आभा शुक्ला
कल से देख रही हूं, कुछ सभ्य संस्कारी लोग कह रहे हैं कि उनकी नजर में लिव इन रिलेशनशिप का सीधा मतलब है – रखैल…!
पर भईया ये तो स्त्री के लिए हुआ न, पुरुष को क्या कहेंगे….? ये भी तो बता दीजिए…? जब लिव इन रिलेशनशिप में दोनों हैं तो गाली भी दोनों के लिए ईजाद होनी चाहिए न…! तो बताइए क्या कहेंगे पुरुष को…?
ये भी बताइए कि गली के नुक्कड़ पर खड़े होकर हर आने जाने वाली लड़की तो ताड़ने वाले पुरुष के लिए कौन-सा शब्द रहेगा…?
ये भी बताइए कि बीमार पत्नी के ऊपर चढ़कर जबरदस्ती पति होने का हक छीन लेने वाले पुरुष के लिए कौन-सा शब्द रहना चाहिए…?
लड़की की इच्छा के खिलाफ स्वजातीय लड़के से जबरन शादी करवाने वाले बाप के लिए कौन-सा शब्द रहना चाहिए…?
शब्द ईजाद करने का शौक है तो सबके लिए करिए न…! बाप दादों से एक रखैल शब्द ही सीखा है क्या….?
सुनिए ये वो समाज है जहां अगर कोई पैरामीटर होता चेक कर सकने का तो देश की 80% आबादी शायद मैरिटल रेप का नतीजा निकलती….!
ये वो समाज है जहां 95% औरतें जीवन पर चरमसुख का मतलब ही नहीं समझ पातीं…! ये वो समाज है जहां 75% से अधिक मामलों में अरेंज मैरिज के नाम पर, सजातीयता के नाम पर, लड़की अपना तन और मन उसको सौंपती है जिसको वो जीवन भर पसंद ही नहीं कर पाती….!
अगर विवाह-हीन प्रेम हवस है तो प्रेम-हीन विवाह कैसे पवित्र है मेरे भाई… ?
अगर विवाहहीन सेक्स हवस है तो प्रेमहीन सेक्स कैसे अच्छा है मेरे भाई… ?
सच बात तो ये है कि जब कोई श्रद्धा और आफताब जैसा मसला आता है न, तो इस मसले की आड़ में तथाकथित बुद्धिजीवियों और प्रगतिशील लोगों के चेहरे के नकाब उतर जाते हैं बस…! अरे तो खुलकर खेलिए न, महिला सम्मान और महिला सशक्तिकरण का ढोंग क्यों करते हैं….?
खुलकर कहिए कि महिला वस्तु है….? जिस पर पहले बाप का कब्जा होता है, फिर बाप उसको अपनी पसंद के स्वजातीय लड़के को बिना लड़की की इच्छा जाने सौंपता है….इसके बाद पूरी जवानी वो उस सो कॉल्ड पति के कब्जे में रहती है… फिर उसका पति उसकी इच्छा जाने न जाने ही उससे बच्चा पैदा करता है… इसके बाद बुढ़ापे में वो उस बच्चे के कब्जे में रहती है जो उसको चाहता है तो घर में रखता है और चाहता है तो वृद्धाश्रम फेंक आता है….!
खुलकर कहिए न कि आप ऐसी महिलारूपी वस्तु चाहते हैं…? ढोंग मत करिए…! खुलकर खेलिए….!
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