Home लघुकथा …क्योंकि बेशर्मी बड़ी है महाराज !

…क्योंकि बेशर्मी बड़ी है महाराज !

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धृतराष्ट्र – संजय देख कर बताओ कि युद्धभूमि में क्या चल रहा है..?

संजय – महाराज, युवराज दुर्योधन चारों तरफ से घिर चुके हैं. बड़े बड़े महाबली अपने सबूत रूपी शस्त्र के साथ घेरने लगे हैं. प्रतिपल नए बलशाली योद्धा सबूतों के साथ आ रहे हैं.

धृतराष्ट्र – यूं पहेलियां ना बुझाओ संजय. शब्दों के जाल में मेरी मति मत उलझाओ. स्पष्ट कहो की हालत क्या हैं ? मैं अब हर सत्य सुनने को तैयार हो चुका हूं. क्या मेरा प्यारा दुर्योधन घिर चुका है..?

संजय – महाराज वो अडानी…

धृतराष्ट्र – अडानी की बात छोड़ो संजय…, मेरे जख्मों पर नमक मत डालो. नई बात बताओ. कौन से नए बलशाली यौद्धा..? कैसी सबूत रूपी शस्त्र..? बताओ संजय बताओ..?

संजय – महाराज, चुनाव में हेराफेरी के सबूत सामने आए हैं. इजराइल के फर्म द्वारा चुनाव को प्रभावित करने के ढेरों कुकर्म के किस्से सम्पूर्ण जगत में प्रसारित हो गए हैं.

धृतराष्ट्र – हे कृष्ण, कैसे कैसे दिन दिखा रहे हो.

संजय – महाराज, एक और खबर है कि सिंगापुर के अडानी के भाई ने अडानी की एसेट दिखाकर बैंक से कर्ज लिया है. उधर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की खबर तो आपको मैंने सुना ही दी है.

धृतराष्ट्र – संजय, क्या तुम्हारे पास मेरे प्रिय दुर्योधन के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है..?

संजय – फिलहाल तो नहीं महाराज. उधर दूर देश अमेरिका के एक बड़े व्यापारी जॉर्ज सोरोस ने बयान दिया है, ये भी महत्वपूर्ण हो रहा है महाराज. उसने भी घेर लिया है.

धृतराष्ट्र – हे भगवान ! अब आगे क्या होगा प्रिय दुर्योधन का..?

संजय – फिलहाल कुछ नहीं होगा महाराज !

धृतराष्ट्र – ये तो अच्छी खबर सुनाई संजय. किंतु तुम ऐसा कैसे कह रहे हो..?

संजय – क्योंकि बेशर्मी बड़ी है महाराज..!

  • हेमंत ठाकुर

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