आभा शुक्ला
मुझे अतीक अहमद से पूरी हमदर्दी है, जी हां हमदर्दी है… क्योंकि अतीक एक सेक्युलर राजनीति के पक्षधर थे. इलाहाबाद की रामलीला कमेटियां इसकी गवाह है, या वो बहुजन वर्ग जिनके एडमिशन से लेकर पढ़ाई तक, जिनके पॉकेट मनी से लेकर शादी विवाह तक का खर्च अतीक उठाते थे, वो भी बिना जाति धर्म देखे…!
मुझे अतीक की मौत का भी दु:ख है… उमेश की मौत का भी था. हम अपराध के साथ खड़े नहीं होंगे लेकिन आरोपी का अपराध सिद्ध होने तक तो उससे साथ खड़े रहेंगे….!
और आरोपी कौन होगा ये तय कौन करेगा …?
मीडिया या न्यायालय …?
अतीक जनप्रतिनिधि थे. पांच बार के विधायक थे, सांसद थे. किसी पर मुकदमा दर्ज होना उसके अपराधी होने की दलील नहीं होती…!
हाईकोर्ट ने भी उन पर से इकट्ठे कई कई मुकदमे विड्रॉ किए हैं, ये कह कर कि राजनीतिक विद्वेष के कारण ये मुकदमे लादे गए….!
अतीक पर अब तक लगभग 250 मुकदमे दर्ज हो चुके थे…! मायावती के शासनकाल में एक ही दिन में अतीक पर 100 मुकदमें दर्ज हुए थे….! बाद में हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. अधिकतर मामलों में सबूत के अभाव और गवाहों के मुकरने की वजह से अतीक बरी भी हो चुका था….फिलहाल अतीक के खिलाफ 35 मुकदमे एक्टिव थे….इनमें से कई मुकदमे कोर्ट में पेंडिंग थे, जबकि ग्यारह मामलों में अभी जांच पूरी नहीं हो सकी थी…!
बंद कीजिए ये दोगलापन. जितना हमदर्दी आपको उमेश से है उतनी हमदर्दी अतीक से रखिए….दोनों की हत्या गलत है…! अगर नहीं कर सकते तो खामोश रहिए….!
बाकी सच झूठ सब हमने आपने देखा है…!
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