हिमांशु कुमार
पिछले दिनों मैंने एक आदिवासी लड़की के बारे में लिखा था जिसके साथ पुलिस थाने में दो बार बलात्कार हुआ. एक पत्रकार ने मुझसे कहा कि आप मुझे उसका पता बता दीजिए मैं जाकर इंटरव्यू करूंगा. मैंने कहा कि पता तो है लेकिन मैं आपको दूंगा नहीं,. मुझे डर है कि लड़की की पहचान सार्वजनिक होने पर उस लड़की पर और ज्यादा मुसीबत आ सकती है. मैं दूध का जला हुआ हूं, इसलिए अब छाछ भी फूंक फूंक कर पीता हूं. पत्रकार ने पूछा – क्यों क्या हुआ था ? मैंने उन्हें जो बताया आप भी सुनिए.
छत्तीसगढ़ के सामसेट्टी गांव की बात है. भाजपा सरकार के समय की बात है. पुलिस वालों ने सुरक्षा बलों के साथ मिलकर गांव पर हमला बोला. सरकार चाहती थी कि आदिवासी गांव खाली करके भाग जाएं ताकि उनकी ज़मीन कम्पनियों को दे दी जाय. आदिवासियों को डराने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं से सामूहिक बलात्कार किये जाते थे, आज भी किये जाते हैं.
इस गांव में चार लड़कियों के साथ पुलिस वालों ने सामूहिक बलात्कार किये. लडकियां मदद मांगने हमारे आश्रम में आयीं. हम लड़कियों को लेकर थाने पहुंचे लेकिन बलात्कारी तो थाने में ही बैठे हुए थे, रिपोर्ट नहीं लिखी गयी.
कानून के मुताबिक हमने पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड पोस्ट से शिकायत भेजी. पुलिस अधीक्षक ने पत्र का जवाब नहीं दिया. हमने सुकमा कोर्ट में केस दायर कर दिया. आरोपी पुलिस वालों के वारंट जारी हो गए. लेकिन पुलिस विभाग ने कोर्ट को जवाब दिया कि बलात्कार के यह आरोपी सिपाही हमें मिल नहीं रहे. यह तो फरार हैं. जबकि वह आरोपी पुलिस वाले थाने में ही रह रहे थे और नियमित तनख्वाह ले रहे थे. हिन्दुस्तान टाइम्स ने छापा कि ‘एब्स्कोंडिंग बट ऑन ड्यूटी’ फरार हैं, पर ड्यूटी पर हाज़िर हैं,
मैंने गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को उन लड़कियों के बयान की सीडी दी. गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने वह सीडी मुख्यमंत्री को दे दी. इसके बाद डेढ़ सौ से भी ज्यादा सुरक्षा बल उन बलात्कारी पुलिस वालों के साथ सामसेट्टी गांव में गए. पुलिस वालों ने लड़कियों का अपहरण किया और दोरनापाल थाने में लाकर चारों लड़कियों के साथ दुबारा सामूहिक बलात्कार किया.
पांच दिन के बाद उन लड़कियों को पुलिस वालों ने सामसेट्टी गांव के चौराहे पर फेंक दिया और चेतावनी दी कि अगर अबकी बार हिमांशु से बात की तो पूरे गाव को आग लगा देंगे. मैं उन लड़कियों से मिलने गया, लड़कियों ने मुझसे मिलने से मना कर दिया. लड़कियों का कहना था कि ‘आपने कहा था कि देश में कानून है आगे आओ, आवाज़ उठाओ, लेकिन आपने हमें नहीं बचाया.’
मेरा बचपन से जो विश्वास भारत के लोकतंत्र और संविधान में था वह चूर चूर हो गया. मैं सर झुका कर वहां से वापिस आ गया. पुलिस ने मेरे आश्रम पर बुलडोज़र चला दिया. एक हफ्ते के अंदर पुलिस ने मेरे आश्रम में मुझसे मिलने आये बारह आदिवासियों का अपहरण कर लिया. मेरे दो साथियों को जेल में डाल दिया गया. मेरे वकील को थाने में उल्टा लटका कर रात भर मारा गया. मेरे सभी कार्यकर्ताओं के घर पुलिस ने छापे मारे और सभी को मेरे साथ काम ना करने की धमकी दी. पुलिस ने जिस रात मेरी हत्या की योजना बनाई, अंत में उस रात मुझे छत्तीसगढ़ छोड़ना पड़ा.
अब जब कभी लोग मुझसे पीड़ित लोगों की जानकारी मांगते हैं तो मैं सोच में पड़ जाता हूं कि पीड़ित को कौन बचाएगा ? जब इस देश का गृह मंत्री और मुख्य मंत्री बलात्कार करवाते हों तो पीड़ितों की सुरक्षा कौन करेगा ? मैंने इस देश के लोकतंत्र का जो भयानक चेहरा देखा है उससे मुझे अब किसी पर भरोसा नहीं रहा. कोई भी पुलिस अधिकारी, कोई भी जज, मंत्री, मुख्य मंत्री बलात्कार करवा सकता है, बलात्कारी को बचा सकता है. इसलिए मैं अब जितनी मेरी ताकत है, मैं शोर मचाता हूं.
