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एनकाउंटर कभी न्याय का मापदंड नहीं होता….

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आभा शुक्ला

2019 का हैदराबाद इनकाउंटर याद है आपको….? फर्जी था. हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार के चार आरोपियों के साथ हुए साल 2019 में एक पुलिस मुठभेड़ को, मुठभेड़ के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने जांच में फर्जी पाया था….

मुझे याद है उस समय एनकाउंटर करने वाले पुलिस वालों पर फूल बरसाए गए थे….! सोशल मीडिया पर उस एनकाउंटर का विरोध करने के कारण मैं भयानक ट्रोल हुई थी…! उस वक्त हैदराबाद के कमिश्नर पुलिस सज्जनार को इस इनकाउंटर के लिए काफी वाहवाही मिली थी…! लोगों ने डीपी में उसकी फोटो लगाई थी…!

बाद में मुठभेड़ में शामिल 10 पुलिस अफसरों पर पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था….

पर भारत एक भावना प्रधान देश है…! जाने कितने एनकाउंटर यहां भावनाओं के परदे में छुप जाते हैं…! संदिग्ध तो हमेशा से बटला हाउस एनकाउंटर केस भी रहा है…और विकास दुबे एनकाउंटर केस भी… और आज असद अतीक अहमद का भी….

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क्या आपने कभी फर्ज़ी एनकाउंटर को सही ठहराया है ?

गढ़चिरौली मुठभेड़ पर उठते सवाल

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