आभा शुक्ला
- सामने से पुलिस टीम के आने की बात की गई है जबकि सामने ऊंची दीवार है जिससे वाहन को इस पार लाना सम्भव नहीं है.
- 41 गोलियां चलाई गई जिसमें से एक भी मोटरसाइकिल में नहीं लगी.
- कच्चे रास्ते पर मोटरसाइकिल इतनी दूर तक इतनी स्पीड में गई कैसे.
- STF के अनुसार कानपुर-आगरा-दिल्ली होते हुए झांसी आए वो भी बिना हेल्मेट के, किसी टोल नाके पर CCTV फुटेज क्यूं नहीं आयी ?
- मोटरसाइकिल दोनों आरोपी एक ही साथ हाथ में बंदूक पकड़े हुए मारे गए ऐसा प्रतीत होता है, जैसे तीनों की फोटो एक साथ लेने के लिए सुनियोजित रूप से रखा गया हो.
- गोलियां लगने के बाद तकलीफ़ में इंसान तड़पता है, ब्लेडर ढीला पढ़ जाता है, तकलीफ़ में कभी कभी मल मूत्र भी त्याग देता है लेकिन दोनों मृतक के हाथों से न रिवॉल्वर छूटी और न ही ट्रिगर से उंगलियां हटीं.
- मृतकों द्वारा चलाई गोलियों से न कोई पुलिस वाला घायल हुआ और न ख़ाली राउंड मिले.
- जब वोह दोनो लोग हाथों में रिवॉल्वर लेकर गोलियां चला रहे थे तो मोटरसाईकिल कौन चला रहा था…?
घटिया स्क्रिप्ट
वो वो पढ़ना चाहता था. लंदन जाना चाहता था. राजनीति से दूर रहना चाहता था. बड़ा वकील बनना चाहता था. उसको नहीं मारना था. ये महापाप है. हमारे व्यथित हृदय इस मासूम बच्चे की मौत कभी नही भूलेंगे !
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यही वो सीसीटीवी फुटेज है जिसके आधार पर असद को….
चुनावी फ़ायदे और अपनी नाकामी छुपाने के लिए किसी की हत्या करवाना लोकतंत्र का मज़ाक़ है
हर इनकाउंटर में कुछ चीजें समान होती है…
एनकाउंटर कभी न्याय का मापदंड नहीं होता….
अतीक के बेटे का एनकाउंटर हो गया है…! मीडिया लहंगा उठा कर नाच रहा है…!
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