अंग्रेजों के जिस राजदंड से जनता पे जुल्म करते थे इस राजदंड को पंडित नेहरू ने इलाहाबाद संग्रहालय में दफना दिया था, अंग्रेजों के दलाल उसे भारतीय संसद में स्थापित करने जा रहे हैं.
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में राजदंड क्यों स्थापित किया जाएगा ? अगर राजदंड स्थापित होगा तो राजा कौन होगा ? क्या मध्ययुगीन राजशाही वापस आने वाली है ?
गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया है कि नई संसद में राजदंड स्थापित किया जाएगा. नई संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा. अमित शाह ने बताया कि सेंगोल इससे पहले इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा था. यह भी बताया कि जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों ने इसे पंडित नेहरू को सौंपा था.
सत्ता हस्तांरण के समय जिस राजदंड को अंग्रेजों ने नेहरू को सौंपा, वह इलाहाबाद के संग्रहालय में क्यों रखा था ? क्योंकि राजदंड राजा की शक्ति का प्रतीक है. उस समय यह अंग्रेजी राजशाही के प्रतीक के रूप में नेहरू को सौंपा गया, जिसका मतलब हुआ कि अब सत्ता भारत के हाथों में सौंपी जाती है. तब भारत लोकतंत्र नहीं था. उसके बाद भारत लोकतंत्र बना और उस ‘राजदंड’ को नेहरू ने संग्रहालय में रखवा दिया.
यह ‘सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक’ था. उस समय सत्ता एक साम्राज्य से हस्तांरित हुई, जिसे भारत की जनता ने लड़कर छीनी थी. आज कौन-सा सत्ता हस्तांतरण हो रहा है ? जब नेहरू को राजदंड सौंपा गया तो अंग्रेजी साम्राज्य से सत्ता का हस्तांतरण हुआ था, अभी कौन किसे सत्ता सौंप रहा है ? 2023 में भारत को किससे आजादी मिलने जा रही है ?
अंग्रेजों से सत्ता ट्रांसफर हो रही थी तब इस गिरोह के लोग अंग्रेजों के लिए मुखबिरी कर रहे थे. 75 साल बाद आजादी याद आई है. ब्रिटेन में राजशाही थी तो ब्रिटिश सरकार ने भारत को राजदंड सौंपा. 75 साल से यहां लोकतंत्र है. आधुनिक तुगलक को अब मध्ययुगीन राजदंड क्यों स्थापित करना है ? राजा-रानी मर गए, प्रजातंत्र आ गया, तब राजदंड का क्या काम ?
ये पूरा भाजपाई गिरोह पागल हो गया है क्या ? ये भारत को मध्ययुगीन रजवाड़ा बनाना चाहते हैं ? हर सुबह इस लोकतंत्र के ताबूत में एक कील ठोंक दी जाती है. उन्हें यह लोकतंत्र अखरता है. उन्हें लोकतंत्र नहीं चाहिए. क्या आपको भी नहीं चाहिए ?
- विष्णु पाठक
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Om Prakash
May 27, 2023 at 3:52 pm
इतिहास के तथ्यों से एक और खिलवाड़
तमिलनाडु के पुरोहितों द्वारा भारत के होने वाले पहले प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू को उपहार स्वरूप दिए गए #sengol को भाजपा ने 1947 में हुए सत्ता हस्तांतरण के ‘प्रतीक’ से जोड़ दिया. ख़बर है कि पार्लियामेंट के नए भवन में उसे स्थापित किया जाएगा. #sengol राजतंत्र में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक हुआ करता था, लोकतन्त्र में उसका क्या काम? 14 अगस्त 1947 की रात नेहरू अपना प्रसिद्ध भाषण tryst with destiny दे रहे थे न कि ‘राजदंड’ सम्भाल रहे थे. BJP की असली मंशा किसी से छुपी हुई नहीं है!
#SengolAtNewParliament