जगदीश्वर चतुर्वेदी
क्रांतिकारियों को जिन लोगों ने नहीं देखा है, क्रांतिकारी विचारों को जिन लोगों ने नहीं पढ़ा है उनके लिए क्रांतिकारियों का व्यक्तित्व, उनका स्वभाव, उनकी आत्मीयता, भाईचारा, संवेदनशीलता जानने का एक ही तरीका है उनके गुणों को जानना और सीखना. ये बातें उन युवाओं के लिए ज्यादा मूल्यवान हैं जो विगत पच्चीस साल में पैदा हुए और बड़े हुए हैं. इन युवाओं ने मार्क्सवाद विरोधी, साम्यवाद विरोधी और क्रांतिविरोधी विचारों को देखा है और सुना है. कारपोरेट मीडिया के प्रतिक्रांतिकारी झंझावात से जो युवा गुजरे हैं, उनके लिए क्रांतिकारियों के गुणों को जानना बेहद जरूरी है.
अर्नेस्टो चे ग्वेरा एक ऐसा ही क्रांतिकारी था जिसने समूची दुनिया के युवाओं पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. वह सारी दुनिया में गुरिल्ला संग्राम के महासेनानी के रूप में जाना गया. सारी दुनिया के गुरिल्ला और गुरिल्ला विरोधी सेनाएं उसके युद्धकौशल से सीखती रही हैं. आज भी उसे गुरिल्ला संग्राम के बेजोड़ योद्धा के रूप में याद किया जाता है. उसे सभी लोग प्यार से ‘चे’ के नाम से पुकारते हैं.
‘चे’ का अपने छात्रजीवन में सबसे अलग चरित्र था. वह अलग दिखता था. चे ने अपनी वेशभूषा पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया. उलझे हुए बाल, फटे हाल जूते और सिलबटें पड़ा जैकेट पहने वह हमेशा चलता रहता था. उसके इर्द-गिर्द अर्जेन्टाइना के युवा लोग अपने जूतों को पालिश से चमकाने और बालों को सुसज्जित रखने में गर्व महसूस करते थे.
आई. लेव्रेत्स्की ने चे के बारे में लिखा है कि अर्नेस्टो अपने तीखे स्वभाव और चुभने वाले हास-परिहास के कारण अलग-थलग दिखाई देता था. सवाल उठता है कि चे में ऐसी कौन सी चीज थी जो आकर्षित करती थी ? वह थे उसके आंतरिक गुण -उसका शौर्य, साथियों की मदद करने की तत्परता, उसका स्वच्छंद स्वभाव, उसकी कल्पना और सर्वोपरि उसका साहस.
अपने गंभीर रोग के बावजूद वह खेलकूद और हंसी मजाक में सबसे आगे रहता था. इस सबके बाद भी उसके और उसके मित्रों के बीच एक अभेद्य सीमारेखा बनी रहती थी, जिसे पार करना आसान नहीं था. उसके पास एक काव्यात्मा भी थी. काव्यप्रेम को वह अपने जीवन के अंतिम समय तक छोड़ नहीं पाया था. इसके अलावा उसके पास पुराने रोग से पीड़ित बच्चे का सरलता से घायल होने वाला नाजुक मिजाज था.
उसके जीवन में दो अपवाद थे. चिन चीना, जिसे वह बचपन से प्यार करता था और अलबर्टो ग्रैनडास. ये दोनों अपवाद तर्कसंगत थे. चे की सुरक्षित सीमाओं को पार करने का हक सिर्फ इन दोनों को था. इन सुरक्षित सीमाओं को पार करने का हक चे जैसे युवा लोग या तो महबूबा को देते हैं जो अक्सर मित्र स्वभाव और दिमाग की होती है, या मित्र को, जो अपने मित्र स्वभाव से उतना ही अलग होते हैं जितना कि खरिया मिट्टी और पनीर के स्वभाव में अन्तर पाया जाता है, इसके बावजूद भी वह अपने मित्र के आन्तरिक जीवन में अतिक्रमण नहीं करते, नहीं आत्मिक गुरू और रक्षक होने का दावा पेश करते हैं. वह इतने क्रूर और जालिम भी नहीं होते कि मित्रता के एवज में अन्ध समर्पण और शर्तविहीन निष्ठा की मांग करें.
