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सिंधु घाटी बनाम हिन्दू घाटी…और नाककटा दाढ़ीवाला

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सिंधु घाटी बनाम हिन्दू घाटी...और नाककटा दाढ़ीवाला
सिंधु घाटी बनाम हिन्दू घाटी…और नाककटा दाढ़ीवाला
मनीष सिंह

तो पहले बताइये कि सिंधु घाटी के अवशेषों को जब आपने बचपन में पढ़ा, तो क्या समझा था ? आपने सवाल भी परीक्षा में हल किया होगा- सिंधु घाटी के शहरों के प्रमुख गुण बताइये.

उत्तर लिखा- यहां अन्न के गोदाम थे, बंदरगाह थे, समकोण पर काटती सड़कें, उनके किनारे दोनों तरफ जल निकासी की नाली, स्नानागार थे, बाजार थे, प्रशासनिक शहर अलग था, सीलें थी, नर्तकियां थी, बैलगाड़ी थी.

तो क्या सिंधु घाटी सभ्यता बड़े-बड़े गांव की सभ्यता थी ??

शहरीकरण एक सभ्यता का पिनाकल है- सबसे उत्कृष्ट फल. शहर का मलतब आसपास के गांवों का एक केंद्र, जो आसपास के गांव, बस्तियों, दस्तकारों और खेतों की उपज का एक्सचेंज करने वाला इंटरफेस.

शहर में खेत नहीं होते. तब फैक्ट्री नहीं होती थी. सब कुछ आसपास के गांवों से आता. यहां भंडारण होता, बल्किंग और ग्रेडिंग होती. देश विदेश भेजा जाता. याने सिर्फ शहर नहीं, आसपास बडी मात्रा में गांव बसे थे, पूरी व्यवस्था थी. गांव के अवशेष खत्म हो जाते हैं. शहरों के अवशेष रह गए.

सील बताती है कि हुंडी, याने बैंकिंग सिस्टम चलता था. व्यापार पर चुंगी दी जाती याने, सिटी की एक गवरमेंट थी. ऑर्गनाइज्ड शहर बताते हैं कि बसाने वाले आर्किटेक्चर समझते थे. जल जनित रोग और स्वास्थ्य से वाकिफ थे. सामूहिक स्नानागार सोशल मीडिया थे, जहां लोग पानी मे डूबे गपियाते थे. जाहिर है यह निर्माण निजी नहीं होगा, तो सरकार का ध्यान वेलफेयर पर था.

तकरीबन सभी शहरों में ईंटों का आकार एक जैसा है. यानी, कोई सेंट्रल गवरमेंट भी थी. ये जो बंदरगाह थे, वे नदियों के पास थे, याने नहर खोदकर विशाल तालाब और उसके किनारों पर बंदरगाह बनाने की विद्या, तकनीक, फाइनांस और गवर्मेंट मौजूद थे.

इस तरह आधुनिक युग में, आप जो वेलफेयर गवरनेन्स से अपेक्षा करते हैं, वह सब कुछ सिंधु घाटी सभ्यता में दिखता है. तो मान लीजिये दुनिया जब कांसे और पत्थर से जूझ रही थी, भारत में एक पूरा विकसित देश मौजूद था. इसके बाद एकाएक …सब कुछ नष्ट हो जाता है. गायब…!

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इतिहास फिर से शुरू होता है. एक नया भारत बनता है, जहां सोसायटी प्रिमिटिव स्टेज में जा चुकी है. गौ पूजा, यज्ञ हवन (ऋग्वेद), जादू-टोना (अथर्ववेद) में लौट गई. इनमें जंगल में बसने वाले छोटे-छोटे कबीलों, उनकी बेसिक मिनिमल लाइफ का विवरण मिलता है.

सभ्यता यहां से वह फिर जीरो से शुरू करती है. ग्राम, विश्, जन, जनपद, महाजनपद … कोई एक हजार साल बाद एक ऑर्गनाइज्ड नगर मिलता है. बिम्बिसार का लड़का उदायिन, मगध के करीब नई राजधानी बसाता है – राजगृह

ऐसा क्या हुआ, जो भारत की सभ्यता एकाएक गायब हो जाती है ? जिस जगह पर वह थी, उसी बिंदु पर लौटने में एक हजार साल लगते हैं ?

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सिंधु घाटी सभ्यता में एक दाढ़ी वाले की तस्वीर मिली है. उसकी नाक कटी हुई है. हो न हो, मुझे लगता है कि इस आदमी ने ही जरूर कुछ गड़बड़ की होगी.

कोई लिखित प्रमाण तो नहीं, मगर इतिहास अगर भविष्य की झलक देता है, तो वर्तमान से भी इतिहास की झलक देखी जा सकती है. आखिर तीन हजार साल बाद भी एक दाढ़ी वाले को हिन्दू सभ्यता का नाश करते देख ही रहे हैं.

तो सिंधु सभ्यता में ऐसा क्यों नहीं हो सकता ? दो हजार साल बाद भारत की खुदाई से बन्द पड़े कारखाने, खाली गोदाम, बेतरतीब विशाल शहर, और ऑक्सीजन के अभाव में मरे लोगों के कंकाल से भरे मन्दिर और राजप्रासाद मिलेंगे, तो उसके साथ एक दाढ़ी वाले की अनगिनत तस्वीरे भी मिलेंगी – मोर को दाना खिलाते हुए…!

तब इतिहासकारों के सामने प्रश्न होगा, ये कौन सी सभ्यता है ?? सिंधु सभ्यता या हिन्दू सभ्यता !!!

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