Home ब्लॉग स्मार्टसिटी फरीदाबाद : विश्व गुरु के अमृतकाल में भी शौचालय की मांग अपराध है ?

स्मार्टसिटी फरीदाबाद : विश्व गुरु के अमृतकाल में भी शौचालय की मांग अपराध है ?

10 second read
0
0
383
स्मार्टसिटी फरीदाबाद : विश्व गुरु के अमृतकाल में भी शौचालय की मांग अपराध है ?
स्मार्टसिटी फरीदाबाद : विश्व गुरु के अमृतकाल में भी शौचालय की मांग अपराध है ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने हर उस वादा से नाता तोड़ लिया है, जिसकी मांग करते हुए वह सत्ता पर काबिज हुआ था. इसमें सबसे महत्वपूर्ण मांग शौचालय का भी था. बकौल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शौचालय, मंदिर से भी अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन उसके सत्ता पर काबिज होने के नौ साल बाद भी उसके हर वादे की ही तरह शौचालय की मांग भी आपराधिक मांग में शामिल हो चुकी है. कुछ ऐसा ही नजारा पेश किया है फरीदाबाद में क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा की शौचालय की मांग को लेकर होने वाले प्रदर्शन पर पुलिसिया हमला को लेकर.

क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए प्रशासन पर आरोप लगाया है कि मोर्चा द्वारा फरीदाबाद में आयोजित नगर निगम आयुक्त के सम्मुख, 29 मई को होने वाले आक्रोश प्रदर्शन को विफल करने के लिए मुजेसर पुलिस ने अनोखा दमनकारी हथकंडे को अपनाया. मुजेसर पुलिस को जब मालूम हुआ कि शौचालय की बुनियादी मांग को लेकर पूरी मज़दूर बस्ती की महिलाऐं पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ आक्रोश प्रदर्शन में जाने वाली हैं तब इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने जो घोर जनवाद-विरोधी, संविधान विरोधी, परोक्ष दमनकारी, अनोखे हथकंडे को अपनाया, उसकी तफ्शील ज़रूरी है, जिससे आगे लोग सावधान रहें.

प्रदर्शन को विफल करने के लिए कॉ. नरेश की गिरफ्तारी

मोर्चा ने अपने प्रेस नोट में बताया कि सुबह 8 बजे से ही आज़ाद नगर के मज़दूर, जिनमें महिलाऐं पुरुषों से ज्यादा थी, प्रदर्शन में जाने की तैयारी कर रहे थे तब ही, मुजेसर थाने की एक जिप्सी प्रमुख चौक पर आकर खड़ी हो गई. 4 पुलिस वाले, बस्ती में चक्कर मारने लगे. एक-दो जगह कुछ युवकों की तलाशी ली गई, मानो वे किसी खास व्यक्ति की तलाश में हैं. लोगों में उत्साह की जगह, भय और आशंका ने जन्म ले लिया.

तब ही, पुलिस ने, मोर्चे के अध्यक्ष कॉमरेड नरेश को हिरासत में ले लिया. कारण पूछने पर कुछ नहीं बताया, बस धक्काशाही. ऐसा वे पहले भी कर चुके थे, इसलिए तुरंत पुलिस कमिश्नर से शिकायत की गई. तब, एक घंटे बाद उन्हें छोड़ा गया. क्या पुलिस किसी को भी बिना वज़ह बताए, बिना शिकायत, उठा सकती है ? क्या बिना घोषणा किए, संविधान का राज़ ख़त्म किया जा रहा है ? ये सवाल जन-मानस और मीडिया में छाया रहा.

शौचालय के अभाव ने जान ले ली गुडिया की

ज्ञातव्य हो कि पूरे 9 महीने बीत गए, जब 11/12 अगस्त की रात आज़ाद नगर की 11 वर्षीय मासूम गुडिया, बस्ती में सार्वजनिक शौचालय ना होने के कारण, शौच के लिए रेल पटरियों के किनारे गई थी, जिसे बेइन्तेहा हैवानियत के बाद मार डाला गया. ऐसी जघन्य घटना घटने के बाद भी हरियाणा सरकार, फरीदाबाद प्रशासन तथा नगर निगम आयुक्त को बार-बार ज्ञापन/शिकायत देने के बाद भी आज़ाद नगर में सार्वजनिक शौचालय की मांग की फाइल आज भी बंद है, जो राज्य और केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों का सबसे बड़ा सबूत है और मोदी सरकार के वादों का मजाक भी.

मजदूरों की बस्ती आज़ाद नगर में अगर शौचालय होता तो गुड़िया आज जीवित होती. आज भी आजादनगर की महिलाएं-बच्चियां दुर्घटना या अन्य हैवानियत के खौफ के बावजूद रेल पटरियों के किनारे शौच जाने को विवश हैं.

