Home कविताएं विस्फोट शुद्धीकरण की पहली और आख़िरी शर्त है

विस्फोट शुद्धीकरण की पहली और आख़िरी शर्त है

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जब तुम्हारे भावों को
शब्दों के चिमटे से पकड़ कर
काग़ज़ पर परोसना पड़े
समझ जाओ कि
समंदर के तल में कोई
ज्वालामुखी फटी है

अक्सर
बच्चों को मैंने
अपने दोनों हाथों को डैनों सा फैला कर
मैदान में दौड़ते हुए
हवाई जहाज़ का अनुभव करते हुए देखा है

पानी के जहाज़ बनने के पहले
हवाई जहाज़ बनने की ज़रूरत है

विस्फोट शुद्धीकरण की पहली और आख़िरी शर्त है

इसके बाद ही
मैं परोस पाता हूं
जलते हुए शब्दों को
किताबों पर
जबकि मुझे मालूम है कि
पन्ने ज्वलनशील काग़ज़ के बने हैं
और काग़ज़ पेड़ों के अवशेष हैं
पेड़ जंगल की भाषा है
और जंगल सृष्टि की

मैं हवाई जहाज़ बने उन बच्चों की
फैली हुई उँगलियों के बीच से
शीतल हवा सा गुजर जाना चाहता हूं

मेरे परोसे हुए
जलते हुए शब्दों का अभिप्राय
बस इतना भर है.

  • सुब्रतो चटर्जी

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