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राहुल गांधी की छवि बर्बाद करने के लिए कॉरपोरेट का राष्ट्रीय अभियान

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राहुल गांधी की छवि बर्बाद करने के लिए कॉरपोरेट का राष्ट्रीय अभियान
राहुल गांधी की छवि बर्बाद करने के लिए कॉरपोरेट का राष्ट्रीय अभियान

राहुल गांधी, आजाद भारत में पहले नेता हैं जिनकी छवि बर्बाद करने के लिए अरबों रुपये लगाकर बाकायदा राष्ट्रीय अभियान चलाया गया. वजह थी चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने से इन्कार करना और आदिवासियों का साथ देना. जब वे ताकतवर थे, सत्ता में थे तो कॉर्पोरेट का साथ देने की जगह आदिवासियों का साथ दिया और इसकी कीमत चुकाई. उनकी छबी धूमिल करने के लिए उनके खिलाफ राष्ट्रीय अभियान चला दिया गया.

यह अभियान 2010 में शुरू हुआ और बाकायदा करोड़ों-अरबों का तंत्र बनाया गया. कम से कम तीन कॉर्पोरेट घरानों ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी नुमाइंदगी करने वाले एक वकील एवं पूर्व मंत्री के साथ मिलकर यह अभियान चलाया, जिसमें दो मीडिया घराने, कुछ पालतू संपादक और पत्रकार शामिल थे. इस अभियान के तहत राहुल गांधी के खिलाफ सालों तक लगातार खबरें प्लांट की गईं ताकि देश की जनता उन्हें गंभीरता से न ले. मीडिया में राहुल गांधी के खिलाफ क्या छपना है यह वो वकील, नेता तय करता था.

पत्रकार रोहिणी सिंह और अभिसार शर्मा ने मिलकर यह खुलासा किया है. उनके मुताबिक हुआ ये कि कॉरपोरेट समूह वेदांता नियामगिरि, ओडिशा में खनन करना चाहता था. आदिवासियों ने इसका विरोध किया. संघर्ष बढ़ा तो बात दिल्ली तक पहुंची. राहुल गांधी ने कहा कि आदिवासियों की आवाज सुनी जाएगी. सरकार खनन की इजाजत नहीं देगी.

राहुल गांधी के इस स्टैंड से वेदांता ग्रुप तो कांग्रेस के खिलाफ गया ही, बाकी कॉर्पोरेट घरानों में भी घबराहट बढ़ने लगी. संदेश ये गया कि राहुल गांधी सत्ता में आए तो जनता के साथ खड़े होकर कॉर्पोरेट का विरोध करेंगे. इसी बीच अंबानी समूह में मोदी और शाह के एक करीबी को टॉप पोजिशन पर बैठाया गया, इसे लेकर कांग्रेस और अंबानी में दूरी पैदा हुई.

भारत जोड़ो यात्रा के एक नवीनतम पोस्टर में राहुल गांधी

उस समय तक राहुल गांधी मीडिया में छाए रहते थे. हालांकि, बहुत कोशिश के बावजूद वे किसी कॉर्पोरेट से नहीं मिलते थे. कॉर्पोरेट जगत के लोगों को लगा कि अगर राहुल गांधी मजबूत हुए तो उनके लिए हो सकता है अच्छा परिणाम न हो. नतीजतन कुछ मजबूत औद्योगिक समूहोंने राहुल गांधी को बदनाम करने का अभियान ज्वाइन किया.

दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से कुछ एक कांग्रेसियों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई. अगर आप व्हाट्सएप विश्विद्यालय के जरिए राहुल गांधी को जानते हैं तो आपको यह कहानी रास नहीं आएगी, लेकिन अगर आप राहुल गांधी को गंभीरता से सुनते हैं, कोरोना, नोटबंदी, अर्थव्यवस्था आदि पर उनकी सच होती भविष्यवाणियों को जानते हैं, मीडिया पर उस वकील नेता के प्रभाव के बारे में परिचित हैं, राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे चरित्र हनन अभियान का अंदाजा है तो आपको यह कहानी हैरान नहीं करेगी.

जानने वाले जानते हैं कि राहुल गांधी नेता जैसे भी हों लेकिन उनकी छबी खराब करने के लिए इस देश में राष्ट्रीय अभियान चलाया गया. जहरीली आई.टी. सेल उसी मिथ्या अभियान के तहत वजूद में आई थी जिसने भारतीय राजनीति को पतन के धरातल पर पहुंचाया है.

  • मनोज कुमार

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