किंचित परिवर्तन
सुधार, संशोधन, दिलासा
कुछ नही होते हैं
किंचित सुधारवाद
थोड़ी सी मलहम होता है
खूब लतियाओ
फिर खुद थोड़ी सी
मरहम पट्टी कर दो
वाह मालिक कितना उदार !
किंचित सा परिवर्तन
थोड़ी सी राहत होता है
खूब लूटो जी भरकर/फिर
थोड़ी सी भीख राहत दे दो
वाह मालिक कितना उदार !
किंचित सा संशोधन
थोड़ा सा रंग पोतन होता है
यथा को और बारीक क्रूर बनाओ
यथा में मनोरम रंग पोतन
वाह मालिक कितना उदार !
किंचित सा दिलासा
दिलासा नही होता
दमन उत्पीड़न होता है
हताश परास्त जनता को
थोड़ा सा पुचकारना
वाह मालिक कितना उदार !
किंचित परिवर्तन, सुधार
संशोधन, दिलासा में क्रूर
सत्ताएं फंदा मजबूत करती
अपने पैने दांतों, नाखूनों को
और बारीकी से पैना करतीं
आमूलचूल सच में कुछ बदले
वह जनता का सपना होता है
- बुद्धिलाल पाल
27.02.203
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