यूक्रेन में रुस के स्पेशल सैन्य ऑपरेशन को 24 फरवरी को एक साल पूरा हो गया है. अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गिरोह के 30 देश (रुसी राष्ट्रपति पुतिन के अनुसार 80 देश) मिलकर बड़े पैमाने पर हथियार, गोला-बारूद और सैन्य सहायता नवनाजी जलेंस्की को देकर छिपकर रुस को तबाह-बर्बाद करने के दीर्घकालिक अभियान में जुटा हुआ है. इस स्पेशल ऑपरेशन के एक साल पूरे होने पर दुनिया की क्रांतिकारी मेहनतकश जनता को कई जरूरी सबक मिलें हैं, इसमें चंद सबक इस प्रकार हैं –
- सोवियत समाजवादी राज्य को नष्ट करने के बाद अब अमेरिकी साम्राज्यवाद और उसके 30 देशों के नाटो गिरोह ने रुस की जनता से समाजवादी क्रांति करने के प्रतिशोध में रुसी जनता को नष्ट कर गुलाम बनाना चाहती है, जैसे इराक की जनता को नष्टप्राय किया है. वह रुस को चारों ओर से घेर कर नष्ट करने का अभियान चला रहा है. इतना ही नहीं, रुस के मदद करने वाले देशों (चीन, ईरान, भारत आदि) के खिलाफ भी अमेरिका और नाटो कार्रवाई करने की धमकी लगातार दे रहा है, जबकि वह खुद यूक्रेन में नाटो के 30 देशों के साथ हर तरह का मदद पहुंचा रहा है.
- फासिस्ट हिटलर के नाजी गिरोह का प्रभाव यूक्रेन में स्पष्ट तौर पर परिलक्षित हो रहा है, जिसका प्रतिनिधि जलेंस्की और उसका गैंग है, जिसको अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गैंग का खुला समर्थन है.
- सोवियत समाजवादी व्यवस्था के पतन (1956) के बाद से अमेरिकी साम्राज्यवाद खुल्लमखुल्ला विश्व मेहनतकश समुदाय का शत्रु बन गया है और दुनिया की तमाम मेहनतकश जनता पर हमलावर है. जिसमें कोरिया, वियतनाम, इराक, अफगानिस्तान आदि मुख्य रहे हैं.
- अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गिरोह का एक मात्र लक्ष्य दुनिया की क्रांतिकारी जनता पर हमलाकर समाजवादी व्यवस्था के लिए चलाई जा रही क्रांतिकारी आंदोलन को तबाह करना है.
- चूंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार ही युद्ध है, क्योंकि युद्धों के द्वारा वह अपने हथियारों का प्रदर्शन करता है, और उसे बेचकर अकूत मुनाफा कमाता है. इसलिए युद्ध उसका मुख्य व्यवसाय है. इसके उलट समाजवादी राजसत्ता युद्धों का निषेध करती है, इसलिए अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गैंग समाजवादी व्यवस्था का प्रधान दुश्मन है, इसलिए दुनिया भर में चल रही क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आन्दोलन उसके निशाने पर है.
- नाजी जलेंस्की और नाटो गैंग के संगठित नृशंस प्रहार से अगर रुस पराजित हो जाता है तो भविष्य में होने वाली समाजवादी व्यवस्था की लड़ाई कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जायेगी. क्योंकि रुस सर्वहारा के महान शिक्षक लेनिन और स्टालिन का प्रतीक है. रुस के पराजित होने का अर्थ है रुस की जनता के साथ-साथ दुनिया की जनता को खूंखार अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने खुला छोड़ देना. यहां यह स्पष्ट कर देना जरूरी है कि रुस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का मार्क्सवाद-लेनिनवाद से कोई संबंध नहीं है और न ही शिक्षक लेनिन और स्टालिन की नीतियों से ही कोई मतलब है.
24 फरवरी को एक साल पूरे होने के ठीक 4 दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के लोगों के साथ-साथ समूची दुनिया की जनता को संबोधित किया है. पुतिन ने अपने एक घंटे के सम्बोधन में यूक्रेन में नवनाजी जलेंस्की और गैंग के खिलाफ जारी स्पेशल ऑपरेशन की समीक्षा करते हुए स्पष्ट कहा है कि –
‘रूस ने शुरुआत में जंग को टालने के लिए तमाम डिप्लोमैटिक कोशिशें की, लेकिन नाटो और अमेरिका ने इन्हें कामयाब नहीं होने दिया. हम अब भी बातचीत चाहते हैं, लेकिन इसके लिए शर्तें मंजूर नहीं हैं.
‘यूक्रेन को लॉन्ग रेंज डिफेंस सिस्टम दिए जा रहे हैं. हमारे बॉर्डर पर इसकी वजह से खतरा मंडरा रहा है. रूस और यूक्रेन का मामला स्थानीय था लेकिन अमेरिका और उसके साथियों ने इसे दुनिया का मसला बना दिया. रूस 2011 में अमेरिका के साथ किया गया एटमी करार भी सस्पेंड कर रहा है.