चिन चीना को चे बेइंतहा प्यार करता था. वह उससे शादी भी करना चाहता था. चिन चीना अर्जेन्टाइना के एक बड़े ही समृद्ध सामंत परिवार की बेटी थी. चिन चीना के जीवन में वह सब कुछ उपलब्ध था, जो चे के पास नहीं था. वह देखने में बहुत ही सुंदर थी, उसे देखकर लोग आहें भरते थे. उसके पास बेशुमार दौलत थी और कारडोवा के धनी-मानी परिवारों में चिन चीना की एक प्यार भरी नजर पाने वालों की लंबी लाइन लगी हुई थी. उससे शादी के दीवानों की लंबी लाइन थी. जहां तक चे का सवाल है वह चिन चीना के घर रस्मी दावतों में अपने फटे-पुराने कपड़ों और फटे जूते में जाता था. इसके अलावा उसके तीखे उत्तरों, अभिजातवर्ग के राजनीतिक देवताओं पर तीक्ष्ण कटाक्षों से दम्भी लोग तिलमिला जाते थे.
चे ने एक बार चिनचीना के सामने प्रस्ताव रखा कि वह अपने पिता का घर छोड़ दे, धन -दौलत के बारे में भूल जाए, और उसके साथ वेनेजुएला चले जहां वह अपने मित्र अलबर्टो ग्रैनडास के साथ कोढ़ियों की बस्ती में रहकर उनकी सेवा करेगा, परन्तु चिन चीना ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. चिनचीना एक सामान्य लड़की थी और चे से उसका प्यार भी सामान्य ही था.
वह चे के साथ शादी करने को तैयार थी परन्तु इस शर्त पर कि वह उसके साथ रहे या स्पष्ट रूप में कहा जाय कि यदि वह उसकी मर्जी के अनुसार कार्य करे. वेनेजुएला के जंगलों में जाकर कोढ़ियों की सेवा करने की उसकी स्वप्न दृष्टि योजना को चिन चीना महान और मर्मस्पर्शी तो मानती थी, परन्तु उसकी दृष्टि में वह व्यावहारिक योजना नहीं थी.
नैतिक रूप से ऊपर उठे हुए और एक साधारण सांसारिक प्राणी के बीच -अर्थात काव्य और घिसे पिटे गद्य के बीच-समझौताविहीन विवाद शुरू हो गया. इस विवाद पर समझौता नहीं हो सका. दोनों में से कोई भी अपनी बात से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं था. फलस्वरूप दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए. चिनचीना ने दूसरी जगह शादी कर ली जो सफल रही और चे ने ऐसा मार्ग चुन लिया जहां से पीछे मुड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता था.
क्रांतिकारी चेग्वेरा
चे ग्वेरा का जीवन सारी दुनिया में युवाओं के लिए मिसाल रहा है. चे की बुनियादी विशेषता थी अपने विचारों को सही सिद्ध करने के लिए जान को जोखिम में डालना. विचारों को खरा साबित करने के लिए बड़ी से बड़ी जोखिम उठाना. उसकी इसी भावना ने उसे दुनिया के महानतम क्रांतिकारियों की कतार में पहुंचा दिया.
चेग्वेरा को नयी किताबों को पढ़ने का शौक था, इसके चलते उन्होंने एकबार एक पुस्तक प्रदर्शनी में रात्रि को चौकीदारी की नौकरी कर ली और फिर एक के बाद एक नयी किताबें पढ़ डाली. इसके बाद उन्होंने अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करके एक स्थानीय अस्पताल में अलर्जी वार्ड में नौकरी ले ली. इसके कुछ दिन बाद नेशनल यूनीवर्सिटी के चिकित्सा विभाग में लेक्चर भी दिए.
