पूरी संवैधानिक व्यवस्था सिर्फ मनीष मंडल जैसे लुटेरों और गुंडों की रखैल है. इसका जीता जागता उदाहरण है पटना के IGIMS के भ्रष्ट प्रशासन और आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के बीच मौजूदा आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के इंसानी हकों की लड़ाई, जिसमें आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के रोजी रोटी के संघर्ष को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने के लिए IGIMS के MS (चिकित्सा अधीक्षक) ने सारे गैर कानूनी हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं.
मनीष मंडल सिर्फ दिखावटी तौर पे ही डाक्टर के पेशे में है पर असल में ये वो दरिंदा है जिसका असली पेशा सिर्फ हजारों मजदूरों के खून पसीने की कमाई को हड़पना है. और मजदूरों का खून पीने की आदत ने इसे बहुत बड़ा दैत्य बना दिया है, जो अपने बहुत बड़े गुंडा रैकेट से मिलकर अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने की हिम्मत रखता है. मतलब पुलिस, प्रशासन, नेता, मीडिया आदि सब इस आदमी की जेब में है. ये अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को या तो पैसे की ताकत से खरीद लेता है, नहीं तो गुंडागर्दी की ताकत से हमेशा के लिए चुप करवा देता है.
एक साल में मेहनतकश जनता की खून पसीने की कमाई के करोड़ों रुपए हड़प जाने वाला मनीष मंडल आज इतनी बड़ी ताकत बन चुका है कि आम मेहनतकश मजदूरों या कर्मचारियों के लिए संवैधानिक तरीके से इसके खिलाफ लड़ने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. और इस बात को साबित किया जब मनीष मंडल ने आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के हक की लड़ाई को जी जान से लड़ रहे मजदूर नेता अविनाश कुमार को पहले अपने गुंडों से खूब पिटवाया और फिर उसी के खिलाफ झूठी FIR करवा के उसको पुलिस से उठवा के जेल भिजवा दिया.
इस पूरी कहानी की सच्चाई ये है कि देश भर में रोजगार के नाम पर बंधुआ मजदूर बनाकर रख दिये गये आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को न तो सरकार और न ही उसके अधिकारी मनुष्य समझते हैं. पटना स्थित आईजीआईएमएस (IGIMS) में कार्यरत डेढ़ हजार से अधिक आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की यह नियति बन गई है ! लेकिन मजदूर नेता अविनाश कुमार के शानदार नेतृत्व में आईजीआईएमएस के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने एकजुट होकर आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ हो रहे अमानवीय कृत्य के खिलाफ आवाज बुलंद की. इसका परिणाम यह हुआ कि गिद्ध की तरह आईजीआईएमएस पर अपना खूनी पंजा गड़ाये चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनात मनीष मंडल ने अपने गुंडा गिरोह के द्वारा अविनाश कुमार पे जानलेवा हमला कराया.
ज्ञात हो कि IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों का वेतन महज 13 हजार रुपये हैं, जो न्यूनतम जीने लायक मजदूरी से भी कम है. यही कारण है कि ये तमाम कर्मचारी अविनाश कुमार के नेतृत्व में लगातार अपनी मांगों को विभिन्न पदाधिकारियों के समक्ष पत्राचार द्वारा उठाते रहे हैं, लेकिन आऊटसोर्सिंग कम्पनियों से करोडों की घूस खाने वाले मनीष मंडल आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को तबाह करने पर उतारु है.
पहले तो इस खूंखार दरिंदे चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल ने आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को डराने-धमकाने का कुकृत्य किया, लेकिन जब आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपने न्यायोचित मांगों से पीछे हटने से इंकार कर दिया तब तत्काल तो मनीष मंडल ने उनके मांगों के साथ मानवीय सहानुभूति दिखाने का नाटक किया. इस बीच इस कुख्यात मनीष मंडल ने नवपदस्थापित निदेशक, जो आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की मांगों के साथ सहानुभूति रखते थे, को डराने-धमकाने लगा, और अपनी ऊंची पहुंच का इस्तेमाल कर उन्हें आईजीआईएमएस से इस्तीफा देकर भागने पर विवश कर दिया.
आईजीआईएमएस से निदेशक को भगाने के बाद इस मनीष मंडल ने मजदूर नेता अविनाश कुमार को निशाने पर ले लिया, और अचानक 25 जुलाई को इस मनीष मंडल ने अविनाश कुमार को नौकरी से निकालने का आदेश जारी कर दिया. ऐसे में आक्रोशित आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने बकायदा सूचना देकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया था. शांतिपूर्ण जारी इस आंदोलन के बीच ही मनीष मंडल के बेटे ने अपने गुंडा गिरोह को लेकर अविनाश कुमार पर पत्रकारों के सामने ही हमला बोल दिया और बुरी तरह मारपीट करते हुए इस खूंखार मनीष मंडल के दफ्तर की ओर ले भागा. मौके पर मौजूद लोग व खुद पत्रकार भी भौचक्के रह गये.
आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों का प्रदर्शन जो लगभग समाप्ति पर था, उसी वक्त मनीष मंडल का भेजा यह गुंडा गिरोह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों पर ‘ईंटा फेंका है, ईंटा फेका है’ का झूठा हल्ला करते हुए टुट पड़ा और मजदूर नेता अविनाश कुमार पर लात और घूंसे बरसाने पड़ा. इसके साथ ही यह गुंडा गिरोह धमकी दे रहा था कि ‘कोई भी कैमरा नहीं चलायेगा. वरना उसे यही मार डाला जायेगा.’ मजदूर नेता अविनाश कुमार पर मनीष मंडल गुंडा गिरोह के इस अप्रत्याशित हमला का संस्थान में लगाये गये सीसीटीवी फुटेज रिकार्डिंग को भी डिलीट करवाये जाने की भी सूचना है और पत्रकारों द्वारा रिकार्डिंग को भी डिलीट करवाया ताकि सबूतों को नष्ट किया जा सके.
