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सीलिंग पर कोहराम: आप को बदनाम करने की साजिश

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दिल्ली की जनता खासकर व्यापारी वर्ग को बर्बाद करने की गहरी साजिश केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा रची जा रही है. सीलिंग के बहाने केन्द्र की भाजपा सरकार दिल्ली की जनता से अपनी खुन्नस निकाल रहे हैं. एक ओर तो केन्द्र के अधीनस्थ दिल्ली पुलिस दिल्ली के व्यापारियों की दुकानों को हजारों की संख्या में सीलिंग के नाम पर बंद कर रही है, उन्हें पीट रही है, महिलाओं तक को बेरहमी से पीट-पीट कर जख्मी किया जा रहा है तो वहीं वहां पर कार्यरत् हजारों की तादाद में कर्मचारियों को बेरोजगार कर रही है. दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस के नेता घड़ियाली आंसू बहाते हुए व्यापारियों पर मलहम लगाने के लिए अस्पताल पहुंच रही है और इसका ठीकरा आम आदमी पार्टी के सर पर फोड़ने की कोशिश कर रही है.

अब तक मंथन से आम जनों और व्यापारियों के बीच जब यह साफ हो चुका है कि सीलिंग जैसी समस्या को रोकने के लिए केवल और केवल केन्द्र की भाजपा सरकार ही सक्षम है तब भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष और अश्लील गवैया मनोज तिवारी विदेश यात्रा पर निकल लिए तो वहीं भाजपा नियंत्रित दिल्ली एमसीडी दिल्ली के व्यापारियों से कनवर्जन चार्ज के नाम पर वसूले 4 हजार करोड़ रुपए गड़प कर गये.

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के पास कोई अधिकार नहीं होने का हवाला देने वाली केन्द्र की मोदी सरकार और उसके सहयोगी दिल्ली का ‘बाॅस’ एलजी अनिल बैजल इस सीलिंग जैसी समस्याओं को एक अध्यादेश के माध्यम से पल में सुलझा सकती है, परन्तु वह एक ओर तो इस समस्या को और ज्यादा क्रूर तरीके दिल्ली पुलिस के माध्यम से बढ़ा रही है तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी की सरकार को बदनाम करने के लिए दलाल मीडिया के माध्यम से झूठा प्रचार कर रही है.

सीलिंग क्या है ?

सन् 1984-85 में दिल्ली के रिहायशी इलाके करोलबाग में पत्थर क्रसिंग के कारण पैदा हुए धूल और प्रदूषण से परेशान होकर एक वकील एन. सी. मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में उन्होंने बताया था कि चूंकि करोलबाग एक रिहायशी इलाका है और यहां पत्थर क्रसिंग होने से बड़े पैमाने पर धूल और प्रदूषण पैदा होता है, जिस कारण वहां रहने वाले लोगों को भारी परेशानी और सांस की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, इसलिए रिहायशी इलाकों से इस तरह के उद्योग को हटाया जाना चाहिए. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रिहायशी इलाकों से इस तरह के उद्योगों को हटाने के लिए आदेश दिया था. परन्तु बाद में हुए विकास के कारण बहुत सारे इलाके रिहायशी क्षेत्र के रुप में विकसित हो गए. फलतः वहां नये नये व्यवसाय भी विकसित हुए. बाद में रिहायशी मकान में व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए एमसीडी के नियंत्रण में एक निर्धारित शुल्क निर्धारित किया गया, जिसे कनवर्जन चार्ज कहा गया.

एमसीडी ने तमाम व्यवसायियों से यह चार्ज वसूलने शुरु किये ताकि व्यवसायिक गतिविधियों के लिए पार्किंग आदि की व्यवस्था की जा सके. कहा जाता है कि एमसीडी ने व्यपारियों से कनवर्जन चार्ज के नाम पर तकरीबन 4 हजार करोड़ रुपये वसूले पर इक्का दुक्का पार्किंग बनाने के अलावा और कुछ नहीं किया और सारी सारी डकार गये.

हंगामा अब क्यों बरपा ?

जब से दिल्ली में भाजपा, मोदी और दलाल मीडिया के अथक दुश्प्रचार के बावजूद भारी बहुमत से आम आदमी पार्टी की सरकार ने सत्ता संभाली है तभी से भाजपा के आंखों में आम आदमी पार्टी खटक रही है. उपर से जब आम आदमी पार्टी दिल्ली की आम आदमी की बुनियादी सुविधाओं जैसे, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, किसानों की समस्या आदि जैसे सवालों को हल करने लगी और उसकी लोकप्रिय न केवल दिल्ली अपितु समूचे देश एवं दुनिया में होने लगी, तब हर मोर्चे पर विफल केन्द्र की मोदी सरकार आम आदमी पार्टी पर हमलावर होने लगी. दिल्ली सरकार को अस्थिर करने के एक से बढ़कर एक षड्यंत्रों में जुट गई. उसके विधायकों को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजने लगी, अफसरों व नौकरशाहों को डरा-धमका कर दिल्ली सरकार के खिलाफ उभारने लगी, जनहित के कामों में रोड़े अटकाने लगी. सीबीआई, आयकर विभाग आदि छोड़ दिये गये. इसके बावजूद अडिग दिल्ली सरकार को केन्द्र की मोदी सरकार डिगा नहीं पायी. अंशु प्रकाश जैसे भ्रष्ट और दलाल मुख्य सचिव के माध्यम से भी दिल्ली सरकार को गिरने का षड्यंत्र फेल हो गया. तब अब बौखलाहट में सीधे केन्द्र सरकार की शह पर दिल्ली पुलिस सीलिंग के नाम पर लोगों और खासकर व्यापारियों को उजाड़ने की गतिविधि तेज कर दी.

परिणाम क्या होगा ?

इसमें मोदी सरकार की स्पष्ट मंशा थी कि दिल्ली के व्यापारियों के खिलाफ सीलिंग के इस कदम से दिल्ली सरकार को अस्थिर करने और उसे बदनाम करने में वह सफल हो जायेगी. परन्तु हर बार की तरह सीलिंग के इस मुद्दे पर भी केन्द्र की मोदी सरकार की हैवानियत लोगों के सामने जगजाहिर हो गया.

लोग अब यह अच्छी तरह समझने लगे कि व्यापारियों के खिलाफ चल रहे सीलिंग की यह समस्या दिल्ली की केन्द्रीय सरकार के इशारे पर चल और चलाई जा रही है. सीलिंग की यह प्रक्रिया जितने ही अधिक दिन तक चलेगी और जितने ही अधिक व्यापारी वर्ग इसके चपेट में आयेगी, जितनी ही अधिक लोगों का रोजगार खत्म होता जायेगा, भाजपा की छिछालेदर उतनी ही ज्यादा बढ़ती जायेगी. भाजपा का अंत उतना ही नजदीक आता जायेगा और दिल्ली सरकार की लोकप्रियता उतनी ही ज्यादा बढ़ती जायेगी.

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