‘सबसे कूढ़मगज राजनैतिक अनपढ़ होता है. राजनीतिक घटनाओं पे उसके मुंह में ताला पड़ जाता है, उसके कान और आंख फूट जाते हैं…उसको ज़िंदगी के हिसाब किताब का घण्टा कुछ भी अंदाज़ नहीं होता है. उसे रत्ती भर भी एहसास नहीं होता है कि दाल, रोटी, नून तेल, मुर्गा, मच्छी, घर का किराया, दवा-दारू, जूते, चप्पल वगैरह सबका रेट राजनीति तय करती है…और ऊपर से चुतियापे की इंतिहा ये है कि वो गर्व से छाती ठोक के कहता है उसे राजनीति में रत्ती भर भी इंटरेस्ट नहीं है…अबे घन्टु, तुझको ये नहीं पता है कि तेरे इसी चुतियापे और जहालत के चलते वेश्यावृत्ति का जन्म होता है, सड़क पे लावारिस बच्चे जनमते हैं…चोर उचक्के पैदा होते हैं…बात यहीं खत्म हो जाती तो गनीमत थी…सबसे बड़े चोर, गिरहकट यानी घटिया पॉलिटिशियन, राष्ट्रीय और मल्टीनेशनल कंपनियों के दलाल और गुलाम तेरी इस जहालत की वजह से ही पनपते हैं…और तेरी ज़िंदगी अज़ाब करते हैं…’.
– बेर्टोल्ट ब्रेख्त के कोट का सरस भावानुवाद – सैय्यद मोहम्मद इरफान
गिरीश मालवीय
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आए अभी 40 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं और गौतम अडानी तीसरे से सीधे चालीसवें नंबर पर पहुंच गये हैं. इतने दिन हो गये लेकिन अडानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के खिलाफ़ कहीं मुकदमा लिखाया हो, ऐसी कोई ख़बर नहीं है. जाहिर है कि मुकदमें में अदानी को अपनी बात साबित करने को सुबूत देने होंगे और जैसे ही वो सुबूत पेश करेगा, खुद अपने जाल में फंस जाएगा.
एक ही महीने में साफ़ दिख गया है कि इस मामले मे हिंडनबर्ग सही थे. उसने अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर की 85 प्रतिशत ओवर वैल्यू होने की बात की थी, वो बिलकुल सही निकली. भारत का शेयर बाजार इस रिपोर्ट के बाद झटके पे झटका खा रहा है. बीते सात कारोबारी दिन में सेंसेक्स 2,031 अंक यानी 3.4 फीसदी गिर चुका है, जबकि निफ्टी में 643 अंक यानी 4.1 फीसदी की गिरावट आई है.
अडानी ग्रुप के शेयरों में रोज गिरावट देखी जा रही है. पिछले एक महीने में अडानी ग्रुप का मार्केट कैप रेकॉर्ड स्तर तक गिर चुका है. 27 फरवरी, 2023 को अडानी ग्रुप का मार्केट कैप 19.2 लाख करोड़ रुपये से लुढ़कर 6.8 लाख करोड़ रुपये तक गिर गया है. यानी एक तिहाई ही मार्केट कैप बचा हुआ है.
लेकिन असली संकट तो एलआईसी और सरकारी बैंकों पर नज़र आ रहा है. अदानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद एलआईसी के शेयर 17 फीसदी तक टूट गए हैं और महीने भर में भारतीय जीवन बीमा निगम का बाजार पूंजीकरण 75 हजार करोड़ से ज्यादा गिर गया है. अडानी समूह की 5 कंपनियों में LIC का बड़ा निवेश है. अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पोर्ट्स में LIC ने निवेश किया हैं. 23 जनवरी को इस निवेश का टोटल वैल्यू 72,193.87 करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 25 हज़ार करोड़ रुपये के भी नीचे पर पहुंच गया है.
अदानी को भारतीय स्टेट बैंक ने 27,000 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 5,500 करोड़ रुपये और पंजाब नेशनल बैंक ने 7,000 करोड़ रुपये का लोन दिया है और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से कई सरकारी बैंकों के शेयर टूट गए हैं.
23 जनवरी को एसबीआई के शेयर 604.60 रुपये था, 28 फरवरी को गिरकर 524 रुपये पर बंद हुआ है. इसका शेयर प्राइस 12.66% गिर गया है. बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 18 फीसदी टूट गया है. इंडियन ओवरसीज बैंक का शेयर 17 फीसदी टूट गया है. पंजाब एंड सिंध बैंक का शेयर 15.6% टूटा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 16.47% टूटा है, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 16% टूटा है.
लेकिन इतना होने पर भी मोदी सरकार अडानी के साथ खड़ी हुई है उसने उसकी गलत प्रैक्टिस के खिलाफ़ किसी भी प्रकार की जांच करवाने का आश्वासन तक नहीं दिया है. स्पष्ट है कि मोदी आज भी अडानी के साथ खड़े हुए हैं.
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