आईएमएफ की ताज़ा रिपोर्ट पढिए और जनता को शिक्षित कीजिए. मोदी गैंग सफेद झूठ बोल रहा है. आर्थिक तबाही से ध्यान हटाने के लिए मंदिरों पर जश्न मनाए जा रहे हैं, जिससे अशिक्षित जनता को यह संदेश दिया जाए कि देश तरक्की कर रहा है, मोदी मौज में हैं, देश मौज में है, जनता बेफिक्र रहे. यह तबाही से ध्यान हटाने की कोशिश है.
– जगदीश्वर चतुर्वेदी
देश की बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सड़क, बिजली, पानी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस प्रकार महाकाल मंदिर पर 800 करोड़ रुपया पानी की तरह खर्च किया है, वह दुनिया की सबसे अश्लील तस्वीर है. लोगों के दुःख-दर्द से परे यह फकीर लोगों की दरिद्रता और पीड़ा पर अट्टहास लगाता है.
यह ‘फकीर’ बतलाता है कि उसने देश के लिए घर छोड़ा, लेकिन यह नहीं बताता है कि उसने इसके एवज में दस लाख का सूट, रहने के लिए 25 हजार करोड़ का सेन्ट्रल विस्टा घर, पीने का पानी 850 रुपये प्रति लीटर, खाने के लिए लाख रुपये का थाली, सैर-सपाटे के लिए करोड़ों की गाड़ी और 8500 करोड़ का हवाई जहाज करोड़ों देशवासियों के जिन्दगी की कीमत पर हासिल किया.
इसके ही भाड़े का टट्टू कपिल मिश्रा दिल्ली विधानसभा में, तब यह आम आदमी पार्टी का विधायक हुआ करता था, ने कागज लहराते हुए मोदी को अय्यास बताया था, जिसने अनेकों लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद करके रख दी. अगर यह अय्यास और भोगी मोदी को फकीर कहा जा सकता है, तो देश का हर व्यक्ति अपना घर छोड़ने के लिए तैयार मिलेगा.
देश के करोड़ों लोगों को शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार से वंचित रखने वाला यह औरतबाज अय्यास बहुरूपिया ढ़ोंगी नरेन्द्र मोदी को कभी ‘गंगा मैय्या’ बुलाती है तो कभी ‘महाकाल’ बुलाता है, बस इसे किसी दिन यमराज नहीं बुलाता है. देश की अर्थव्यवस्था को गटर में डूबो देने वाला यह ‘फकीर’ जब महाकाल की पूजा के नाम पर 800 करोड़ रुपया फूंक देता है, तब इसे किसी गरीब की आह इसे सुनाई नहीं देती.
मित्र सौमित्र राय लिखते हैं – मैं हैरान नहीं हूं कि प्रधानमंत्री ने महाकाल लोक का उद्घाटन करते हुए सिर्फ़ मंदिरों की बात की. असल में उनके पास दिखाने के लिए सिर्फ़ भव्य मंदिर ही हैं और तलवाचाट पत्तलकारों के पास गदगद होने को धार्मिक श्रेष्ठता. दरअसल, प्रधानमंत्री उस महाकाल के दरबार में खड़े थे, जहां झूठ की गुंजाइश नहीं रहती. यह अलग बात है कि काशी विश्वनाथ के आंगन में खड़े होकर भी वे झूठ बोलने से बाज़ नहीं आये थे.
रुपया आज 82.32 पर बंद हुआ. इस देश के 90% लोगों की तरह शायद उन्हें भी मालूम नहीं होगा कि गिरते रुपये से किन्हें लाभ और किनको नुकसान होता है. भिकास (विकास) के दावों की पोल कर्नाटक में 40% घूस लेने वाली बीजेपी के डबल इंजन सरकार ने खोली है.
भारत के प्रधानमंत्री आखिर कब तक ऐसे भव्य इवेंट करवाकर और मंदिरों के नाम पर जनता को मूर्ख बनाते रहेंगे ? यकीन जानिए, देश का बेड़ा ग़र्क हो चुका है. आलम यह है कि अदाणी और कुछ दोस्तों के सिवा सरकार को कोई और खरीदार भी नहीं मिल रहा है, जो बोली लगाए. मैं हैरान इस बात से हूं कि पैरों तले खिसकती ज़मीन को लोग क्यों नहीं समझ पा रहे हैं ?
भारत को दुनिया की उभरती हुई सबसे तेज़ अर्थव्यवस्था कहकर इतराने वाले मूर्ख जान लें कि इस साल के आख़िर तक देश की जीडीपी का 84% क़र्ज़ हमारे माथे होगा. उधर, देश का वित्तीय घाटा अभी जीडीपी के 10% से बढ़कर 12% से भी ऊपर जाने वाला है. इस घाटे में 6.5% हिस्सा मोदी सरकार की नालायकी और निकम्मेपन से पैदा हुआ है, बाकी अधिकांश राज्यों की डबल इंजन सरकारों का है.