कैसा विश्वगुरु ? कैसा अमृतकाल ?

प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री जी चीख-चीखकर सारे देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर चुके हैं, जबकि प्रधानमंत्री निवास से महज़ 25 किमी की दूरी पर हजारों लोग अभी भी खुले में शौच जाने के लिए मज़बूर हैं. महिलाओं का खुले में शौच जाने से अपमानजनक कुछ भी नहीं है. ये देश कैसा विश्वगुरु है, ये कैसा अमृतकाल है, आजादनगर के हैरान मजदूर, महिलाएं और बच्चियां इसका जबाब चाहती है.

गुड़िया को न्याय, पुराने शौचालय की मरम्मत, नए शौचालय का निर्माण और सामुदायिक केंद्र की मरम्मत, सफ़ाई और रखरखाव के मुद्दों को लेकर क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा 15 अगस्त, 2022 से लगातार जन-आंदोलन करता आ रहा है. प्रशासन तभी से कहता आ रहा है कि टेंडर हो चुका है, काम शुरू होने ही वाला है, लेकिन ज़मीन पर एक फावड़ा भी अभी तक नहीं लगा है.

हलांकि एक बार फिर अतिरिक्त आयुक्त ने स्थानीय मीडिया, सभा और कार्यालय में उपस्थित जन-समुदाय के समक्ष लोगों को भरोसा दिलाया है कि नए शौचालय के टेंडर में अब विलम्ब नहीं होगा. पुराने शौचालय और सामुदायिक केंद्र की मरम्मत भी सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखी जाएगी. देखते हैं उनकी कथनी और करनी समान है या कुछ और ?

स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में शौचालय के नाम पर लूट

स्मार्ट सिटी फरीदबाद में बीते पांच साल मे करीब 7.47 करोड़ रुपये शौचालयों के नाम पर खर्च किए गए, फिर भी जरुरतमंद लोगों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है. विदित हो कि नगर निगम ने बीते पांच साल में करीब 5.27 करोड़ रुपये और स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करीब 2.20 करोड़ रुपये खर्च किए गए. शहर के विभिन्न इलाकों में नगर निगम ने करीब 77,88,447 रुपये के पोरटेबल शौचालय स्थापित खरीदे गए, जिसका कोई अता-पता नहीं है. करीब 3.93 करोड़ रुपये की लागत के 292 शौचालय शहर के विभिन्न इलाकों में रखवाये गये, जिनमें से अधिकांश अब गायब हो चुके हैं.

सफलता के साथ सम्पन्न हुआ मोर्चा का आक्रोश प्रदर्शन

सभा को प्रमुख रूप से क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष कामरेड नरेश और महासचिव कामरेड सत्यवीर सिंह ने संबोधित किया. कॉमरेड रिम्पी और श्रीमती किरण ने भी अपनी मुसीबत मीडिया को समझाई. एक और खास मुद्दे को प्रशासन और पुलिस के संज्ञान में लाया गया. 11 वर्षीय गुड़िया के आरोपी के पकड़े ना जाने के कारण, पीड़ित मज़दूर, विधवा महिला को जो अनुसूचित जाति से हैं, निर्धारित 8.5 लाख रुपये का मुआवज़ा अभी तक नहीं मिल पाया और एफआईआर में एस सी-एस टी एक्ट भी नहीं लगाया गया.

लाल झंडों, ज़ोरदार नारों के अतिरिक्त, आन्दोलनकारियों द्वारा अपनी कमीज़ों पर लगाई ये तख्तियां, विशेष आकर्षण का केन्द्र रहीं. ‘मज़दूर भी इंसान हैं; हुकूमत को ये बात हम समझाकर रहेंगे’, ‘मज़दूर, महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ना जानते हैं’, ‘सभी मज़दूर बस्तियों में शौचालयों की व्यवस्था करनी होगी’, ‘जिस देश में महिलाओं को खुले में शौच को जाना पड़े, उसके शासकों को डूब मरना चाहिए’, ‘आजाद नगर में शौचालय होता तो हमारी गुडिया जिंदी होती’ की ज़ोरदार नारों और बड़ी तादाद में उपस्थित जन-सरोकार मीडिया को तहे दिल से आभार व्यक्त कर सभा समाप्त हुई.

Read Also –

जमीन से बेदखली के खिलाफ उत्तर प्रदेश में आक्रोश प्रदर्शन
भीषण गर्मी में एयर वॉशर न चलाए जाने के कारण बेलसोनिका में प्लांट के अंदर मज़दूरों का विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शन करने के अधिकारों के खिलाफ बनता कानून

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…