केन्द्र की मोदी सरकार पागल हो गई है. अब वह माओवादियों को खत्म करने के नाम पर आदिवासियों के ऊपर कल सुबह से ड्रोन-हेलीकॉप्टर से बम गिरा रही है. मोदी सरकार की इस कार्रवाई ने मोदी सरकार की नीचता और निर्लज्जता दोनों को ही उजागर कर दिया है. ज्ञात हो कि इससे पहले भी आदिवासियों पर ड्रोन हेलीकॉप्टर से न केवल बम ही बल्कि प्रतिबंधित रासायनिक बम भी गिरा चुकी है. और यह सब किया जा रहा है आदिवासियों की बेशकीमती जल-जंगल-जमीन को छीनकर अपने चहेते कॉरपोरेट घरानों को मालामाल करने के लिए.
एक प्रेस नोट जारी करते हुए आदिवासियों और देश की तमाम मेहनतकश जनता की रहनुमा सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता समता ने साफ कहा है कि दक्षिण बस्तर के पामेड़ इलाके के भट्टिगुड़ा, कवरगट्टा, मीनागट्टा और जब्बागट्टा इलाके में सुबह 6 बजे से ड्रोन और हेलीकॉप्टर से बमबारी जारी है. माओवादी नेता ने केंद्रीय गृहमंत्री मंत्री अमित शाह के दौरे को इस हमले के लिए जिम्मेदार बताया है.
सीपीआई (माओवादी) के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की ओर से दिनांक-7 अप्रैल, 2023 को प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि केद्रीय गृहमंत्री अभितशाह के दिशा- निर्देशन पर दक्षिण बस्तर के पामेड़ इलाके के भट्टीगुड़, कवुरगट्टा, मिनागट्टा, जब्बागटूटा गांवों पर की जा रही हवाई व ड्रोन हमलों की घोर निंदा करें और बस्तर की जनता पर थोपे गए युद्ध के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद करें !
उन्होंने आगे बताया कि दक्षिण बस्तर के पामेड़ इलाके के भट्टीगुड़, कवुरगट्टा, मिनागट्टा, जब्बागट्टा गांवों के खेत-खलिहानों, जंगलों, पहाड़ों को निशाना बनाकर ड्रोन, हेलिकॉप्टरों द्वारा आज सुबह 6:00 बजे से भीषण बमबारी वा फायरिंग कर रहे हैं. यह सीजन माहुआ बीनने का सीजन है. जनता दिन-रात अपनी खेतों व जंगलों में रह कर महुआ बिन रहे हैं. इसी समय अचानक आसमान से बमबारी व फायरिंग के चलते जनता भयबीत होकर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रही है.
ज्ञात हो कि पिछले मार्च 25 तारीख को 84वां सीआरपीएफ दिवस के बहाने 53 पर स्थित करनपुर कैंप में आकर उस समारोह में शामिल होकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने कहा है कि माओवादियों क॑ साथ जंग आखरी चरण में है. और बहुत जल्द ही माओवादियों को जड़ से खत्म करने की घोषणा की है.
इसके लिए पूरे दण्डकारण्य में आसमान से ड्रोन, हेलिकॉप्टरों द्वारा और जमीन से अपनी अर रितोड द्वारा दिन-रात सर्वे करते हुए हवाई हमलों की तैयारियां चल रही हैं. इसी के अंतर्गत अभी का हवाई बमबारी है.
यहां के जल-जंगल-जमीन एवं संसाधनों को हड़पने, उन्हें देशी, विदेशी बड़े पूंजीपतियों को सौंपने यानी लुटाने के लिए केन्द्र-राज्य सरकारों ने कईयों समझौते किए हैं लेकिन यहां जारी जनयुद्ध और जन आंदोलनों के चलते वह अमल नहीं हो पा रहा है. इसलिए यहां का मपल सर जनआंदोलनों को नेतृत्व करने वाली माओवादी पार्टी को बहुत जल्द उन्मूलन करने के लिए इन हमलों में और तेजी ला रही है.
