बीहड़ से बीहड़ में भी अगर
किसी वट, पीपल या बेल के नीचे
तुम्हें एक जलता हुआ दीया दिख जाए
तो समझ लेना कि
वहां पर कुछ या एक अकेली
स्त्री रहती है
शह्र के सबसे व्यस्त सड़क किनारे
बचे हुए पीपल के तने में अगर
तुम्हें मौली का कोमल बंधन दिख जाए
तो समझ लेना कि
शहर की स्त्रियों को भी
तुम्हारी आधुनिकता से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है
मिसेज़ फलाना
बांह पर पीपल का डंठल बांधना
पसंद नहीं करती है
इसलिए रत्न भंडार का
चक्कर लगाती हैं
रामदीन की बुधिया
इलाहाबाद की सड़क पर
पत्थर तोड़ते हुए भी
उस एक दिन की तलाश में रहती है
जिस दिन अपनी मांगों के समर्थन में
कोई शहर को बंद करने निकलेगा
हाथों में नारी उत्पीड़न के खिलाफ
तख़्तियां ले कर
और बुधिया निकल जाएगी
पीठ पर बेतरा बाँधे
अपने मंगरुआ को लेकर
किसी मज़ार की तरफ़
पैदल
स्त्रियां
जलद के पत्तों पर
ओस की बूंद को
अनिश्चित के विरुध्द
थामे रखने की
आदिम कोशिश का नाम है
- सुब्रतो चटर्जी
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