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फासिस्ट भाजपा के निशाने पर क्यों है जेएनयू ?

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मीडिया, खासतौर पर सोशल मीडिया पर सक्रिय भाजपा के आई टी सेल के द्वारा देश भर में चलाए जा रहे बेहद आक्रामक दुश्प्रचार का सबसे बड़ा निशाना जेएनयू के छात्र बनते हैं. इसके बाद भी जब भाजपा और उसके सैकड़ों अनुषांगिक संगठनों के इस दुश्प्रचार को देश की जनता खारिज कर देती है तब जेएनयू के छात्रों से निपटने के लिए भाजपा की यह फासिस्ट मोदी सरकार पुलिस बल का सहारा लेती है और इन छात्रों पर हमलावर होती है.

सवाल उठता है भाजपा की इस फासिस्ट सरकार के निशाने पर जेएनयू क्यों ?

इस सवाल का जवाब यह है कि जेएनयू के ही छात्र व शिक्षकों का समूह देश का वह तबका है, जिसकी विश्वसनीयता इस देश की करोड़ों मेहनतकश जनता के बीच आज भी है क्योंकि यहां के छात्र इस देश की करोड़ों मेहनतकश जनता के बेटे-बेटियों के बीच से जाते हैं और वह अपने करोड़ों मेहनतकश जनता के जीवन से जुड़ी सवालों को उठाते हैं और उनके लिए लड़ते हैं.

फासिस्ट मोदी सरकार जब देश की मेहनतकश जनता के खून-पसीने से संचित कमाई को लूटने के लिए एक के बाद एक लुटेरी नीतियों को लागू कर देशी व विदेशी कम्पनियों के लूट को बेहिसाब बढ़ा रही है, जिसमें खुद देशद्रोही मोदी सरकार अपना हिस्सा काट रही है, तब इसके खिलाफ अगर कहीं से मजबूत आवाज उठती है तो वह है जेएनयू और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल. इस आवाज की देश भर के मेहनतकश आवाम के बीच इतनी जबरदस्त विश्वसनीयता होने के कारण भाजपा की फासिस्ट जनविरोधी नीतियों के खिलाफ समूचे देश की जनता लामबंद होने लगी है और सड़कों पर उतर आई है, जिससे आये दिन भाजपा की मोदी सरकार मुश्किलों से घिरती जा रही है.

ऐसे वक्त में भाजपा के लिए यह मुफीद रास्ता है कि इस आवाज को बंद कर दिया जाये. इसके लिए खरीदने की कोशिशें पहले ही नाकाम हो चुकी है. तब दूसरा तरीका इसे बदनाम करने का निकाला. जिसमें जेएनयू के ऊपर नाना प्रकार की घृणास्पद काल्पनिक आरोप भाजपा के आईटी सेल लगाने शुरू किये, जिसमें जेएनयू के कई छात्रों को पुलिस ने वगैर किसी जांच पड़ताल के जेल में बंद कर दिया. परन्तु इसके उल्टे ही परिणाम मोदी सरकार को भुगतने पड़े. इस विश्वविद्यालय को ही बंद कर देने के मोदी सरकार के प्रयास भी जब सफल नहीं हो पाया तब इस विश्वविद्यालय में भी गरीब मेहनतकश जनता की बेटे-बेटियां न प्रवेश पा सके, इसके लिए अनेक तिकडमी व संविधान विरोधी कदम उठाने शुरू किये. भाजपा के मोदी सरकार के इन तिकड़मी कदमों में आरक्षण जैसे बुनियादी ढांचा पर ही हमला किया गया, सीट कटौतियां आदि जैसे कदम उठाए गये.

मोदी के इस छात्र विरोधी कदमों के खिलाफ जेएनयू ने जमकर सवाल उठाए. अब वहां के आकादमिक शुचिता को खत्म करने के लिए जौहरी जैसे घटिया मानसिकता के शिक्षकों के माध्यम से प्रयास चल रहे हैं.विदित हो कि प्रोफेसर जौहरी पर जेएनयू की आठ छात्राओं ने आपत्तिजनक व्यवहार करने का आरोप लगाया है, जिसके पक्ष में केंद्र की मोदी सरकार डटकर खड़ी हो गई है. काफी विरोध के बाद जब इन पर आठ एफआईआर दर्ज भी किया गया तब भी इन्हें महज 15 मिनट में ही जमानत दे दी गई, जबकि दिल्ली सरकार के नुमाइंदों को महज शिकायत करने भर की देर होती है, मोदी सरकार की अतिसक्रिय दिल्ली पुलिस उन्हें कहीं से भी उठाकर तिहाड़ जेल पहुंचा देती है.

जेएनयू से उठते सवाल देश के तमाम विश्वविद्यालयोंं के ज्वलंत सवाल है. जेएनयू न केवल छात्रों के ही वरन् नौजवानों, दलितों, किसानों, महिलाओं, आदिवासियों के बुनियादी सवालों को उठाता है, यही कारण है कि आज जेएनयू मोदी सरकार के निशाने पर है. और ठीक इसी कारण समूचे देश के छात्रों, नौजवानों, दलितों, किसानों, महिलाओं, आदिवासियों को जेएनयू के पक्ष में गोलबंद हो जाना चाहिए ताकि उनकी विश्वसनीय बुलंद आवाज को फासिस्ट मोदी हुकूमत के बूटों तले रौंदा न जा सके. ताकि आम मेहनतकश जनता की आवाज को दबाया न जा सके.

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