चे ने अपने बच्चों के नाम लिखे पत्र में लिखा है- ‘सबसे महत्वपूर्ण है दुनिया में, जहां भी अन्याय हो रहा हो, उसके विरूद्ध पूरी तरह सचेत रहो. किसी भी क्रांतिकारी का यह सबसे प्रशंसनीय गुण है.’
चे ग्वेरा की क्रांति की व्याख्या- फिदेल कास्त्रो
सन् 1965 के दौरान चे ग्वेरा के गायब हो जाने को लेकर तरह-तरह की अंफवाहें उड़ाई जा रही थी. इस तरह की भ्रमपूर्ण और गलत खबरों को जानबूझकर हवा दी जा रही थी, जिसमें क्रांतिकारी दस्तों में फूट पड़ जाए. इन अफवाहपूर्ण खबरों में दावा किया जाता था कि फिदेल कास्त्रो और चे ग्वेरा के बीच विद्यमान राजनीतिक समझदारी का अंत हो गया है, यह कि कास्त्रो ने चे पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, उन्हें निर्वासित कर दिया गया है, या कि चे की हत्या की जा चुकी है. जानबूझकर पूर्वोक्त किस्म के विभ्रमों को सप्रयास फैलाया जा रहा था.
28 सितंबर 1965 को आयोजित एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए फिदेल कास्त्रो ने घोषणा की कि –
‘कुछ ही दिनों में वह चे ग्वेरा के उस पत्र को सार्वजनिक करेंगे जिसे चे ने क्यूबा छोड़ने से बिलकुल पहले लिखा था. इसी सभा में कास्त्रो ने कहा, ‘आने वाले अवसर पर हम जनता को कामरेड अर्नेस्टो चे ग्वेरा के बारे में बताएंगे.’ कास्त्रो ने इसके आगे कहा कि ‘शत्रु इस मामले में एक बहुत बड़ी साजिश का अनुमान कर रहा है और ढेरों भ्रम फैला रहा है कि वे यहां हैं, कि वे वहां हैं, वे जिंदा हैं या उनकी मृत्यु हो चुकी है.
‘इस समय वे भ्रमित हैं और लगातार भ्रमों की ही खोज कर रहे हैं. वे कपटपूर्ण बातें बना रहे हैं. हम कामरेड अर्नेस्टो चे ग्वेरा के एक दस्तावेज को आपके सामने लाना चाहते हैं, जिसमें उन्होंने अपनी अनुपस्थिति के बारे में बताया है, उसकी व्याख्या की है. लेकिन जैसा मैंने आपको पहले ही बताया कि इसके लिए एक पूरी बैठक की आवश्यकता होगी (‘अभी’ की आवाजें). अभी नहीं, क्योंकि मैं यहां वह दस्तावेज नहीं लाया हूं. वैसे मैंने यह घोषणा साधारण रूप में ही की है….जैसा मैंने आपको बताया कि उस अवसर पर हम (चे) के उस दस्तावेज को पढ़ेंगे और कुछ मुद्दों पर चर्चा भी करेंगे.’
कास्त्रो द्वारा इंगित बैठक से तात्पर्य क्यूबाई कम्युनिस्ट पार्टी की नव गठित केंद्रीय समिति के साथ आयोजित बैठक से था, जिसका सार्वजनिक रूप से सीधा प्रसारण हुआ. पार्टी की इस नवगठित केंद्रीय समिति में स्पष्ट रूप से चे ग्वेरा का नाम नहीं था. इस तथ्य को फिदेल कास्त्रो ने अपने 3 अक्टूबर 1965 को दिए गए भाषण में स्पष्ट किया. इस सभा में श्रोताओं के रूप में ग्वेरा का परिवार भी उपस्थित था. पार्टी की हमारी केंद्रीय समिति से एक खास व्यक्ति अनुस्थित है जिसमें सभी आवश्यक वरीयताएं और गुण विद्यमान हैं, लेकिन उस व्यक्ति का नाम पार्टी की केंद्रीय समिति के घोषित सदस्यों में नहीं है.