‘सच्चाई ये है कि इस जंग की शुरुआत वेस्टर्न पावर्स की वजह से हुई. हमने उस वक्त भी इसे टालने की हर मुमकिन कोशिश किया लेकिन वे लोग कीव और यूक्रेन के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं, उन्हें मूर्ख बना रहे हैं. हम अपने वतन की हिफाजत करना बखूबी जानते हैं.
‘अमेरिका और उसके साथी महज अपना दबदबा बढ़ाने की साजिश की खातिर दूसरों को मोहरा बना रहे हैं. वेस्टर्न पावर ने ही जंग के जिन्न को बोतल से बाहर निकाला है, और वो ही इसे वापस बोतल में डाल सकते हैं. हम तो सिर्फ अपने देश और लोगों की हिफाजत करना चाहते हैं और यही कर भी रहे हैं.
‘जहां तक डोनबास इलाके का मामला है तो हमने हमेशा कहा कि पहले इसे शांति से सुलझा लीजिए, लेकिन रूस पर इल्जाम लगाने वाले ये भी देख लें कि वेस्टर्न लीडर्स का क्या रोल रहा. इन लोगों ने लगातार धोखेबाजी की और झूठ बोला. वेस्टर्न पावर सम्मान देना नहीं जानते. वो पूरी दुनिया पर थूकने की कोशिश करते हैं. यही तरीका वो अपने देश की जनता के साथ भी अपनाते हैं.
‘वेस्ट की हरकतों की वजह से हमें यूक्रेन पर हमला करना पड़ा. अपनी हिफाजत के लिए, यूक्रेन पर अटैक जरूरी था. डोनबास के लोगों ने तो रूस सरकार से मदद मांगी थी. जिस तरह इन ताकतों ने यूगोस्लोवाकिया, इराक, लीबिया और सीरिया को तबाह किया, वही ये यूक्रेन के साथ भी करना चाहते हैं.
‘ये ध्यान रखना चाहिए कि रूस अपनी इज्जत से समझौता नहीं करेगा. कीव में इतनी ताकत नहीं कि वो डोनबास का मसला सुलझा ले. वहां के लोग चाहते हैं कि रूस आए और उनकी परेशानियों को हल करे. मैंने ये कभी नहीं कहा कि जंग से ही इस मसले का हल निकाला जा सकता है. बातचीत तो होनी चाहिए, लेकिन इसमें सही तरीका अपनाया जाना चाहिए. प्रेशर टैक्टिक्स के आगे रूस न झुका है और न झुकेगा.
‘हमें तो वेस्टर्न पावर्स से भी बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं है. हम चाहते हैं कि हमारे बीच जॉइंट सिक्योरिटी स्ट्रक्चर हो. इसके लिए मैंने खुद कई साल तक कोशिश की, लेकिन अमेरिका और दूसरे वेस्टर्न पावर हल चाहते ही नहीं है. हमें हमेशा इग्नोर किया गया. दुनिया में ऐसा कौन-सा देश है जिसके अमेरिका के बराबर दुनिया के दूसरे देशों में मिलिट्री बेसेस हैं ? इसके बाद वो अमन की बात करते हैं तो सोचना पड़ता है.
‘हमारी जंग यूक्रेन के लोगों से नहीं है, क्योंकि वो तो वहां की हुकूमत के बंधक हैं. दुनिया ये कान खोलकर सुन ले कि रूस को जंग के मैदान में हराना नामुमकिन है. दरअसल, वेस्टर्न पावर चाहते हैं कि यूरोप में वो पुलिस का रोल अदा करें. हम अपने बच्चों पर कोई खतरा नहीं आने देंगे. दुनिया के सबसे अमीर देशों के संगठन G7 ने गरीब देशों की मदद के लिए 60 अरब डॉलर दिए. ये अच्छी बात है. मगर ये भी देखिए कि उन्होंने जंग के लिए 150 अरब डॉलर का फंड रखा, ये दोगलापन नहीं तो और क्या है ?
‘पुतिन ने भाषण के आखिरी मिनटों में अहम घोषणा की. उन्होंने कहा है कि रूस परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका के साथ की गई स्टार्ट न्यू ट्रीटी को नहीं मानेगा. इसे सस्पेंड किया जा रहा है.’
रुसी राष्ट्रपति पुतिन के उपरोक्त समीक्षा के जवाब में युद्धपिपाशु अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जो कहा है, वह रुसी राष्ट्रपति पुतिन की आशंकाओं को ही पुष्ट करता है. मसलन, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन जंग पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि ‘अमेरिका और नाटो यूक्रेन के साथ थे और रहेंगे.’ जैसा कि पुतिन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है.
