व्यवस्था
राजा राम की है
वह शम्बूक का
वध करे सीता का
परित्याग करे
तो भी यह सब
राजधर्म है तो है
वह अभिजनवादी है
है तो है
रामराज्य की
व्यवस्था में ब्राम्हण
उच्च है तो है
क्षत्रिय वैश्य शुद्र
द्वितीय तृतीय चतुर्थ
है तो है
इसी क्रम में आर्थिक
संसाधनों का बंटवारा
जीने के स्तर में
सम्मान का बंटवारा
ऐसा है तो है
यह बात जनता को
स्वीकार है
है तो है
न कोई किंतु
न कोई परंतु
देश मे रामराज्य
है तो है
भंते राम भजो
रामव्यवस्था में
- बुद्धिलाल पाल
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