‘शत्रु इसमें सक्षम है कि वह इस विषय में कोई इंद्रजालिक कल्पना कर ले लेकिन इन भ्रमों को उत्पन्न करने की कोशिशें करते हुए शत्रु थक चुका है, वह संशय और अनिश्चितता उत्पन्न करने की अपनी कोशिशों से परेशान हो चुका है और इस सबका हमने बहुत धैर्यपूर्वक इंतजार किया है क्योंकि ऐसे समय पर इंतजार करना आवश्यक था. यह अंतर क्रांतिकारियों और प्रति-क्रांतिकारियों, साम्राज्यवादियों और क्रांतिकारियों के बीच का है. क्रांतिकारी जानते हैं कि इंतजार किस तरह से किया जाता है. हम जानते हैं कि किस तरह से धैर्य रखा जाता है. हम कभी निराश नहीं होते हैं जबकि प्रतिक्रियावादी, प्रति-क्रांतिकारी हमेशा निराशा की स्थिति में ही रहते हैं, सतत उद्विग्नता के शिकार रहते हैं और निरंतर झूठ बोलते रहते हैं. और यह सब भी वे अत्यंत छिछले और घृणित तरीके से ही करते हैं.
‘आप उन यांकी सीनेटरों और अधिकारियों की लिखी चीजें पढ़ें, तब स्वयं से प्रश्न करें; जो व्यक्ति अपने सहयोगियों के साथ संतुलित बरताव नहीं कर पा रहा है वह कांग्रेस में क्या करता होगा ? इनमें से कुछ तो सर्वोच्च स्तर की मूर्खता का ही प्रतिनिधित्व करते हैं. ये लोग विस्मयकारी ढंग से झूठ बोलने की आदत से ग्रस्त हैं. सच मायने में वे झूठ बोले बिना जीवित ही नहीं रह सकते हैं. वे सचाई से भयग्रस्त रहते हैं. वही, यदि क्रांतिकारी सरकार एक बात कहती है, तो आगे भी वही बात कहती है. जबकि शत्रु इसमें तीव्रता देखते हैं, भयावहता देखते हैं, और सबसे बड़ी बात कि वे इस सबके पीछे एक योजना, षडयंत्र देखते हैं ! यह सब कितना हास्यास्पद है ! वे किस डर में जीते हैं !
‘और इस सबको देखकर आप कह सकते हैं : क्या वे इसी पर विश्वास करते हैं ? क्या वे जो कहते हैं उन पर विश्वास करते हैं ? क्या वे अपनी ही कही बातों पर विश्वास करने की आवश्यकता महसूस करते हैं ? क्या वे उन सब बातों पर विश्वास किए बिना जीते हैं, जिन्हें वह दिन-प्रतिदिन कहते रहते हैं ? या वे इसीलिए सब कुछ कहते हैं कि उस पर विश्वास नहीं किया जाए ?
इस विषय में कुछ भी कहना मुश्किल है. असल में चिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों के मस्तिष्क में क्या है ? कौन सा डर है जो उन्हें हर चीज भयग्रस्त कर देती है या किसी भी चीज से उन्हें तीव्र, लड़ाकू और आतंककारी योजना का ही आभास होता रहता है ? वे बिलकुल नहीं जानते कि साफ हाथों और सचाई से लड़ाई करने से बेहतर कोई और तकरीब या रणनीति नहीं होती क्योंकि यही वे हथियार हैं, जो आत्मविश्वास पैदा करते हैं, विश्वास बढ़ाते हैं, सुरक्षा, गरिमा और नैतिकता को बढ़ाते और प्रसारित करते हैं. और हम क्रांतिकारी शत्रुओं को पराजित करने, उन्हें नेस्तनाबूत करने के लिए इन्हीं हथियारों का प्रयोग करते हैं.
‘झूठ! क्या आज तक किसी ने क्रांतिकारियों के मुंह से झूठ सुना है ? झूठ वह हथियार है जो कभी भी क्रांतिकारियों की मदद नहीं कर सकता है और किसी भी गंभीर, अच्छे क्रांतिकारी के लिए इस बेहूदे हथियार की कभी कोई आवश्यकता भी नहीं रही है. उनका हथियार तर्क होता है, नैतिकता होता है, सचाई होता है, एक विचार की रक्षा करना होता है, एक प्रस्ताव होता है, एक पक्ष (पोजीशन) ग्रहण करना होता है.’