इसके बाद उसने रुस की सेना पर झूठा और मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए कहता है कि ‘रूसी फौज ने जुल्म किया है. महिलाओं से रेप को हथियार की तरह इस्तेमाल किया.’ यह एक ऐसा झूठा प्रलाप है, जिसका कहीं से भी कोई प्रमाण नहीं है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रुसी फौज यूक्रेन के मुख्यतः उन इलाकों में जंग लड़ रही है जहां की बहुतायत आबादी स्वयं रुसी है और रुसी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर युद्ध में भागीदार है. और जिन इलाकों में रुसी आबादी नहीं है, वहां की अधिकांश आबादी पहले ही पलायन कर चुकी है. दुनिया भर की भुक्तभोगी जनता जानती है कि अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गैंग की सेनायें हत्या और बलात्कार के लिए कुख्यात है.
राजनीतिक विश्लेषक ए. के. ब्राईट लिखते हैं कि आज 24 फरवरी 2023 को रूस यूक्रेन युद्ध चले हुए पूरे एक साल हो गए हैं लेकिन फिलहाल रूस यूक्रेन युद्ध समाप्त होने की कोई ठोस वजह नहीं दिख रही है. समाचारों के अनुसार पश्चिमी देश यूक्रेन को फिलहाल कोई रक्षा उपकरण नहीं दे रहे हैं, बस यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की को हौसला देने भर के लिए कुछ इधर उधर बैठकों में बयान भर दिए जा रहे हैं. हालांकि महज हौसलों से युद्ध नहीं जीते जाते इसे जेलेंस्की से बेहतर कोई नहीं जानता.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कल दिन में राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन में हजारों की संख्या में मौजूद भीड़ को संबोधित करते हुए साफ कहा कि ‘रूस इस युद्ध में जीत सुनिश्चित करने की ओर बढ़ रहा है. रूस के हार की कल्पना कभी भी नहीं की जा सकती.’ कल सायंकाल के दौरान मास्को में एक सैन्य हेडक्वार्टर का मुआयना करने पहुंचे पुतिन ने वहां सैनिकों की हौसला-अफजाई की और जोर देकर कहा कि –
‘नाजीवाद का अंत इसी रूसी धरती के लोगों ने किया था और जब जब नाजी संगठन एकजुट होंगे रूसी सेना उनके नापाक मंसूबों समेत उन्हें खत्म करती रहेगी.’
रूसी मीडियाई ख़बरों के मुताबिक दो दिन पहले ही ढाई लाख रूसी सैन्य बेड़े को तीन से पांच भागों में बांटकर यूक्रेन के उन हिस्सों में तैनात कर दिया गया है, जहां फिलहाल रूसी सेना का दखल कम है. उधर जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से अभी तक वाजिब मदद न मिलने से अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि ‘आज अगर यूक्रेन इस युद्ध में अच्छे नतीजों से दूर होता है तो सभी यूरोपीय देशों के लिए यह चिंताजनक बात होनी चाहिए. पुतिन यूक्रेन के बाद पोलैंड की तरफ बढ़ेंगे.’
राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संबोधन में फिर से कहा ‘यह दुष्टों के साथ अथक युद्ध है. शांति की उम्मीद रखने वाले सभी देश भविष्य में एकमात्र रूस के साथ गोलबंद होंगे.’ दुनिया के शक्तिशाली देशों के संगठन ‘नाटो’ का दिन ब दिन युद्ध में हस्तेक्षप की कमी दर्शाता है कि अमरीका व नाटो देशों को यह पता चल चुका है कि रूसी सैनिक जीत की ओर है. पुतिन ने यह कहकर यूरोपीय देशों को पसीना पसीना कर दिया कि ‘जितना गोला बारूद दुनिया के देश पूरे साल भर में तैयार करते हैं रूस उतना तीन दिन में तैयार कर रहा है.’
पुतिन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के इस वार्षिक कार्यक्रम में उत्तर कोरिया व ईरान को भी युद्ध में कंधा से कंधा मिलाकर साथ देने के लिए धन्यवाद दिया, हालांकि अंतर्राष्ट्रीय युद्ध विश्लेषकों के अनुसार यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया में या तो परमाणु बम गिरेंगे या फिर तीसरे विश्व युद्ध का रूप अख्तियार कर दुनिया के बहुत से हिस्सों से धीरे-धीरे मनुष्य जाति का नामोनिशान मिटाकर, खत्म होगा. पुतिन के शब्दों में – ‘हम उस दुनिया का क्या करेंगे, जिसमें रुस ही न हो.’ यानी हम (पुतिन) इस दुनिया को ही उड़ा देंगे.
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आखिर किसकी युद्ध पिपासा का परिणाम है यूक्रेन की जमीन पर चल रहा यह युद्ध ?
आखिर क्यों यूक्रेन पर आक्रमण करना रुस के लिए जरूरी था ?
यूक्रेन के बहाने रूस पर अमेरिकी साम्राज्यवादी हमले के खिलाफ खड़े हों !
झूठा और मक्कार है यूक्रेन का राष्ट्रपति जेलेंस्की
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