गिरीश मालवीय
लोग बार-बार पूछते हैं कि विपक्ष कहा है ? लेकिन क्या वो जानते हैं कि विपक्ष के नेताओं के क्या हाल बना दिये जाते हैं ? ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों को शिकारी कुत्तों की तरह शिकार के लिए छोड़ दिया जाता है. पिछले आठ सालों में राजनीतिक लोगों के ख़िलाफ़ ईडी के मामले चार गुना बढ़े हैं. साल 2014 से 2022 के बीच 121 बड़े राजनेताओं से जुड़े मामलों की जांच ईडी कर रही है, इनमें से 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं यानी 95 फ़ीसदी मामले विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ हैं.
ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार बनने से पहले इन केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को घेरने के लिए नहीं किया जाता था लेकिन अब तो अति हो गई है. 2004 से लेकर 2014 के दस सालों में 26 नेताओं की जांच ईडी ने की, इनमें से 14 नेता विपक्षी पार्टियों के थे. यानी कि लगभग 60 प्रतिशत लेकिन अब तो 95 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों के हैं.
2014 से लेकर अब तक ईडी ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े 24 नेताओं के यहां रेड डाली है. टीएमसी के 19, एनसीपी 11, शिवसेना के 8, डीएमके 6, बीजद 6, राजद 5, बीएसपी 5, सपा 5, टीडीपी 5, इनेलो 3, वाईएसआरसीपी 3, सीपीएम 2, एनसी 2, पीडीपी 2, एआईएडीएमके 1, एमएनएस 1 और एसबीएसपी 1 से जुड़े नेताओं पर जांच एजेंसी ने दस्तक दी है.
2019 में ईडी को ज़बरदस्त रूप से शक्तिशाली बनाया. ईडी अब थोड़े-मोड़े स्टाफ के साथ काम नहीं करती. अब उसके पास चार गुना ज्यादा अधिकारी और ज्यादा बड़ा बजट है. काफी पहले ईडी डिजिटल भी हो चुकी है. 2019 में ईडी से जुड़े एक्ट में सेक्शन 45 में जोड़ा गया, जिसके तहत ईडी के अधिकारियों को ये पावर दिया गया कि वो किसी व्यक्ति को बिना वॉरंट गिरफ़्तार कर सकते हैं.
ग़ैर-क़ानूनी पैसों से बनाई गई संपत्ति के स्कोप को भी बढा दिया गया. इसके तहत ईडी को ये शक्ति भी दी गई है कि अगर एजेंसी को लगता है कि ‘कोई संपत्ति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ग़ैर-कानूनी तरीके से कमाए गए पैसों से बनाई गई है तो उस पर भी वह कार्रवाई कर सकती है.’ आज ख़बर आई है कि उसके अधिकारों में जजों और सैन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का अधिकार जोड़ा गया है.
ईडी सिर्फ उस पर कार्यवाही नहीं करती जो बीजेपी की शरणागत हो जाते हैं. 300 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट के आरोपी नारायण राणे आज केंद्रीय मंत्री हैं. भाजपा में शामिल होने के बाद जांच बंद कर दी गई. बंगाल के शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के बाद जांच बंद कर दी गयी. असम के हिमंत बिस्वा सरमा के भाजपा में शामिल होने के बाद जांच बंद दी गयी. कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा की भी यही कहानी है.
महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़कर शिंदे सरकार बनाने में ईडी का रोल किसी से छिपा हुआ नहीं है. आज सपा नेता राम गोपाल यादव ने दावा किया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष का कोई ऐसा नेता नहीं बचेगा, जिसके खिलाफ जांच नहीं की जा रही होगी. यादव जी सच ही बोल रहे हैं.
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