संक्षेप में, हमारे विरोधियों द्वारा प्रयुक्त नैतिकता संबंधी नियमावली वास्तविकता में दयनीय है. इस तरह भविष्यवक्ता, पंडित, क्यूबाई मामलों के विशेषज्ञ नियमित रूप से काम कर रहे हैं कि सामने आ पड़ी इस पहेली को सुलझाया जा सके. क्या चे ग्वेरा की मृत्यु हो चुकी है ? क्या अर्नेस्टो चे ग्वेरा बीमार हैं ? क्या अर्नेस्टो चे ग्वेरा के क्यूबा से मतभेद उत्पन्न हो चुके हैं ? और भी इसी तरह के ढेरों बेहूदा कयास. स्वाभाविक रूप से यहां के लोगों का विश्वास मजबूत है.
यहां लोग विश्वास करते हैं लेकिन शत्रु इसी तरह की चीजों का प्रयोग करता है, विशेषकर बाहर रहकर वह भ्रम फैलाते हैं. वे हमारे ऊपर मिथ्यापवाद करते हैं. यहां, क्यूबा के विषय में उनका कहना है कि यहां एक विध्वसंक, भयावह कम्युनिस्ट शासन है. बिना कोई सबूत छोड़े लोग यहां से गायब हो रहे हैं. बिना कारण बताए उन्हें निर्वासित किया जा रहा है और जब लोगों ने उन सबकी अनुपस्थिति को रेखांकित किया, तब हमने कहा कि हम उन्हें उचित समय पर वह सब बताएंगे. इसका मतलब इंतजार करने का कोई कारण था.
हम साम्राज्यवादी शक्तियों की घेरेबंदी में रहते और काम करते हैं. यह विश्व सामान्य परिस्थितियों में नहीं है. इतने लंबे समय तक वियतनामी लोगों के ऊपर यांकी साम्राज्यवाद के आपराधिक बम गिरते रहे, हम नहीं कह सकते कि हम सामान्य परिस्थितियों में हैं. स्थिति ऐसी है कि 1,00,000 से अधिक यांकी सैनिक मुक्ति आंदोलन का दमन करने के लिए भूमि पर उतर चुके हैं. अब साम्राज्यवादी भूमि के सैनिक एक गणतंत्र में, जिसे अन्य गणतंत्रों के समान अधिकार प्राप्त है, वे सैनिक उसकी सार्वभौमिकता को नष्ट कर रहे हैं. यह स्थिति डोमनिक गणतंत्र की तरह है.
तात्पर्य यह है कि विश्व सामान्य परिस्थितियों में नहीं है. जब हमारे देश घिरे हुए हैं, तब साम्राज्यवादी भाड़े के टट्टू और नियोजित आतंकवादी कार्रवाइयां बेहूदे तरीके से की जा रही हैं; जैसे कि सिएरा एरेनजाजू (निष्काषित किए गए प्रति-क्रांतिकारियों द्वारा स्पेनी व्यापारिक जहाज पर आक्रमण) के मामले में हुआ. उस समय साम्राज्यवादी धमकाते थे कि वे लैटिन अमरीका या विश्व के किसी भी देश में हस्तक्षेप कर सकते हैं.
तात्पर्य सीधा है कि हम सामान्य परिस्थितियों में नहीं रह रहे हैं. हम क्रांतिकारी कभी सामान्य परिस्थितियों में नहीं रह पाते हैं. बावजूद इसके, उस समय जब हम भूमिगत रूप से बाटिस्टा की तानाशाही का मुकाबला कर रहे थे, तब भी हमने संघर्ष के नियमों का पालन किया. इसी तरह, जब इस देश में क्रांतिकारी सरकार की स्थापना हो गई, विश्व को इसे वास्तविक रूप में स्वीकार करना चाहिए था. लेकिन ऐसी स्थिति में भी हमने (तब भी) संघर्ष के नियमों का उल्लंघन नहीं किया. इसका सीधा मतलब है कि विश्व सामान्य परिस्थितियों में नहीं है.
