Home ब्लॉग 660 लोगों के छाती पर सवार भ्रष्टाचार का ट्विन टॉवर ध्वस्त

660 लोगों के छाती पर सवार भ्रष्टाचार का ट्विन टॉवर ध्वस्त

4 second read
0
0
242
660 लोगों के छाती पर सवार भ्रष्टाचार का ट्विन टॉवर ध्वस्त
660 लोगों के छाती पर सवार भ्रष्टाचार का ट्विन टॉवर ध्वस्त

नोएडा के सेक्टर-93ए में बने 103 मीटर ऊंचे ट्विन टावर नेस्तानाबूत कर दिये गए हैं. महज 9-12 सेकेंड में कुतुबमीनार से भी ऊंची इमारतें ध्वस्त हो गईं. कुतुबमीनार से भी ऊंची इमारत के ढ़हने पर आसमान में धूल का गुबार उठा. टावर के ध्वस्तीकरण के लिए करीब 9640 छेद में 3700 किलोग्राम विस्फोटक का प्रयोग किया गया था. किसी भी वारदातों से निपटने के लिए मौके पर पुलिस से लेकर एनडीआरएफ, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की टीमें मौजूद रही. वहीं वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पानी के टैंकर मौजूद हैं जिनसे पानी का छिड़काव किया जा रहा है साथ ही एंटी स्मॉग गन भी लगाई गई हैं.

देश की राजधानी से कुछ ही किलामीटर दूर बने यह दोनों टॉवर सरकार के भ्रष्टाचार का अनुपम उदाहरण है. आश्चर्य की बात है कि मोदी जो ड्रोन भेजकर जांच करवाते थे, उसमें भी यह टॉवर नहीं दिखे. ये टॉवर एक मिसाल है कि इस देश में कैसे बिल्डर सरकारी एजेंसी के आला अधिकारियों को इतनी रिश्वत खिलाते हैं कि सरकारी एजेंसी खुलेआम कोर्ट में बिल्डर के पक्ष में खड़ी हो जाती है.

सुपरटेक के ट्विन टावर को तोड़ने के फैसले के साथ नोएडा अथॉरिटी की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की थी उसे कोई गैरतमंद अधिकारी सुनता तो तुरंत ही इस्तीफा दे दे देता लेकिन अब इनकी खाल इतनी मोटी हो चुकी है कि इन्हें अब कोई परवाह ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए नोएडा अथॉरिटी को कहा कि आपको निष्पक्ष होना चाहिए था, लेकिन आप से भ्रष्टाचार टपकता है. कोर्ट ने कहा कि आपने ग्राहकों से बिल्डिंग के प्लान को छिपाया और हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे दिखाया. आप सुपरटेक के साथ मिले हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा था – ‘यह अधिकारों का चौंकाने वाला इस्तेमाल है. आप (नोएडा प्राधिकरण) न केवल (बिल्डर के साथ) मिलकर काम कर रहे हैं बल्कि सुपरटेक के साथ साठगांठ कर रखी है. जब घर खरीदारों ने एक स्वीकृत योजना के लिए कहा, तो आपने सुपरटेक को लिखा कि आपको दस्तावेज देना चाहिए या नहीं और इनकार करने पर आपने उन्हें योजना देने से इनकार कर दिया. उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से आपको यह निर्देश दिए जाने के बाद ही आपने उन्हें योजना सौंपी. आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं.’

पीठ ने नोएडा प्राधिकरण से कहा कि – अधिकारी होने के नाते, आपको सुपरटेक के कृत्यों का बचाव करने के बजाय एक तटस्थ रुख अपनाना चाहिए. आप किसी भी प्रमोटर के लिए एक निजी स्टैंड नहीं ले सकते.’ ट्विन टावर का यह मामला और इस मामले में दिया गया फैसला एक माइल स्टोन है, क्योंकि कुछ आम लोगों ने एक दिग्गज कंपनी के खिलाफ लड़ाई शुरू की और आखिरकार अब उसे जीत लिया है.

सुपरटेक ने जब 40-40 मंजिल वाले अपने दो टावर खड़े करने शुरू किए तभी इसे लेकर वहां के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध करना शुरू कर दिया था क्योंकि उनकी सोसाइटी के ठीक सामने, जिसे नोएडा अथॉरिटी ने पहले ग्रीन बेल्ट बताया था, वहां ये विशालकाय टावर खड़े हो रहे थे. RWA से जुड़े लोगों ने फैसला किया कि वो इस प्रोजेक्ट के खिलाफ लड़ेंगे. कुल 660 लोगों ने एक साथ कोर्ट का रुख किया और बताया कि कैसे अथॉरिटी और कंपनी की मिलीभगत के चलते ये टावर खड़े किए जा रहे हैं.

दरअसल बिल्डर ने नक्शे में जो भी संशोधन किए थे, उन संशोधन पर यहां रहना शुरू कर चुके फ्लैट बायर्स की मंजूरी ली जानी चाहिए थी. यूपी अपार्टमेंट एक्ट की शर्तों के तहत 60 पर्सेंट बायर्स की बिना सहमति के रिवाइज्ड प्लान को अप्रूवल नहीं दिया जा सकता था. इसकी एनओसी नहीं ली गई लेकिन नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन अधिकारियों ने भी इस नियम की परवाह नहीं की. साथ ही नेशनल बिल्डिंग कोड का नियम यह है कि किसी भी दो आवासीय टावर के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी होनी जरूरी है, लेकिन प्रॉजेक्ट में टावर नंबर 16, 17 की मंजूरी देने पर टावर नंबर-15, 16 और 1 के बीच मौके पर 9 मीटर से भी कम दूरी बची.

एक रहवासी ने बताया कि बिल्डर ने हमें फ्लैट देते हुए कहा था कि यहां बच्चों के खेलने के लिए एक पार्क भी होगा लेकिन पार्क की जमीन पर अवैध टॉवर खड़े कर दिए. सुप्रीम कोर्ट का टॉवर गिराए जाने का यह निर्णय उन बिल्डरों के लिए सबक है, जो यह समझते हैं कि प्राधिकरण और कानून सब उनकी जेब में है.

वहीं, आम आदमी पार्टी का भगोड़ा संघी दलाल व दंगाई नेता कपिल मिश्रा भ्रष्टाचारियों का समर्थन करते हुए कहता है कि ट्विन टावर को गिराए जाने की बजाय यहां अस्पताल-हॉस्टल खोलने का आदेश दिया जा सकता था. जिसने बनाई उसे सजा नहीं, जिसने बनवाई उसे सजा नहीं, इतनी बड़ी बिल्डिंग में अस्पताल, हॉस्टल, बुजुर्गों का निवास, निराश्रित महिलाओं का आश्रय कुछ भी बनाने का ऑर्डर दे देते. दिवाली पर पटाखे नहीं चलाने देते माननीय और खुद इतना पॉल्यूशन करने वाला ऑर्डर दे दिया.’

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चूहा और चूहादानी

एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…