आभा शुक्ला
कुछ भी हो जाये, पर तुम इस देश के लोगों को, यहां के समाज को कभी माफ मत करना. यहां के न्यायसंगत लोगों ने भी खामोश बैठकर गंगापुत्र भीष्म की तरह देखा है तुम्हारा अपमान. जब भीष्म को भी प्रायश्चित करना पड़ा तो फिर ये लोग कौन हैं…! .देखो न, आज ये भी मर रहे हैं राजनीतिक पाखंडी शिखंडियों के हाथों.
तुम माफ न करना कभी कौरवों जैसे उन अपनों को भी जिन्होंने सत्ता के लिए तुम्हारा साथ छोड़ दिया और तब भी खामोश रहे जब उन्हीं की पार्टी के महामानव नहीं, महादानव ने उन्हीं के घर की बहू का अपमान करके उसके स्त्री धर्म पर उंगली उठाई थी.
तुम यहां डोली में आई थीं और अर्थी में जाओगी. खाक होकर यहीं गंगा में समा जाओगी. तुम कुछ इस तरह राजीव से किये हुये सारे वादों को निभा जाओगी. भारत की नारीशक्ति आज भी खामोश है, कल भी निरूत्तर होगी लेकिन एक प्रेमिका, एक पत्नी, एक बहू की वास्तविक परिभाषा का उदाहरण उसको तुम्हें ही मानना होगा.
आज की पीढी में भले इतना साहस न हो लेकिन आने वाली पीढियां तुम्हारे लिए जरूर खड़ी होंगी.
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