इसकी व्याख्या के लिए मैं अर्नेस्टो चे ग्वेरा के हस्तलिखित-टाइप पत्र को पढ़ने जा रहा हूं, जो सारे मामले की स्वयं ही व्याख्या करता है. मुझे विस्मय होगा यदि मुझे अपनी मित्रता और साथीपन को बताने की आवश्यकता हो कि कैसे इस मित्रता की शुरुआत हुई और यह किन परिस्थितियों में इसका विकास हुआ. मुझे लगता है कि इसकी आवश्यकता नहीं. मैं स्वयं को उनके पत्र को पढ़ने तक ही सीमित रखूंगा.
मैं इसे पढ़ता हूं – ‘हवाना…..’ इसमें कोई तारीख नहीं पड़ी है, क्योंकि इस पत्र के विषय में उद्देश्य था कि उसे किसी उचित अवसर पर पढ़ा जाए. लेकिन ध्यान रहे कि यह इसी साल के अप्रैल की पहली तारीख को प्राप्त हुआ था. आज से बिलकुल छह महीने और दो दिन पहले. मैं इसे पढ़ना शुरू करता हूं –
‘हवाना
कृषि वर्ष
फिदेल :
इस क्षण मैं कई चीजें याद कर रहा हूं. वह क्षण जब मैं तुमसे (क्यूबाई क्रांतिकारी) मारिया एंटोनियो के घर पर पहली बार मिला था. उसी समय तुमने मुझसे साथ काम करने का प्रस्ताव दिया था. शुरुआती तैयारियों के दौरान ढेरों समस्याएं और तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ा. एक दिन वे वापस आए और पूछा कि मौत के मामले में किसको जिम्मेदार ठहराया जाए, और वास्तव में इस सबकी जिम्मेदारी किसके ऊपर है. बाद में हमने इस सचाई को जाना कि क्रांति (यदि यह वास्तविक हो) में या तो व्यक्ति जीतता है या फिर उसकी मृत्यु होती है. हमारे कई साथी हमें विजय के रास्ते पर छोड़कर आंख मूंद कर चले गए.
‘आज ये सारी चीजें कम नाटकीय प्रतीत होती हैं क्योंकि हम अधिक परिपक्व हो चुके हैं लेकिन घटनाएं तो स्वयं को दोहराती हैं. मुझे प्रतीत होता है कि क्यूबाई क्रांति के साथ संबद्ध मैंने अपने कर्तव्य को पूरा कर दिया है और अब मैं तुमसे विदा कहता हूं. सभी साथियों को और तुम्हारे आदमियों को, जो अब मेरे हैं, विदा कहता हूं. अब मैं औपचारिक रूप से पार्टी की नेतृत्व स्थिति के साथ मंत्रीपद और कमांडर के ओहदे से भी त्यागपत्र देता हूं. इसके साथ ही साथ मैं क्यूबाई नागरिकता से भी त्यागपत्र देता हूं. इसके साथ क्यूबा के प्रति मेरा कोई विधिक दायित्व शेष नहीं रह गया है लेकिन अब दायित्व कुछ प्रकृति का हो गया है. एक ऐसी प्रकृति का दायित्व जिसे उस तरह से नहीं तोड़ा जा सकता है, जिस तरह किसी पद के साथ संलग्न दायित्व से पृथक हुआ जाता है.
‘अपने पिछले जीवन को याद करते हुए मुझे विश्वास है कि मैंने पर्याप्त एकलयता और समर्पण के साथ क्रांतिकारी कार्यों और उसकी विजय में योगदान किया है. केवल मेरी पहली गंभीर असफलता ने तुम्हारे ऊपर मेरे विश्वास को बढ़ा दिया है. सिएरा मनेस्ट्रा के पहले क्षण से ही नेतृत्व और क्रांतिकारिता के तुम्हारे गुण को शीघ्रता से नहीं सीख पाया हूं.
