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बनारस में सर्व सेवा संघ पर चला बुलडोजर, यह मोदी का गांधी पर हमला है

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बनारस में सर्व सेवा संघ पर चला बुलडोजर, यह मोदी का गांधी पर हमला है
बनारस में सर्व सेवा संघ पर चला बुलडोजर, यह मोदी का गांधी पर हमला है
कृष्ण कांत

अरे भूरे अंग्रेजों, कायरों की तरह चुपके-चुपके गांधी की संस्था पर बुल्डोजर क्या चलवाते हो ? हिम्मत करो और असली तानाशाह की तरह सामने आओ. मुनादी कर दो कि अब देश में गांधी के नाम पर कोई संस्था नहीं रहेगी.

बनारस स्थित गांधी विद्या संस्थान और सर्व सेवा संघ परिसर में बुलडोजर भेजा गया है. परिसर में सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात करके छावनी बना दिया है. मूर्ति फेंक दी गई. पुस्तकालय और आवास को खाली करा लिया गया है. किताबें और सामान उठाकर बाहर फेंक दिया गया है. खबरें हैं कि रात तक सर्व सेवा संघ परिसर ध्वस्त कर दिया जायेगा.

[बनारस में सर्व सेवा संघ गांधी संस्थाओं का कैंपस खाली करा दिया गया. सामान फेंक दिया गया. यह मोदी का गांधी पर हमला है. वीडियो में जागृति राही दिखाई दे रही है.]

यह परिसर डॉ. राजेंद्र प्रसाद, विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण की भी विरासत है. इन लोगों ने जनता से धन एकत्र करके इसे महात्मा गांधी जी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बनवाया गया था, जिस पर ये आततायी लोग बुलडोजर चलवा रहे हैं. कहा जा रहा है कि यह परिसर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण है.

कोई इन गद्दारों से पूछे कि क्या डॉ. राजेंद्र प्रसाद, विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण आदि सब अतिक्रमणकारी थे ? जिन्होंने यह देश आज़ाद कराया, वे अतिक्रमणकारी हो गये ? आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति ने तो वह भवन बनाने में मेहनत की तो रेलवे को वह जमीन किसने दी थी ?

उन्हीं अंग्रेजों ने ना जिनकी तुम गुलामी करते थे ? जिनके तुम जासूस थे ? इतिहास में जाकर अंग्रेजों का बदला ले रहे हो गांधी से ? तुम उनकी गुलामी से बाहर कब निकलोगे ? जिस दिन यह जनता इतिहास में जाकर तुम्हारा हिसाब करेगी, उस दिन तुम्हें मुंह छुपाने को खोह नहीं मिलेगी.

असली बात तुम स्वीकार नहीं कर सकते कि तुम्हें गांधी से चिढ़ है और तुम्हें लगता है कि उनके कुछ आश्रम ख़त्म करके तुम गांधी को मिटा दोगे. हर तानाशाह ऐसे ही सोचता है. तुम ऐसा सोचते हो क्योंकि तुम कायर हो.

वह आत्मशक्ति और वह नैतिक बल तुममें नहीं है जो गांधी को महात्मा बनाता है. जिस नैतिक बल के साथ गांधी दुनिया के सबसे बड़े और आततायी साम्राज्य के सामने खड़ा रहा, लाओ वह नैतिक बल और कर दो गांधी को नेस्तनाबूद. कर पाओगे ?

तुम नहीं कर सकते. तुम कायर हो. तुम्हारी श्वानवृत्ति से हम परिचित हैं. तुम सौ साल से महात्मा की पूंछ मे चुटकी काट-काट कर भाग रहे हो. पिछले नौ साल से भी तुम यही कर रहे हो. राजघाट पर फूल चढ़ाते हो, आईटी सेल बनाकर गांधी को गाली दिलवाते हो, गांधी के हत्यारे के मंदिर बनवाते हो, पर दुनिया को दिखाते हो कि तुम गांधी को बहुत मानते हो. पता है क्यों ? क्योंकि तुम कायर हो.

हिम्मत है तो करो एलान कि अब हिंदुस्तान में गांधी का नाम लेना देशद्रोह होगा ! जो गांधी का नाम ले, उसकी जबान कटवा लो. जो गांधी पर लेख लिखे, उसका हाथ कटवा लो. जो गांधी के सामने सिर झुकाये, उसका सिर कटवा लो. अभी-अभी अमेरिका जाकर गांधी को फूल चढ़ा रहे थे और लौटकर बनारस के सर्व सेवा संघ पर बुल्डोजर भेज दिया है !

तुम इस पूरी दुनिया को खोद कर पाताल बना दो, फिर भी अगर इंसानियत का वजूद रहेगा तो गांधी नाम का विचार मौजूद रहेगा. मुझे इस देश की सामूहिक चेतना पर यकीन है. आज नहीं तो कल, अपना सबकुछ गंवा कर ही सही, यह मानस जागेगा. तब तक जितना तबाही मचानी है, मचा लो. गांधी से यह परसंताप और यह ईर्ष्या तुम्हारे चेहरे पर कालिख की तरह पुती हुई है, इसे तुम कभी छुड़ा नहीं सकते हो.

बाकी गांधी का क्या है, वह तो मोहनदास था. टैगोर की नजरों से महत्मा बना, नेताजी सुभाष की नजरों से राष्ट्रपिता बना, जनता की नजर में बापू बना, दुनिया की नजर में वैश्विक शांतिदूत बना. वह अपने प्रति तुम्हारे हर कुकर्म के लिए तुम्हें माफ़ कर देगा. तुम्हें नहीं पता है तुम किससे लड़ रहे हो ! तुम बहुत बेचारे हो. तुम सूरज पर थूक रहे हो. तुम पर लानत है !

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