Home लघुकथा राजा का आदेश और देशद्रोही बूढ़ा

राजा का आदेश और देशद्रोही बूढ़ा

0 second read
0
0
291

सर्वप्रिय राजा ने प्रजा से कहा- ‘पुनर्निर्माण के लिए सारे गांव के पुराने भवनों को आग लगाना पड़ेगा.’

गांववाले : ‘महाराज की जय हो ! महाराज की जय हो !’

एक बूढ़े ने पूछा – ‘मगर तब तक गांववाले आखिर रहेंगें कहां ?’

गांव वालों ने बूढ़े को जिज्ञासा और राजा ने क्रोधित दृष्टि से देखा. तभी राजा ने मुस्कुराते हुए प्रजा की जिज्ञासा पर प्रहार किया और कहा – ‘भाइयो बहनों, आप लोग तो मेरे हृदय में रहेंगे !’

प्रजा : महाराज की जय हो ! महाराज की जय हो !

बूढ़े ने फिर कहा – ‘अरे पर हम रहेंगे कहां ?

इस बार भीड़ में से किसी ने कहा : ‘धरती मेरी माता, पिता आसमान.’ बस हो गया काम !

अगले दिन लोगों की बस्तियां जल रहीं थी. लोग पुनर्निर्माण के स्वप्न में खुशी से जयकारे लगा रहे थे.

वहीं दूसरी ओर राजद्रोह के आरोप में सुबह हरे भरे सुंदर पेड़ पर एक बूढ़े की लाश लटक रही थी !

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • देश सेवा

    किसी देश में दो नेता रहते थे. एक बड़ा नेता था और एक छोटा नेता था. दोनों में बड़ा प्रेम था.…
  • अवध का एक गायक और एक नवाब

    उर्दू के विख्यात लेखक अब्दुल हलीम शरर की एक किताब ‘गुज़िश्ता लखनऊ’ है, जो हिंदी…
  • फकीर

    एक राज्य का राजा मर गया. अब समस्या आ गई कि नया राजा कौन हो ? तभी महल के बाहर से एक फ़क़ीर …
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…