‘वास्तव में मैं यहां बहुत ही भव्य और गरिमामय दिनों में रहा हूं. कैरेबियन (मिसाइल) संकट के बुरे समय में भी तुम्हारी तरफ से तुम्हारे लोगों के जुड़ाव को तीव्रता से महसूस करता रहा हूं. उन दिनों को याद करते हुए कहता हूं कि ऐसा शायद ही कभी हुआ हो, जब किसी नेतृत्वकर्ता ने तुम्हारी तरह की बुध्दिमत्ता का प्रदर्शन किया हो. मैं स्वयं पर गर्व करता हूं कि मैंने तुम्हारा अनुकरण किया.
‘बिना किसी झिझक के तुम्हारे प्रति यह आस्था इसके साथ जुड़े खतरों का आकलन करते हुए और सिद्धांतों पर आस्था रखते हुए थी. संसार के कई अन्य देश भी मेरे साधारण प्रयासों की उपेक्षा कर रहे हैं. मैं उन दायित्वों को पूरा कर सकता हूं, जिन्हें तुमने अस्वीकृत किया है. जाहिर सी बात है कि तुम्हारी जिम्मेदारी क्यूबाई प्रमुख के रूप में है. इस कारण हम दोनों के अलग होने का समय आ गया है.
‘मैं जानता हूं कि वह अवसर गम और खुशी दोनों का है. मैं अपनी सबसे शुद्धतम आशाएं निर्माता और अपने आत्मियों में सबसे प्रिय के प्रति छोड़े जाता हूं. साथ ही एक ऐसे व्यक्ति से दूर हो रहा हूं, जिसने मुझे एक पुत्र की तरह प्यार किया है. सच में, यह बात मेरी भावनाओं पर एक जख्म की तरह है. मैं एक नए युद्ध क्षेत्र की ओर इस विश्वास के साथ जा रहा हूं कि तुम मेरा मार्गदर्शन करोगे. मेरे लोगों की भावनाएं किसी पवित्र कर्तव्य को पूरा करने और साम्राज्यवाद के प्रति लड़ने के लिए विद्यमान हैं. यह आश्वासन सभी आंतरिक घावों और चोटों से बढ़कर है.
‘मैं एक बार पुन: दोहराता हूं कि अब उदाहरणों के सिवा क्यूबा के प्रति मैं अपनी समस्त जिम्मेदारी से मुक्त होता हूं. लेकिन यह याद रखना कि यदि मेरा अंतिम समय किसी दूसरी धरती-आकाश के नीचे आता है, निश्चित रूप से मेरा अंतिम विचार तुम्हारे लोगों के बारे में ही होगा. मैं तुम्हारी शिक्षाओं और तुम्हारे द्वारा दिए गए उदाहरण के लिए तुम्हें शुक्रिया अदा करता हूं. और मैं कोशिश करूंगा कि मैं अपने कार्यों को अंतिम परिणाम तक पहुंचा सकूं.
‘हमारी क्रांति की विदेश नीति के लिए मुझे हमेशा याद किया जाएगा, शायद आगे भी. मैं जहां भी रहूंगा, क्यूबाई क्रांतिकारी होने के दायित्व का निर्वाह करूंगा, और इसी गरिमा के अनुरूप व्यवहार भी करूंगा. मुझे खेद है कि मैं अपने बीवी-बच्चों के लिए कुछ भी नहीं छोड़कर जा रहा हूं लेकिन मैं इस स्थिति में भी खुश हूं. मुझे उनके लिए इसके अलावा और कुछ नहीं चाहिए कि राज्य उन्हें रहने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध करा दे और पर्याप्त शिक्षा दिला दे. तुमसे और अपने लोगों से कहने के लिए बहुत सारी बातें हैं, लेकिन मुझे महसूस होता है कि वे अनावश्यक हैं. शब्द सब कुछ नहीं व्यक्त कर सकते हैं, जिनकी हम उनसे अपेक्षा करते हैं. और मैं नहीं सोचता कि अनावश्यक ही ढेरों पृष्ठ रंगे जाएं.
