Home गेस्ट ब्लॉग संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और नोबेल विजेता अमर्त्‍य सेन : अन्‍याय के खि‍लाफ सार्वजनि‍क संवाद

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और नोबेल विजेता अमर्त्‍य सेन : अन्‍याय के खि‍लाफ सार्वजनि‍क संवाद

4 second read
0
0
209
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और नोबेल विजेता अमर्त्‍य सेन : अन्‍याय के खि‍लाफ सार्वजनि‍क संवाद
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और नोबेल विजेता अमर्त्‍य सेन : अन्‍याय के खि‍लाफ सार्वजनि‍क संवाद

संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस तीन दिवसीय भारत दौरे पर थे. जनाब ने मोदी सरकार की इज्जत का डंका भारत मे ही आकर पीट दिया है. बुधवार को एंटोनियो आईआईटी मुंबई के एक कार्यक्रम में शामिल हुए. आईआईटी में संबोधन के दौरान एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि ‘वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका तभी मजबूत और विश्वसनीय होगी जब वह देश के भीतर मानवाधिकारों और समावेशी समाज की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होगा.’ (यानी अभी नहीं है ?)

महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि, ‘विविधता एक ऐसी संपन्नता है जो आपके देश को मजबूत बनाती है. इस समझ को महात्मा गांधी के मूल्यों को अपनाते हुए सभी लोगों, खासतौर पर वंचित तबके के अधिकारों और उनकी गरिमा को बनाए रखते हुए हर रोज मजबूत किया जाना चाहिए. विविध संस्कृतियों, धर्मों और नस्लों के योगदान को पहचानते हुए और नफरत फैलाने वाले बयानों को हतोत्साहित करते हुए समाज को समावेशी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.’ ( यानी नहीं उठाये गए हैं य्या UN सन्तुष्ट नही है ?)

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने आगे कहा कि वे सभी भारतीयों से जागरुक होने और भारत की समावेशी बहुलता, विविधता और समाज में योगदान देने का अनुरोध करते हैं. एंटोनियो गुटेरेस ने आगे कहा कि मानवाधिकार आयोग का सदस्य होने के नाते वैश्विक मानवाधिकारों को आकार देना और अल्पसंख्यक वर्ग समेत सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करना भारत की जिम्मेदारी है. (यानी क्या गुटोरेस जी आप कह रहे हैं मानव अधिकारों और अल्पसंख्यक वर्ग की रक्षा मामलों में भारत की सरकार असफल है ?)

उल्लेखनीय है संयुक्त राष्ट्र ने भारत को फिर से मानव अधिकार आयोग के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है ! यानी भक्तों के गर्व करने लायक काफी तीखा मसाला गुटोरेस जी देकर निकल लिए है.

अब अमर्त्‍य सेन पर आते हैं. नोबुल पुरस्‍कार मि‍लने के बाद से उनके लि‍खे को ज्‍यादा ध्‍यान से पढ़ा जाता है, उनकी बातों को ज्‍यादा ध्‍यान से सुना जाता है. अमर्त्‍य सेन ने पांच अगस्‍त को कोलकाता में अपनी कि‍ताब को बाजार में जारी करते हुए एक व्‍याख्‍यान ‘न्‍याय’ पर दि‍या.

इस मौके पर दि‍ए अपने व्‍याख्‍यान में सेन ने कहा न्‍याय का वि‍चार आकर्षि‍त करता है. न्‍याय की तलाश उम्‍मीद जगाती है. न्‍याय की तलाश वैसे ही है जैसे आप अंधेरे में काली बि‍ल्‍ली खोज रहे हों जबकि‍ कमरे में बि‍ल्‍ली नहीं थी.

सेन के अनुसार न्‍याय प्रति‍स्‍पर्धी होता है, रूपान्‍तरणकारी नहीं. अपने व्‍याख्‍यान में जॉन रावेल की ‘न्‍यायपूर्ण संस्‍थान’ की धारणा पर आलोचनात्‍मक टि‍प्‍पणी करते हुए कहा कि‍ ‘न्‍याय का संबंध संस्‍थानों की तुलना में इस बात से है कि‍ लोग आखि‍रकार कैसे रहते हैं, उनका जीने का तरीका क्‍या है, संस्‍थान और कानून से ही मात्र लोग प्रभावि‍त नहीं होते बल्‍कि‍ उनके जीवन व्‍यवहार, एक्‍शन और गति‍वि‍धि‍यों से भी लोग प्रभावि‍त होते हैं.’

सेन ने यह भी कहा कि‍ ‘संस्‍थानों का जीवन पर क्‍या प्रभाव होता है यह भी देखना चाहि‍ए. जो ‘रूपान्‍तरणकारी न्‍याय’ की धारणा में वि‍श्‍वास करते हैं वे अन्‍याय के खि‍लाफ तब तक कोई काम नहीं करते जब तक समूचा समाज दुरूस्‍त नहीं हो जाता. उनके अनुकूल नहीं हो जाता.