जल-जंगल-जमीन, व संसाधनों को बचाने के लिए यहां की जनता अपनी जान को जोखिम में डालकर लड़ रही है. जनता पर की जा रही इस असंवैधानिक हवाई हमलों को सभी मजदूरों, किसानों, छात्रों, युवाओं, प्रगतिशील, जनवादी बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक संगठनों को अपील करते हैं कि वे इस असंवैधानिक हवाई हमलों को खण्डन करें. इसके खिलाफ देशव्यापी जन आंदोलन खड़ा करें !
आदिवासियों समेत देश के तमाम मेहनतकश जनता की ओर से लड़ रहे सीपीआई (माओवादी) की यह अपील इतना फौरी है कि सचमुच आश्चर्य में डालता है. यानी, 6 तारीख की सुबह से भारत सरकार के कारिंदे जनता पर ड्रोन से बम गिराती है और अगले ही दिन पार्टी का बकायदा प्रिंटेड बयान जारी हो जाता है. और अगले ही पल खबरें सारी दुनिया में फैल जाती है. यह फौरी कार्रवाई यह बताने के लिए पर्याप्त है कि सीपीआई (माओवादी) का न केवल सैन्य शक्ति मजबूत है बल्कि उसका बौद्धिक क्षमता और तकनीक पर पकड़ भी बेहतरीन है.
भारत सरकार में गृहमंत्री बने एक गुंडा अमित शाह की यह औकात नहीं है कि वह देश की तमाम सैन्य ताकतों का इस्तेमाल कर आदिवासी और देश की मेहनतकश जनता को खत्म कर सके. हां, वह यह जरूर कर सकता है कि वह बड़े पैमाने पर नरसंहार को अंजाम देकर लाखों-करोड़ों लोगों को मौत की घाट उतार सकता है. लेकिन इसके बाद खुद उसका क्या अंजाम होगा, यह विश्व क्रांति ने बार-बार दिखलाया है.
इसके बाद भी देश की समस्त मेहनतकश जनता को यह याद रखना चाहिए कि केन्द्र की मोदी सरकार इजरायल, फ्रांस आदि देशों से हजारों लाखों करोड़ का जो विनाशकारी हथियार खरीद रही है, उसका प्रयोग सीमाओं पर दूसरे देशों के साथ नहीं, बल्कि इस देश की मेहनतकश जनता के सिर पर गिराया जायेगा. और नरसंहार को अंजाम दिया जायेगा.
इसलिए यह खुश होने की बात नहीं बल्कि विचलित करने वाली बात है कि भारत सरकार सुरक्षा के नाम पर जिस विनाशकारी हथियारों को खरीद रही है, उसका कुछ लोग स्वागत कर रहे हैं. जबकि असलियत मैं इसका शिकार वह खुद होंगे. खुद उसके ही बाल-बच्चे मारे जायेंगे. माओवादी न तो कभी खत्म होने वाले हैं और न ही होंगे उल्टे उसपर जितना ही ज्यादा बम-मिसाइलें गिराई जायेगी, वह उतना ही ज्यादा मजबूत होता जायेगा और संभव है कि एक दिन वह मौजूदा सत्ता को नष्ट कर एक नई सत्ता का स्थापना कर जाये.
भारत की फासिस्ट अपराधी हत्यारी सत्ता को संभवतः यह खुली चुनौती है कि तुम हमपर (माओवादियों पर) जितना ही तेज हमला करोगे, असलियत में तुम उतने ही ज्यादा कमजोर होते जाओगे. और एक सीमा के बाद तुम पूरी तरह नष्ट कर दिये जाओगे. वह दिन भारत की मेहनतकश जनता का स्वर्ण काल होगा और तुम इतिहास के सबसे घृणित कुड़ेदान में डाल दिये जाओगे.
अगर केंद्र की फासिस्ट सरकार विनाशकारी बमों का इस्तेमाल आम मेहनतकश जनता पर करने से बाज नहीं आती है तो देश की तमाम पीड़ित मेहनतकश जनता को यह नैसर्गिक अधिकार है कि वह इस नरसंहारी खूरेंजी सत्ता को खत्म कर अपना शासन कायम कर लें.
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