अप्रैल-अगस्त के दौरान इस 5.41 लाख करोड़ से ज़्यादा के वित्तीय घाटे की भरपाई तेल की लूट और GST बढ़ाकर की जा रही है. वित्त मंत्री आज जो बजट बनाने की बात कर रही थीं, उसका सार यही है कि बीते महीने ही वित्तीय घाटा बजट अनुमान के करीब 33% को छू चुका है, पिछले साल यह 31.1% था.
आगे खाई है. फिसलना ही है. अगला पूरा साल मंदी में जायेगा, जहां वैश्विक व्यापार 4% तक सिकुड़ सकता है. फिर हालात नहीं संभलने वाले. बीते 9 माह से भारत में महंगाई रिज़र्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर है. सितंबर में खुदरा महंगाई 7% से 7.41% पर उछल गई. रीढ़हीन रिज़र्व बैंक सरकार के पिट्ठू की तरह सिर्फ़ ब्याज़ दरें बढ़ाने के अलावा सरकार को सलाह भी नहीं दे पा रहा है.
NSO का आज जारी हुआ डेटा बता रहा है कि फैक्टरियों से उत्पादन भी अगस्त में 1% सिकुड़ गया है. RBI कह रहा है कि सरकार को उसके द्वारा लिखी गई चिट्ठी उजागर नहीं की जाएगी. प्रेम पत्र ही लिखा होगा, वरना एक चिट्ठी का मज़मून बताने में इतनी तकलीफ़ नहीं होती.
बाज़ार में टमाटर लाल हुए जा रहे हैं. बाकी खाद्य वस्तुओं की महंगाई 7.62% से 8.60% पर आ गई है. ये सिर्फ़ आंकड़े हैं, वास्तविक महंगाई और ज़्यादा है. वित्त मंत्री अमेरिका घूम रही हैं और प्रधानमंत्री कभी मंदिर का उद्घाटन तो कभी ट्रेन को हरी झंडी दिखा रहे हैं. घोर अराजक इस देश में सरकार नाम की कोई चीज़ ही नहीं बची है.
विद्वान वित्त मंत्री कह रही हैं कि अगला बजट सावधानी से बनाना होगा, ताकि भिकास हो. पिछले दो बजट फ़ेल होने के बाद अगले बजट में भिकास कैसे होगा ? कोई नहीं जानता. क्या निर्मलाजी यह कहना चाहती हैं कि पिछले दोनों बजट अदाणी-अम्बानी सेठों के लिए बनाए गए और चुनाव से पहले फटेहाल जनता को रेवड़ी बांटने के लिए पूछा जाएगा ?
अगला पूरा साल भीषण मंदी का है. नंगा क्या नहाए, क्या निचोड़े वाले बजट में भिकास का 2एबी फॉर्मूला मोदीजी जैसा महामानव ही निकाल सकता है. लंगोटी संभालिये.
मित्र गिरीश मालवीय लिखते हैं – क्यों मिले लोगो को स्वास्थ्य सुविधाएं, जब वोट उन्हें मन्दिरों की भव्यता के नाम पर देना है ?मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की यह हालत है कि भिंड के एक सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में युवक के पैर पर कच्चा प्लास्टर लगाने की बजाय कागज का गत्ता बांध दिया गया.
यहां गांव खेड़े में हालत ये है कि मरीजों को समय पर एंबुलेंस तक नहीं मिल पाती है. पिछले दिनों दमोह की स्वास्थ्य सुविधा की उस समय पोल खुल गई, जब एक मजबूर पति अपनी गर्भवती पत्नी को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंचा. मुरैना में भी कुछ दिन पहले ऐसा ही मामला आया था, जहां एक महिला के सिर में चोट लगने पर कंडोम के खाली पैकेट के साथ उसकी ड्रेसिंग कर दी गई.
मध्य प्रदेश में ही कुछ दिन पहले एक महिला को स्ट्रेचर न मिलने से चादर में लिटाकर ऑपरेशन थिएटर तक ले जाने की दर्दनाक तस्वीर सामने आई थी, तड़पते मरीजों और घायलों के परिजन अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों के सामने गिड़गिड़ाते रहे, उनसे स्ट्रेचर की मांग करते रहे लेकिन उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला. लोगों की जान जोखिम में डालकर परिजन मजबूरन अपने हाथों से ही उन्हें ऑपरेशन थिएटर तक ले जाते नजर आते हैं.
बताइए आप ! न स्ट्रेचर है ? न ड्रेसिंग का सामान हैं ? न एंबुलेंस है ? और डाक्टरों की उपलब्धता की बात तो आप पूछिए ही मत. दरअसल सच यह है कि इसकी किसी को चिंता भी नहीं है क्योंकि वोट इन सबसे नही मिलता ! कल पता चला कि उज्जैन में महाकाल मन्दिर की भव्यता दर्शाने के लिए 800 करोड़ खर्च कर दिए गए.
किसने कहा आपसे कि महाकाल लोक बनाने को ? क्या ये पैसा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने पर खर्चा नहीं किया जाना चाहिए था ? आपको भव्य महाकाल लोक की तस्वीर मन भावन लगती होंगी मुझे तो यह तस्वीर अश्लील लगती है.
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