होता.

भारत का नजरिया

दूसरी तरफ भारत का नाटो-अमरीका को अनदेखा करने से यूरोपीय देशों की त्यौरियां चढ़ी हुई हैं. अमरीका ने भारत को नाटो प्लस में शामिल करने की ख्वाहिश जाहिर की थी जिसे भारत के रक्षा मंत्री ने खारिज कर दिया था. वजह साफ थी रूस यूक्रेन युद्ध जारी है और चीन इस वक्त रूस का सबसे अच्छा मददगार देश है. चीन और रूस नाटो से भारी स्तर पर खुन्नस में हैं. ऐसे में भारत अपने पड़ोसी देश चाइना के साथ बहुत लंबे समय तक राजनीतिक मतभेद मोल नहीं लेना चाहता है. यहां तक कि क्वाड संगठन के प्रति भी भारत का कोई उत्साही नजरिया नहीं है.

अमरीका ने भारत की बेरुखी को भांपकर ही भारत को चिढ़ाने के लिए पाकिस्तान को आण्विक रूप से भारत की तुलना में अधिक सुरक्षित क़रार दिया है. भारत भी अमरीका की परवाह किए बिना ये एहसास कर चुका है कि नाटो की निगरानी में जिस यूक्रेन का वजूद खंडहर में तब्दील हो गया है, उस नाटो से ज्यादा नजदीकी रखना आत्मसुरक्षा के साथ खतरा मोल लेना ही होगा. इसीलिए भारत रूस को ब्रह्मोस देने के लिए भी सक्रियता दिखा रहा है और ब्रिक्स देशों के बीच स्वयं को निर्णायक भूमिका में रखकर चाइना के साथ संबंधों की पुनर्बहाली पर ध्यान दे रहा है.

हालांकि ये पूंजीवादी साम्राज्य है. इसमें दुनिया के किसी भी पूंजीवादी मुल्क से मानवीय दृष्टिकोण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. यहां मुनाफा पहले है इसमें भारत, भला पीछे क्यों रहेगा. और मुनाफा लूटने में जो जितना अधिक खतरा लेगा उसके ताकतवर बनने की संभावना उतनी प्रबल होती है. ये अलग बात है कि लुटेरों का भाग्य हमेशा उनके साथ नहीं होता है नतीजतन ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मन, पाकिस्तान, श्रीलंका आज जिस तरह से अपने नागरिकों के बीच गृहयुद्ध जैसे हालातों का सामना कर रहे हैं, उस तबाही को खूनी दावत उन्होंने खुद अपने हाथों से दी है.

  • ऐ. के. ब्राईट

Read Also –

पुतिन की दहशत और नाटो शिखर बैठक कराहपूर्ण नतीजों के साथ खत्म
रुस-यूक्रेन युद्व में अमरीका ने सबको फंसा दिया है
किसी भी कीमत पर मानवता के दुश्मन अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो को ध्वस्त करे रुसी और दुनिया की जनता
अमेरिकी साम्राज्यवाद को अब ही उसे रुस के रुप में वास्तविक चुनौती मिली है
रुस जैसे भरोसेमंद दोस्त को खोकर अमेरिका से दोस्ती गांठने का साहस मोदी जैसे अवसरवादी के पास भी नहीं
यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा – तीसरा विश्वयुद्ध या जलेंस्की वध ?
उड़ीसा के कंधमाल में रुसी पर्यटकों की मौत
जेलेंस्की के खिलाफ रुसी कार्रवाई में पश्चिमी मीडिया के झूठे प्रोपेगैंडा से सावधान
रुस के सामने घुटने टेकते नवनाजी जेलेंस्की और बौराता भारतीय फासिस्ट शासक

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…