Home ब्लॉग आभा का पन्ना सड़े हुए विचारों की लाशों से बदबू मारता रहता है इनबॉक्स…!

सड़े हुए विचारों की लाशों से बदबू मारता रहता है इनबॉक्स…!

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आभा शुक्ला

यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.

जब से देश में देशभक्त की परिभाषा में गोडसे फिट किया गया है, तब से मुझे देशद्रोही सुनना ही अच्छा लगता है.

जो अर्नब ने सोनिया जी के लिए कहा था, हम एक्टिविस्ट महिलाएं तो उसका करोड़ों गुना रोज़ सुनती हैं…और ताकतवर तो हम इतनी मानी जाती हैं कि साल के 365 दिन में से हर दिन करोड़ों मुल्लों और भीमटों का बिस्तर गर्म करती हैं बिना एक मिनट भी सांस लिए…

सभ्य, धार्मिक और संस्कारी लोगों के सड़े हुए विचारों की लाशों से बदबू मारता रहता है हमारा इनबॉक्स…!

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