आभा शुक्ला
भाजपा सरकार को ब्राह्मणों और सवर्णों की सरकार समझने वाले सिरफिरे ब्राह्मण और सवर्ण ध्यान दें. कानपुर देहात की मैथा तहसील में सरकारी जमीन पर बनी झोपड़ी उजाड़ने बुलडोजर गया था. प्रमिला दीक्षित ने भीतर से अपनी झोपड़ी बंद कर ली, जिससे बुलडोजर के गुरुर को ठेस पहुंची क्योंकि बुलडोजर को हर हाल में तालियां बटोरनी थीं इसलिए आनन फानन में जलती हुई झोपड़ी नेस्तनाबूत कर दी गई. मां बेटी जल मरी. एसडीएम सहित अन्य बड़े बड़े अधिकारी खड़े देखते रहे. गरीबी धधक धधक कर मरती रही, बुलडोजर गौरवान्वित होता रहा.
आखिरकार बुलडोजर की दरिंदगी प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा को खा ही गई. मां-बेटी दोनों की मौके पर धू-धू कर जलकर मौत हो गई. पुलिस प्रशासन सब देखता रहा. बुरी तरह जले मृतका के पति का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों के इशारे पर लेखपाल ने उनकी झोपड़ी में आग लगाई.
निर्लज्ज सरकार को इसके बाद भी शर्म नही आई. न्याय के लिए मृतका के परिवार से मिलने जा रहे सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी और अन्य को घर पर हाउस अरेस्ट करा दिया जा सकता है. मतलब सीधा मतलब है कि अगर हम मारेंगे तो आंसू पोछने किसी को जाने भी नहीं देंगे. जो कुछ परिवार से कराएंगे वो दबाव में हम ही कराएंगे. कोई विपक्ष, कोई एक्टिविस्ट, कोई नेता, कोई नहीं पहुंच पाएगा वहां तक…
हर बात का क्रेडिट खुद लेने वाले योगी मोदी इस सरकारी हत्या का क्रेडिट खुद लेंगे क्या ? अगर नैतिकता शेष होती तो इस हत्याकांड की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए योगी आदित्यनाथ अब तक इस्तीफा दे चुके होते. इन मौतों का जिम्मेदार लेखपाल या एसडीएम नही हैं, इसकी जिम्मेदार पूरी बुलडोजर प्रणाली और इस प्रणाली को लाने वाले लोग हैं.
अगर ये मान लें कि अवैध झोपड़ी सरकारी जमीन पर बनी थी तो भी ये भारत के कल्याणकारी राज्य होने के मुंह पर तमाचा है ये मौतें. इतनी बदसलूकी तो इन मां बेटी के साथ तब भी नहीं होती जबकि ये बिना वीजा पाकिस्तान जाकर वहां की जमीन पर झोपड़ी बना ली होतीं. जेल मिलती, मौत नहीं मिलती. यह अलग बात है कि कानपुर देहात में जो मां और बेटी बुलडोजर के कारण जलकर मरी हैं, उन महिला का अभागा बेटा शिवम दीक्षित बजरंग दल का सहसंयोजक है.
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