मनीष मंडल का यह गुंडा गिरोह मजदूर नेता अविनाश कुमार को बुरी तरह मारते हुए कहीं अनजान जगह ले कर चला गया. पत्रकारों के एक समूह ने भी पीछे पीछे जाने का प्रयास किया लेकिन जाने नहीं दिया गया. थोड़ी देर बाद पत्रकार समूह और अन्य कर्मचारियों की मदद से मजदूर नेता अविनाश कुमार को खोजने का प्रयास किया गया तो पता नहीं चल सका. ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका से परेशान एक पत्रकार ने फौरन पटना पुलिस अधीक्षक को फोन पर जानकारी दी और पुलिस अधीक्षक के हरकत में आने पर स्थानीय आईजीआईएमएस थाना ने अविनाश कुमार को चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल के कार्यालय से छुड़ाकर बाहर लाये.
मजदूर नेता अविनाश कुमार ने थाना प्रभारी को लिखे अपने आवेदन में साफ तौर पर जिक्र किया है कि मनीष मंडल ने बुरी तरह घायल अविनाश कुमार को कहा कि ‘अभी मैं चाहूं तो तुझे जिन्दा जलबा दूं. अभी तुम्हारी कम पिटाई हुई है.’ फिर बिना प्राथमिक उपचार के ही थाना के हवाले कर दिया. अपने आवेदन में मजदूर नेता अविनाश ने साफतौर पर कहा है कि ‘यदि मेरे या मेरे परिवार के साथ किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार सीधे तौर पर चिकित्सा अधीक्षक-1 मनीष मंडल होगा.’
अपने आवेदन में मजदूर नेता ने आशंका जाहिर करते हुए लिखा है कि मारपीट की इस घटना में मनीष मंडल का बेटा और उसके गिरोह के लोग शामिल हैं. अविनाश कुमार ने खुद को पुनः कार्य करने और पूरी सुरक्षा देने की मांग प्रशासनिक अधिकारीयों से की है.
आईजीआईएमएस में चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कुंडली मारकर बैठा यह नराधम मनीष मंडल आऊटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर निकाल बाहर करना चाहता है क्योंकि इससे जो जगह खाली होगा उस जगह पर 50 हजार से एक लाख रुपये लेकर दूसरे नये लोगों को बहाल करेगा, जिससे करोडों की अवैध उगाही हो सकेगी. इस करोड़ों रुपये की उगाही करने के चक्कर में यह मनीष मंडल आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों पर लगातार बंदिशें बढ़ाता जा रहा है ताकि या तो तंग आकर कर्मचारी खुद इस्तीफा देकर भाग जाये या विरोध करने पर निकाल बाहर किया जा सके.
थोड़े दिन पहले की खबर है कि मजदूर नेता अविनाश कुमार के अवैध निष्कासन के विरोध में उतरे सैंकड़ों आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की हाजिरी खुद मनीष मंडल ने काट दी. इसके साथ ही वह सैकड़ों की तादाद में मौजूदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर हजारों लाखों रुपये लेकर उस जगह पर नये कर्मचारियों को बहाल करने का योजना बना रहा है. मनीष मंडल के इस नापाक मंसूबों के खिलाफ चट्टान की तरह अड़े थे मजदूर नेता अविनाश कुमार. यह निश्चित है कि यदि अविनाश कुमार को मनीष मंडल इस संस्थान से निकालने में मनीष मंडल सफल हो जाता है तो हजारों की तादाद में आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को यह मनीष मंडल नौकरी से निकाल बाहर करेगा.
इस मनीष मंडल की पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक ओर वह निदेशक को जान से मारने की धमकी देकर मूंह बंद रखने या संस्थान छोड़कर भागने के लिए मजबूर करता है तो वहीं दूसरी ओर अन्य अधिकारियों को भी आतंकित किये रहता है. परिणामस्वरूप कोई भी इस खूंखार दरिंदे के खिलाफ मुंह खोलने से डरता है. सवाल है आखिर यह हैवान अपने आतंक के बल पर कब तक इस संस्थान को लूटता रहेगा और लोग मुंह बंद किये रहेंगे ? हम समझते हैं कि वह वक्त भी जल्द ही आयेगा जब इस शैतान के जबड़े पर अंकुश लगेगा और इसको इसके कुकर्मों का दण्ड मिलेगा.
सरकार को आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के जीवन को नरक बनाने वाले चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर गिरफ्तार करना चाहिए, अन्यथा, यह खूनी दरिंदा आईजीआईएमएस को खून के दरिया में डुबो देगा. साथ में सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वो जल्द से जल्द आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की मांगों को पूरा करे और अविलंब मजदूर नेता अविनाश कुमार के खिलाफ की गई झूठी FIR रद्द करके कार्य पर वापस आने का आदेश जारी करे. अन्यथा, मजदूरों के आक्रोश का विस्फोट कहीं उन्हें कोई दूसरा रास्ता चुनने को मजबूर न कर दे. हम इन सभी मांगों के लिए IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के संघर्ष का पूरी तरह से समर्थन करते हैं और पूरी तरह से उनके साथ हैं.
- इंकलाबी युवा संगठन, पंजाब
REVOLUTIONARY YOUTH ORGANIZATION (RYO), PUNJAB
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