कटघरे में खड़े सुकरात को
जब जहर पिलाने का आदेश दिया जा रहा था
तो कई ‘समझदार’ लोगों ने न्यायधीशों को समझाया
‘यह ठीक नहीं है,
इससे न्याय पर लोगों का विश्वास उठ जाएगा.’
न्यायधीशों का तर्क था,
हमे नंगे राजा की इज्जत की हर हाल में रक्षा करनी है,
यही आज का कानून है,
हमें आज की चिंता है,
कल की नहीं.
न्यायधीशों का अड़ियल रुख देखकर
‘समझदार’ लोग सुकरात की ओर मुखातिब हुए,
जो न्यायधीशों की आंखों में घूरते हुए
जहर के प्याले का इंतजार कर रहा था,
‘तुम्हारे सामने अभी पूरी जिंदगी पड़ी है,
तुम्हें अभी बहुत कुछ करना है’
‘माफी मांग लो, क्या फर्क पड़ता है ?’
सुकरात के कान में वे फुसफुसाये
सुकरात जहर के प्याले को हाथ मे लेते हुए
हौले से मुस्कुराया,
‘मुझे आज की नहीं, कल की चिंता है !!
मुझे भविष्य की चिंता है.’
यह कहकर सुकरात ने एक बार में ही प्याला गटक लिया !
- मनीष आजाद
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