Home कविताएं कहानियां

कहानियां

0 second read
0
0
315

असंख्य कहानियां बुनी जा रही हैं मेरे इर्द-गिर्द
कुछ ज्ञात और कुछ अज्ञात लिपियों में

ज्ञात लिपियों के निश्चित चेहरे होते हैं

आदिवासी गांव के हाट बाज़ार में
मुर्ग़ा लड़ाई को तुम विस्तृत रूप दे कर
शीत युद्ध का नाम दे सकते हो
या चुनावी युद्ध का
तुम्हारी मर्ज़ी

मेरा अख़्तियार इस पर नहीं है दोस्त

मैं किसी नशेड़ी के पुराने कोट की कोहनी और
कलाई की उधड़ने में
ताड़ के पलने की तलाश में हूं

मुझे डोपामिन की ज़रूरत
तुम्हारे नंगे देह से नहीं मिलती है प्रिया
त्वरित स्खलन का मरीज़ भी नहीं हूं मैं
लेकिन, सृष्टि की प्रक्रिया का भागीदार ज़रूर हूं मैं

जन्म के संयोग से जिनको
देश निकाला दिया है तुमने
उनके साथ ही परदेस में रहा हूं मैं
ज्ञात समय की परिधि के बाहर
और इसलिए मेरा इतिहास जब भी लिखा गया
चुनाव की अमिट स्याही से नहीं
सरकंडे की दीवारों के पार जलती
सरकंडों की मद्धम आग की रोशनी में
एक निर्वस्त्र स्त्री की कांपती हुई लौ से लिखी गई
जिसे उभारने के लिए मयस्सर नहीं थी
कोई मिट्टी की दीवार

यह वही समय था
जब ख़ंदकों में वे अपनी पुरानी बंदूक़ें आज़मा रहे थे
नए, सुसज्जित दुश्मनों पर
और बच्चे देख रहे थे
उनके खेल के मैदानों को
भूखी धरती के कोख में समाते हुए

असंख्य कहानियों में
तुम्हारी नज़ाकत का ज़िक्र
व्यतिक्रम था दोस्त

नियम सिर्फ़ एक शोर था
सर विहीन एक धड़
जिसे तुमने भीड़ का नाम दिया
और मैंने एक खिसकती हुई दुनिया

इन असंख्य कहानियों में
आदमी का ज़िक्र कहीं कहीं आता है
उस आदमी का
जो ज़िंदा रहने के लिए
खाता है
सोता है
और मैथुन भी करता है
लेकिन, बंधी हुई मुठ्ठियों के साथ.

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…