‘विजय की ओर आगे हमेशा ! मृत्यु या जन्मभूमि ! मैं अपने समस्त क्रांतिकारी उत्साह के साथ तुम्हारा आलिंगन करता हूं.
‘चे.’
जो लोग क्रांतिकारियों के विषय में कहते हैं, और विश्वास करते हैं कि क्रांतिकारी व्यक्ति ठंडे, असंवेदनशील और भावनाहीन व्यक्ति होते हैं, उनके लिए यह पत्र सभी किस्म की भावनाओं, संवेदनाओं के साथ परिपूर्णता का उदाहरण होगा. कॉमरेड यह कोई जिम्मेदारी नहीं, जिसका हमसे जुड़ाव हो. हम सब क्रांति के प्रति जबाबदेह हैंऔर यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपनी सर्वोच्च क्षमता के साथ क्रांतिकारी आंदोलन का समर्थन और सहयोग करें.
हम इस जिम्मेदारी इसके परिणाम और इसके साथ जुड़े खतरों का भी अहसास करते हैं. हम इन सात वर्षों से अधिक के समय में यहां साम्राज्यवादी शक्तियों की उपस्थिति को अच्छी तरह समझ गए हैं. साथ ही इस बात को भी अच्छी तरह से समझ गए हैं कि यहां किस तरह लोगों का शोषण किया जाता है और उन्हें किस तरह उपनिवेशित किया जाता है. हम इन विद्यमान खतरों के साथ आगे बढ़ेंगे और लगातार क्रांति के दायित्व को निभाते रहेंगे.
इस कर्तव्य को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है और कामरेड चे ग्वेरा की पूर्वोक्त भावनाओं के प्रति अत्यधिक सम्मान है. यह आदर स्वतंत्रता और अधिकार के प्रति है. वह सच्ची स्वतंत्रता है. उनकी स्वतंत्रता नहीं, जो हमें बेड़ियों में कसना चाहते हैं, बल्कि उन लोगों की स्वतंत्रता है जिन्होंने गुलामी की जंजीरों के विरुद्ध बंदूकें उठाई हैं.
मि. (राष्ट्रपति) जॉनसन, हमारी क्रांति एक अन्य तरह की स्वतंत्रता का दावा करती है ! और वह जो क्यूबा छोड़कर साम्राज्यवादियों के साथ रहने के लिए जाना चाहते हैं, वह लोग जो साम्राज्यवादियों के लिए काम करने कांगो और वियतनाम जाना चाहते हैं, वे यह सब कर सकते हैं. सभी जानते हैं कि साम्राज्यवादियों की ओर से नहीं, बल्कि क्रांतिकारियों की ओर से जब भी लड़ाई के लिए आवश्यकता होती है, इस देश के प्रत्येक नागरिक ने कभी इनकार नहीं किया है.
यह एक स्वतंत्र देश है मि. जॉनसन, सभी के लिए स्वतंत्र ! और वह मात्र एक पत्र नहीं था, इसके अलावा हमारे पास अन्य साथियों के पत्र और शुभकामनाएं आ चुकी हैं. ये पत्र ‘मेरे बच्चों के लिए’ या ‘मेरे माता-पिता के लिए’ हैं. हम इन सभी पत्रों को उनसे संबंधित रिश्तेदारों और साथियों को देंगे. लेकिन इसके बावजूद हम उनसे यह अनुरोध भी करेंगे कि वे इन पत्रों को क्रांति को समर्पित कर दें, क्योंकि हमें विश्वास है कि ये दस्तावेज इतने महत्वपूर्ण हैं कि वे इतिहास का हिस्सा बनेंगे.
मुझे विश्वास है कि अब सभी चीजों की व्याख्या हो गई है. यहां हमें यही सब बताना था. बाकी को शत्रुओं की चिंताओं के लिए छोड़ देते हैं. हमारे सामने पर्याप्त लक्ष्य हैं, कई कार्य हैं जिन्हें पूरा करना है. अपने देशवासियों और विश्व के प्रति कई कर्तव्यों को निभाना है, और हम सब उसे पूरा करेंगे.
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