मैं इस देश को बताना चाहता हूं कि आंखें खोलो और देखो देशवासियों के साथ क्या हो रहा है. कल आपके साथ भी यह सब हो सकता है. मैं चाहता हूं कि आप इस लड़ाई में शामिल हो जाएं, यह लड़ाई अब अदालत, सरकार, थाने के भीतर नहीं जीती जा सकती, इसे तो अब जनता ही लड़ कर जीत सकती है.
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मुसलमानों को पीटने वाली मस्जिदों पर भगवे झंडे लगाने वाली जो भीड़ तैयार की गई है, उसे जानबूझकर तैयार किया गया है. जनता को दंगाई भीड़ में बदलना एक राजनैतिक मक़सद से किया जाता है. पुलिस, सरकार, अदालत सब मिलकर इस भीड़ का निर्माण कर रहे हैं. इस भीड़ को दुश्मनों की एक लंबी लिस्ट दी गई है. अगर आप एक लिस्ट में नहीं है तो दूसरी लिस्ट में जरूर होंगे.
आपको मुसलमान कह कर मारा जा सकता है. इसाई कह कर मारा जा सकता है. वामपंथी कह कर मारा जा सकता है. सेकुलर कह कर मारा जा सकता है. आपको पाकिस्तानी अर्बन नक्सल कहकर भी मारा जा सकता है लेकिन यह लिस्ट बढ़ती जाएगी. कुछ दिनों में कांग्रेसी कहकर लोगों की हत्या की जाएगी या सपाई, बसपाई या भाजपा का विरोध करने वाली किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थक कहकर आपकी हत्या किया जाना भी उसमें शामिल हो जाएगा.
दंगाई भीड़ सरकार से कोई सवाल नहीं करती. वह सरकार से रोजगार नहीं मांगेगी बल्कि रोजगार मांगने वाले लोगों की पुलिस द्वारा पिटाई पर तालियां बजाएगी. यह भीड़ शिक्षा, यूनिवर्सिटी, स्कूल, कॉलेज नहीं मांगेगी बल्कि फीस कम करने की मांग करने वाले जेएनयू यूनिवर्सिटी में या हैदराबाद, बनारस और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में घुसकर छात्रों को पीटेगी.
बाबा साहब को मानने वाले या हिंदू धर्म को ना मानने वाले नास्तिकता की बात करने वाले लोगों की पिटाई भी की जाएगी. इस भीड़ के शिकार की लिस्ट लंबी होती जाएगी. यह जींस वाली लड़कियों को पीटेगी, रेस्टोरेंट जाने वाली लड़कियों को पीटेगी. कल को तिलक ना लगाने वाले हिंदुओं को पीटना शुरू कर दिया जाएगा. घूंघट ना करने वाली, सिर ना ढंकने वाली महिलाओं की सरेआम पिटाई की जा सकती है. इस भीड़ की हिंसा बढ़ती जाएगी और इसकी लिस्ट लंबी होती जाएगी. अफगानिस्तान वगैरह में आप यह सब देख भी चुके हैं.
शर्मा, मिश्रा, शुक्ला, चौधरी साहब, ठाकुर साहब, चोपड़ा साहब सब की पिटाई हो सकती है. उसका कोई ना कोई बहाना यह भीड़ खोज लेगी. यह भीड़ आप को सुरक्षा देने के नाम पर आपसे रंगदारी या सुरक्षा शुल्क मांग सकती है. इस भीड़ के अपने अपने इलाके तय हो जाएंगे. इस भीड़ के जो गैंग लीडर होंगे वही उस इलाके को कंट्रोल करेंगे. सत्ता के लिए इन गैंग लीडर से सांठगांठ करके अपना राजकाज चलाते रहना बहुत आसान हो जाएगा.
फिर चुनाव, लोकतंत्र, अदालत, न्याय पुलिस इसे भी जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने की कोई जरूरत नहीं होगी. न ही चुनाव में हारने का कोई डर बचेगा. ठीक इसी योजना पर बिल्कुल संतुलित कदमों से बढ़ा जा रहा है. कुछ ही समय में आप यह सब वास्तविक रूप में देख लेंगे.
लोकतंत्र का खात्मा और अधिनायक तंत्र की स्थापना का यह रोड मैप सावरकर साहब ने पहले ही लिख दिया था. आपको आश्चर्य करने की कोई जरूरत नहीं है. सरकार ठीक वही कर रही है जिसके लिए वह सत्ता में आई थी लेकिन अभी आगे और भी खूनी पड़ाव बाकी है. अभी अल्पसंख्यकों का कत्लेआम और एक धर्म पर आधारित सत्ता की स्थापना का लक्ष्य बाकी है. इन लोगों को आप महंगाई, अर्थव्यवस्था, कानून व्यवस्था जैसी बातों में फंसा कर इनके लक्ष्य से नहीं डिगा सकते. यह लोग सत्ता में आ गए हैं अब यह चुनाव से नहीं जाएंगे.
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