इस धारणा के खि‍लाफ सेन ने अनेक उदाहरण देकर बताया कि‍ कैसे गुलाम प्रथा, औरतों की पराधीनता आदि‍ का खात्‍मा हुआ और कैसे संस्‍थानों के दुरूस्‍त न होने के बावजूद सामाजि‍क परि‍वर्तन की हवा चलती रही है. सेन कहना था समाज जब तक पूरी तरह सही न हो जाए, तब तक लोग न्‍याय का इंतजार नहीं कर सकते.

अमर्त्‍य सेन ने एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण बात कही है – ‘सामाजि‍क और राजनीति‍क तौर पर जिंदगी तब असहनीय हो जाती है यदि‍ आप कुछ कदम नहीं उठाते. यदि‍ आप सोचते हैं कि‍ आदर्श स्‍थि‍ति‍ आएगी तब ही कदम उठाएंगे तो आदर्श स्‍थि‍ति‍ आने वाली नहीं है. ‘दुरूस्‍त न्‍यायपूर्ण समाज’ की उम्‍मीद में हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने से अच्‍छा है अन्‍याय की स्‍थि‍ति‍यों का प्रति‍वाद करना.

न्‍याय का सवाल सि‍र्फ दर्शन का सवाल नहीं है बल्‍कि‍ राजनीति‍क प्रैक्‍टि‍स का सवाल है. नीति‍ बनाने वाले संस्‍थानों को अन्‍याय पर वि‍चार करना चाहि‍ए. सेन ने भारत में अन्‍याय के क्षेत्रों को रेखांकि‍त करते हुए कहा कि‍ ‘बच्‍चों में कुपोषण, गरीबी, गरीबों के लि‍ए चि‍कि‍त्‍सा व्‍यवस्‍था का अभाव, शि‍क्षा का अभाव आदि‍ अन्‍याय के रूप हैं.

सेन ने कहा न्‍याय के लि‍ए ज्‍यादा से ज्‍यादा सार्वजनि‍क संवाद में व्‍यापकतम जनता की शि‍रकत जरूरी है. अमर्त्‍य सेन की नई कि‍ताब ‘दि‍ आइडि‍या आफ जस्‍टि‍स’ मूलत: मानवाधि‍कार के परि‍प्रेक्ष्‍य में न्‍याय को व्‍याख्‍यायि‍त करती है. आमतौर पर हमारे अनेक बुद्धि‍जीवी और वामपंथी दोस्‍त मानवाधि‍कार का सवाल आते ही भड़कते हैं, मानवाधि‍कार संगठनों के बारे में षडयंत्रकारी नजरि‍ए से व्‍याख्‍याएं करते हैं.

सेन ने इस कि‍ताब में एक महत्‍वपूर्ण पक्ष पर जोर दि‍या है कि‍ न्‍याय और अन्‍याय के सवाल को अदालत में ही नहीं बल्‍कि‍ सार्वजनि‍क जीवन में खुलेआम बहस मुबाहि‍सों के जरि‍ए उठाया जाना चाहि‍ए. न्‍याय के वि‍वाद के लि‍ए खुला वातावरण जरूरी है. न्‍याय की धारणा का इसके गर्भ से ही वि‍कास होगा. इस प्रक्रि‍या में न्‍याय और मानवाधि‍कार दोनों की ही रक्षा होगी.

सार्वजनि‍क वि‍वाद, संवाद का अर्थ है सूचनाओं का अबाधि‍त प्रचार-प्रसार. यही वह बिंदु है जहां पर मुक्‍त संभाषण या बोलने की स्‍वतंत्रता का भी वि‍कास होगा. सेन ने अपनी कि‍ताब में कि‍ताबी न्‍याय और संस्‍थानगत न्‍याय की धारणा का नि‍षेध कि‍या है.

इस प्रसंग में उल्‍लेखनीय है ‍समाजवादी समाजों से लेकर अनेक पूंजीवादी समाजों में न्‍याय के बारे में बेहतरीन कानूनी, नीति‍गत और संस्‍थानगत व्‍यवस्‍थाएं मौजूद हैं किंतु सार्वजनि‍क तौर पर अन्‍याय का प्रति‍वाद करने की संभावनाएं नहीं हैं तो न्‍यायपूर्ण संस्‍थान अन्‍याय के अस्‍त्र बन जाते हैं. समाजवादी समाजों का ढ़ांचा इसी कारण बि‍खर गया.

समाजवादी समाजों में यदि‍ खुला माहौल होता और अन्‍याय का प्रति‍वाद होता तो समाजवादी व्‍यवस्‍था धराशायी नहीं होती. न्‍याय के लि‍ए बोलना जरूरी है, अन्‍याय का प्रति‍वाद जरूरी है. अन्‍याय के खि‍लाफ बोलने से न्‍याय का मार्ग प्रशस्‍त होता है. अन्‍याय का प्रति‍वाद अभि‍व्‍यक्‍ति‍ की आजादी और सार्वजनि‍क तौर पर खुला माहौल बनाने में मदद करता है और इससे न्‍याय का मार्ग प्रशस्‍त होता है. (यानी यहां भी भक्तों को समाजवाद का खिलाफत करने लायक काफी तीखा मसाला देकर अमर्त्य सेन जी निकल लिए हैं.)

Read Also –

 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…