फरीदी अल हसन तनवीर
क़सम से अमितशाह जी की गृहमन्त्रित्व वाली दिल्ली पुलिस ने धरने पर बैठी महिला पहलवानों की अस्मत पर हाथ डाल दिया हो तो…किम आश्चर्यम ? जेएनयू और दिल्ली की लड़कियों, जामिया की लड़कियों पर हमले, छेड़छाड़ के समय तो आप खींसे निपोरते हुए चियार रहे थे. इस पुलिस ने तो जामिया की लड़कियों और लाइब्रेरी के छात्रों तक को नहीं छोड़ा था.
तो भक्त की तर्ज पर ये सवाल मैं पूंछता हूं तब विनेश फोगाट (हां जी महान महावीर फोगाट की छोरी बबिता नहीं, इतना फ़र्क़ तो हम भी जाने हैं), बजरंग पुनिया और दूसरे सेलिब्रिटी क्या कर रहे थे ? ट्वीट्स खंगाल डालिये…!
अच्छा पुलिस आ गयी, मार कुटाई कर गई, छेड़ छाड़ कर गई ! क्या कोई मुसलमानों का छोरा बंदूक कट्टा लेकर तो चढ़ न आया ? कोई जाट गुर्जरों का छोरा ? किसी शर्मा का छोरा ? पाले तो ये भी गए थे न आपके परिवारों में ? क्या नहीं ? क्या मुसलमानों पर इनके रेप्लिका का कोई टोटा है ? लेकिन फिर भी कोई न आया विरोध करने, धमकाने भारत माता की जय करते हुए !
इसी से आप समझ जाइये कि वे आपके जैसे मौकापरस्त, सरोकारविहीन, सरकारी चमचों के जायज़ विरोध के समर्थन में अभी भी हैं. ये जानते हुए भी कि आप और आपके लौंडे दिल्ली, हरियाणे, वेस्ट उत्तरप्रदेश में पार्कों में चंद मिनट की जुमे की नमाज़ का भी कैसे विरोध करते हो ? और डीजे पर क्या बजाते नाचते हैं ! और इस धरने से उठकर आप फिर मौका मिलने पर फिर से वैसी ही गंदगी बिखेरोगे.
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